scriptAyurveda department got the land after waiting for nine years | आयुर्वेद विभाग को नौ वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मिली जमीन | Patrika News

आयुर्वेद विभाग को नौ वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मिली जमीन

locationप्रतापगढ़Published: Dec 04, 2022 08:32:49 am

Submitted by:

Devishankar Suthar

आयुर्वेद विभाग को नौ वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मिली जमीन

आयुर्वेद विभाग को नौ वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मिली जमीन
आयुर्वेद विभाग को नौ वर्ष के लम्बे इंतजार के बाद मिली जमीन

जमीन की बाउंड्रीवाल, जलस्रोत के बाद आगामी बारिश में होगा पौधरोपण
प्रतापगढ़. कांठल की आबोहवा विभिन्न पेड़-पौधों के लिए उपयुक्त है। इसे देखते हुए आयुर्वेद विभाग की ओर से विभिन्न औषधियों के उत्पादन के लिए वर्ष 2014 में स्वीकृत वनौषधि उद्यान के लिए नौ वर्ष बाद जमीन मिली है।
जमीन मिलने के बाद अब यहां बाउंड्रीवाल और जलस्रोत की आवश्यकता है। इसके बाद आगामी बारिश में पौधरोपण किया जाएगा। इससे विभाग की ओर से यहां लुप्त हो रही और आवश्यकता वाली औषधीय पादपों का उत्पादन किया जाएगा। आयुर्वेद विभाग की ओर से कांठल में औषधियों के उत्पादन करने के लिए वनौषधि उद्यान वर्ष 2014 में स्वीकृत किया था। इसकी योजना के तहत विभाग की मंशा है कि विभाग की रसायनशालाओं में औषधियों के लिए कच्ची सामग्री के लिए भटकना नहीं पड़े। इसके साथ ही गुणवत्ता वाली कच्ची सामग्री मिलती रहे। योजना के तहत विभाग की ओर से जिले में वनौषधि उद्यान लगाने के निर्देश मिले। इसके बाद विभाग ने जमीन के लिए जिला प्रशासन से मांग की गई थी। लेकिन विभाग को उपयुक्त जमीन नहीं मिल सकी। जिससे गत आठ वर्षों से यह योजना ठंडे बस्ते में ही रही। इसी वर्ष विभाग को अरनोद उपखंड के बेड़मा गांव में यह भूमि उपलब्ध हुई। जहां 20 बीघा जमीन मिली है। जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई है। अब यहां जमीन जमीन आवंटन के बाद उद्यान स्थापित करने के लिए भारतीय औषधि पादप बोर्ड राजस्थान से सहायता के लिए प्रस्ताव भिजवाए जा रहे है। इसके बाद राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत प्रोजेक्ट बनाकर उद्यान की स्थापना की जा सकेगी। उद्यान में यह लगाए जाएंगे पादप
वनौषधि उद्यान की स्थापना के लिए स्वीकृति मिलने पर कई प्रकार की औषधियों का उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है। जिसमें गूगल, अर्जुन, शिवङ्क्षलगी, काकमांची, काकड़ाश्रंगी, मेढ़ाश्रंगी, मरोडफ़ली, वज्रदंती, बला, अतिबला, सफेद मूसली, जात्यी, हरड़, बहेड़ा, शंखपुष्पी, मंडुकपर्णी, ब्राह्मी, शलाटी, कालमेघ, सालमपंजा, नीम गिलोय आदि का उत्पादन किया जाएगा। इसके अलावा स्थानीय वातावरण के अनुकूल पाई जाने वाली और भी औषधियों की भी पैदावार की जा सकेगी।
जिला परिषद से यह होंगे कार्य
वनौषधि उद्यान के लिए विभिन्न कार्य जिला परिषद की ओर से कराए जाएंगे। जिसमें चार दीवारी बनाना, बिजली कनेक्शन, कूप या नलकूप खनन, मेड़बंदी, तार फेंङ्क्षसग की जाएगी।
मिली जमीन, प्रस्ताव भेजे जाएंगे
विभाग को जिले में वनौषधि उद्यान के लिए जमीन मिल गई है। इसकी रजिस्ट्री भी हो गई है। इसकी बाउंड्रीवाल और पेयजल स्रोत के लिए जिला परिषद की ओर से कार्य कराया जाएगा। इसके बाद यहां वनौषधि उद्यान की स्थापना के लिए विभाग की ओर से उच्चाधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भिजवाए जाएंगे। सबकुछ समय पर कार्य होने पर आगामी बारिश में यहां औषधियों की बुवाई की जा सकेगी।
- डॉ. राजकुमार गुप्ता, उप निदेशक, आयुर्वेद विभाग, प्रतापगढ़.
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