केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं की ओर से जेटली से माफी मांगे जाने के बाद विश्वास ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि उन पर भी लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि वे इस मामले में सुलह कर लें। लेकिन उन्होंने साफ इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा, अगर मैंने इस मामले में माफी मांग ली तो यह उन ११ हजार कार्यकर्ताओं के साथ वादा खिलाफी होगी जो ऐसे ही विभिन्न मामलों में कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। सिर्फ दिल्ली में ही २६०० कार्यकर्ता हैं जिन पर ऐसे मुकदमे चल रहे हैं। आज भी सुल्तानपुर में एक मामले में सुनवाई थी। इसके लिए मैंने वकील को ४० हजार रुपए की फीस दी है।
सूत्रों के मुताबिक पिछले एक महीने से आम आदमी पार्टी के नेता आशुतोष और दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष आशीष खेतान सहित कई लोग विश्वास से इस मामले में संपर्क में थे। उधर, भाजपा की ओर से भी कुछ नेता उन्हें इस मामले में राजीमाने पर दस्तखत कर लेने की सलाह दे रहे थे। मगर वे इसके लिए राजी नहीं हुए।
उधर, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिहं, आशुतोष, दीपक वाजपेयी और राघव चड्डा ने पत्र लिखकर अरुण जेटली से माफी मांग ली है। सभी नेताओं ने अलग – अलग पत्र लिखकर अरुण जेटली से माफी मांगी है।
मामले को खत्म किया जाए
केजरीवाल ने पत्र में लिखा है कि ये सच है कि हम दोनों अलग-अलग राजनीतिक दल से संबंध रखते हैं। मुझे लगता है कि हम दोनों को इस लड़ाई को खत्म करके अपनी क्षमता को देशहित में लगाना चाहिए।
क्या था आरोप
आप के नेताओं ने अरुण जेटली पर दिल्ली व जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के अध्यक्ष पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार करने के आरोप लगाए थे। इस आरोप के बाद वित्त मंत्री जेटली ने तत्काल ही इन नेताओं के खिलाफ10 करोड़ रुपए की मानहानि का केस दर्ज कराया था। जेटली ने आशुतोष, कुमार विश्वास, संजय सिंह, राघव चड्ढा और दीपक वाजपेयी के खिलाफ भी मानहानि का मुकदमा दर्ज किया था।
अभी हाल ही में केजरीवाल ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी , अकाली दल नेता बिक्रम सिंह मजीठिया और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से माफी मांगी है। इन सभी ने केजरीवाल के माफीनामे के बाद केस वापस भी ले लिए हैं।