रक्षा क्षेत्र में आयात घटाएंगे: पर्रिकर
Published: Mar 21, 2015 08:36:00 pm
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में घरेलू
विनिर्माण कार्यो को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही नीति लाएंगे
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में घरेलू विनिर्माण कार्यो को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही नीति लाएंगे। इसके तहत कुछ सामान के आयात पर प्रतिबंध होगा। पर्रिकर ने शनिवार को कहा कि “मुझे कोई वजह नजर नहीं आती कि हमें निर्यात क्यों नहीं करना चाहिए, क्योंकि जिन उत्पादों में हमारी विशेषज्ञता है उनका हम बहुत आयात नहीं करते। हम ऎसी नीतियों के बारे में सोच रहे हैं जिसके जरिए भारत के रक्षा क्षेत्र में कुछ उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके। यह हमारी नीति का हिस्सा होगा।
साथ ही पर्रिकर ने कहा कि यह नीति सभी संबद्ध पक्षों से बात करने के बाद धीरे-धीरे आकार ले रही है। यहां एक संगोष्ठी में कहा कि सरकार रक्षा क्षेत्र में “मेक इन इंडिया” पहल को आगे बढ़ा रही है। वह इस क्षेत्र में विदेशी सामान पर 60 प्रतिशत की निर्भरता को कम करना चाहती है।
मसौदा तैयार
सरकार नई रक्षा खरीद नीति लाएगी। इसमें कुछ पहल और नई प्रक्रियाएं शामिल होंगी ताकि मेक इन इंडिया को वास्तविक रूप दिया जा सके। मसौदा तैयार हो चुका है। इसे फिलहाल उद्योग समेत विभिन्न संबद्ध पक्षों को भेजा जा चुका है। देश को रक्षा उत्पादों के निर्यात पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। उनका विचार है कि निर्यात से विभिन्न देशों को अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है।
थोड़ा समय दीजिए
मंत्रालय के सामने विभिन्न चुनौतियों के बारे में पर्रिकर बोले, “रातो-रात कुछ नहीं होता। एक प्रणाली है जिसमें जंग लग गया है। आज रक्षा मंत्रालय में ऎसी चीजें हैं जिसमें जंग लग चुका है। मैं एक तरह की प्रणाली लेकर आ रहा हूं। थोड़ा और समय दीजिए। निकट भविष्य में हमें इन मुद्दों को सुलझा लेना चाहिए जो प्रक्रियात्मक प्रणाली को प्रभावित कर रहे हैं। कुछ चीजें बरकरार रह सकती हैं। आगे सुधार के लिए बात कर सकते हैं। कोई भी चीज पूर्ण नहीं है।”
ढीले बियरिंगों से सुखोई में खराबी
बॉल बियरिंग लगाने में हुई गड़बड़ी देश के शीर्ष लड़ाकू विमान सुखोई-30 एमकेआई के इंजन फेल होने का महत्वपूर्ण कारण बना है। यह कहना है पर्रिकर का। पर्रिकर ने खास बातचीत में कहा कि सुखोई विमान के ज्यादातर इंजनों में बियरिंग ढीले लगे हुए हैं। इस कारण तेल में गाद आती है और इंजन बंद हो जाता है। इस खराबी को बगैर किसी अतिरिक्त लागत के ठीक कर लिया गया है।
पर्रिकर ने बताया कि इस लड़ाकू विमान में दो इंजन होते हैं। एक इंजन फेल होने की स्थिति में विमान दुर्घटनाग्रस्त नहीं होता है, बल्कि ऎसे प्रत्येक मामले में पायलट को विमान उतारने को मजबूर होना पड़ता है। मालूम हो, अक्टूबर में सुखोई के दुर्घाटनग्रस्त होने के बाद इसके सम्पूर्ण बेड़े को एक महीने के लिए उड़ान भरने से रोक दिया गया था। नवम्बर से सुखोई 30 ने फि र से उड़ान भरना शुरू कर दिया है।