प्रशासन की अनदेखी, भूमिपुत्रों पर भारी
प्रतापगढ़Published: Jan 17, 2021 08:56:17 am
प्रतापगढ़. जिले में प्रशासनिक अनदेखी के कारण भूमिपुत्रों को दो वर्षाे का मुआवजा तक नहीं मिल पा रहा है। वर्ष २०१९ में अतिवृष्टि का मुआवजा दो हजार से अधिक किसानों को नहीं मिल पाया है। वहीं गत वर्ष में खंडवृष्टि से खराबे का आंकलन अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में भूमिपुत्रों में रोष है।
प्रशासन की अनदेखी, भूमिपुत्रों पर भारी
किसान संघ ने जताया विरोध, जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
-दी आंदोलन की चेतावनी
प्रतापगढ़.
जिले में प्रशासनिक अनदेखी के कारण भूमिपुत्रों को दो वर्षाे का मुआवजा तक नहीं मिल पा रहा है। वर्ष २०१९ में अतिवृष्टि का मुआवजा दो हजार से अधिक किसानों को नहीं मिल पाया है। वहीं गत वर्ष में खंडवृष्टि से खराबे का आंकलन अभी तक नहीं हो पाया है। ऐसे में भूमिपुत्रों में रोष है। गौरतलब है कि जिले में वर्ष 2019 अतिवृष्टि हुई थी। इस कारण जिले में किसानों को काफी नुकसान हुआ था। जिसमें सोयाबीन खराबे हो गई थी। इस वर्ष खराब का मुआवजा दो हजार से अधिक किसानों को अब तक नहीं मिला है। वहीं 2020 में छोटी सादड़ी में सूखा घोषित किया गया है। लेकिन यहां के किसानों को अभी तक कोई छूट नहीं मिल रही है। वहीं जिले में खंडवृष्टि के कारण खरीफ की फसल भी खराब हो गई। वहीं इस वर्ष रबी फसल में ओलावृष्टि से भी कई किसानों को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में किसानों ने के मुआवजे, भारी भरकम बिजली के बिलों में छूट देने और जबरन वीसीआर करने से भी रोष है। इसे लेकर किसानों ने रहत की मांग उठाई है।
-बैठक में बाद सौंपा ज्ञापन
भारतीय किसान संघ की मासिक बैठक श्रीराम वाटिका में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता संरक्षक कर्नल जयराज सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि प्रांत संगठन मंत्री परमानंद मेनारिया, रघुनाथसिंह, अध्यक्ष भारतीय किसान संघ झालावाड़ रहे। बैठक में जिला अध्यक्ष पन्नालाल डांगी, रामेश्वर कुमावत संभाग सदस्य, कन्हैयालाल देवगढ़ तहसील अध्यक्ष, भंवरलाल मीणा धरियावद तहसील अध्यक्ष, गोपाल अवलेश्वर, बहादुरलाल आंजना, विद्युत प्रभारी मुन्नालाल, उपाध्यक्ष रामचंद्र कटारा उपस्थित रहे।
बैठक के बाद प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन जिला कलक्टर को दिया गया। जिसमें नई दिल्ली किसानों के आंदोलन के संदर्भ में भारतीय किसान संघ ने भी तीनों बिलों के अध्यादेश से ही निरंतर चार मुख्य संशोधनों की मांग की गई। सभी प्रकार की फसलों की खरीद पर एमएसपी, कम से कम समर्थन मूल्य का कानूनी प्रावधान, निजी व्यापारियों का राज्य एवं केन्द्र सरकार स्तर पर पंजीकरण हो, बैंक सिक्योरिटी हो, सरकारी पोर्टल पर जानकारी उपलब्ध हो, विवादों के लिए पृथक कृषि न्यायालयों हो। जिनके द्वारा किसानों के विवाद उनके गृह जिले में संभव हो, किसान की परिभाषा में से कॉरपोरेट कंपनियों को हटाकर कृषि आधारित किसानों को ही रखा जाए।