बदलते दौर के हिसाब से समय बदलता गया, परिस्थितियां बदलती गईं और इस सदन ने बदली हुई परिस्थितियों को आत्मसात करते हुए अपने को ढालने का प्रयास किया। इस बात के लिए सदन के सभी सदस्य बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस सदन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें भारत के संघीय ढांचे की आत्मा दिखती है।
यहां विविधता में दिखाई देती है एकता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस सदन के दो पहलू खास हैं। पहला इसका स्थायित्व और दूसरा इसकी विविधता। स्थायित्व इसलिए महत्वपूर्ण है कि लोकसभा तो भंग होती रहती है लेकिन राज्य सभा कभी भंग नहीं होती। विविधता इसलिए महत्वपूर्ण है कि क्योंकि यहां राज्यों का प्रतिनिधित्व प्राथमिकता है।
बाबा साहेब अंबेडकर को किया याद पीएम ने कहा कि राज्यसभा का फायदा यह है कि यहां वैज्ञानिक, कलाकार और खिलाड़ी जैसे तमाम व्यक्ति आते हैं जो लोकतांत्रिक तरीके से चुने नहीं जाते हैं। बाबा साहेब इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। वे लोकसभा के लिए नहीं चुने जा सके लेकिन वे राज्यसभा पहुंचे। बाबा साहेब अंबेडकर के कारण देश को बहुत कुछ प्राप्त हुआ।
बता दें कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत होने से कुछ देर पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस बार शीतकालीन सत्र काफी महत्वपूर्ण है। पीएम विपक्ष से इस सत्र का ज्यादा से ज्यादा बेहतर उपयोग करने और सभी से सार्थक चर्चा में भाग लेने की अपील की।
संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो गया है। इस बार संसद का सत्र हंगामेदार रहने की उम्मीद है। संसद का यह शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। केंद्र सरकार ने कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों को सत्र में सार्थक चर्चा की अपील की है।
मोदी सरकार इस सत्र में नागरिकता संशोधन बिल समेत 27 बिल इस सत्र में लाने की तैयारी में है। राम मंदिर ट्रस्ट के लिए भी सरकार इस सत्र में बिल भी पेश कर सकती है।
दूसरी तरफ विपक्ष अर्थव्यवस्था के मौजूदा स्थिति, रोजगार, युवा और किसानों के मुद्दे, गांधी परिवार की सुरक्षा घटाने और फारुख अब्दुल्ला समेत अन्य कश्मीरी नेताओं की हिरासत के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इस सत्र में लोकसभा की 20 बैठकें प्रस्तावित हैं।
शिवसेना के लोकसभा में 18 सांसद हैं और राज्यसभा में तीन सांसद हैं। पार्टी महाराष्ट्र में नए राजनीतिक समीकरण बनने के साथ विपक्ष की बेंच में चली गई है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना की बातचीत चल रही है जहां फिलहाल राष्ट्रपति शासन लागू है।
बता दें कि कांग्रेस के लोकसभा में 52 सांसद हैं, डीएमके के 24, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 22 और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के 22 सांसद हैं, जबकि शिवसेना विपक्ष की पांचवी सबसे बड़ी घटक पार्टी है।