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बाल गोपाल को झूला झुलाने उमड़ रहे श्रद्धालु

locationप्रतापगढ़Published: Aug 17, 2018 07:31:11 pm

Submitted by:

Rakesh Verma

बाल गोपाल को झूला झुलाने उमड़ रहे श्रद्धालु

pratapgarh

बाल गोपाल को झूला झुलाने उमड़ रहे श्रद्धालु

छोटीसादड़ी. नगर में श्रावण मास के चलते विभिन्न मंदिरो में इन दिनों सुबह शाम विभिन्न धार्मिक आयोजनों का दौर जारी है। वही नगर के श्री चारभुजा मंदिर, गोविंदेश्वर महादेव मंदिर में परम्परागत रूप से मनाया जाने वाला झुलोत्सव पूरे परवान पर चल रहा है। शाम होते ही भगवान को झूला झुलाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिरों में उमडऩे लगती है। सभी उम्र के श्रद्धालु झुलोत्सव में पहुच कर प्रतिदिन अलग-अलग रूप से श्रृंगारित प्रतिमा के दर्शन कर आशीष ले रहे हैं। नगर के प्रसिद्ध व प्राचीन श्रीचारभुजा मन्दिर में चारभुजा ट्रस्ट के तत्वाधान में आयोजित झुलोत्सव में मंदिर प्रतिदिन आकर्षक व मनमोहक झांकियां सजाई जा रही है। चारभुजा मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष रमेश उपाध्याय ने बताया कि मंदिर के अंदर व बाहर विशेष विद्युत सज्जा से सजाया गया है। मंदिर में देर रात तक झूले में विराजित गोपाल भगवान को झूला झुलाया जा रहा है। श्रद्धालु जीवन्त झांकियां व् झूला महोत्सव का आनंद ले रहे हैं। भजन मंडलियों की ओर से आकर्षक व सुंदर भजनों की प्रस्तुति देर रात तक दी जा रही है जिसमें श्रद्धालु भजनों पर थिरकने से अपने आप को नहीं रोक पा रहे हैं। मंदिरों में श्रद्धालुओ की भीड़ शयन आरती के बाद ही समाप्त हो रही है ।

भागवत कथा में कृष्ण जम्मोत्सव मनाया
-सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा आयोजित
दलोट.
यहां पाटीदार धर्मशाला में आयोजित सात दिवसीय संगीतमय भागवत कथा मे शुक्रवार को भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथावाचक राम महाराज मचलाना ने जब कृष्ण जन्म की कथा सुनाई तो भक्त झूम उठे। राम महाराज ने कहा कि जिस समय भगवान का जन्म हुआ, जेल के ताले टूट गए और सभी पहरेदार अचेत हो गए। वासुदेव व देवकी बंधन मुक्त हो गए। यह सब प्रभु की कृपा से ही संभव हो सका। कृपा न होने पर प्रभु मनुष्य को सभी सुखों से वंचित कर देते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव पर नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की गीत पर भक्त जमकर झूमे।
भक्ति से होता है प्रभु का दर्शन
भागवत कथा में कथा वाचक ने जब-जब होई धर्म की हानि, बढहि असुर अधम अभिमानी, तब-तब धरि प्रभु मनुज शरीरा, हरहि कृपा निज सज्जन पीरा आदि चौपाइयों से श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथावाचक ने प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भगवान कृष्ण ने जेल में वासुदेव के यहां अवतार लेकर संतो व भक्तों का सम्मान बढ़ाया। उन्होंने अपने अंदर बुराई विद्यामान न रहे इसके लिए संतों का सत्संग का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि जब भक्ति मार्ग में भक्त लीन रहता है तब प्रभु दर्शन होते हैं। जब कंस ने सभी मर्यादाएं तोड़ दी तो प्रभु कृष्ण का जन्म हुआ। यहां पर जैसे ही कृष्ण के जन्म का प्रसंग कथा में आया तो श्रद्धालु हरे राधा-कृष्ण के उद्घोष के साथ नृत्य करने लगे। महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की महता पर प्रकाश डाला ।
भजनों पर झूमे श्रद्धालु
वासुदेव भगवान कृष्ण को जो कि इस संसार के पालन हार है एक टोकरी में लेकर अथाय यमुना नदी को पार कर यशोदा मां और नंद के पास छोड़ जाते हैं। जिसकी कानो-कान खबर कंस को नहीं लग पाती। कथा वाचक ने भगवान कृष्ण के गोकुल में आनंद भयो, जय कन्हैया हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया की, नंद घर आनंद भये बाजे बाजे रे बधाई सहित अनेक भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को आनंदित कर दिया। कृष्ण जन्मोत्सव के दौरान श्रद्धालुओं ने माखन मिश्री का भोग लगाकर जमकर उत्सव मनाया।
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