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प्रतापगढ़

अफीम फसल की सुरक्षा में जुटे भूमिपुत्र

– खेतों में लगाई जा रही जालियां

प्रतापगढ़Dec 25, 2018 / 10:38 am

Ram Sharma

pratapgarh

अफीम फसल की सुरक्षा में जुटे भूमिपुत्र

– जीव-जंतुओं से करनी है सुरक्षा
– कई किसानों ने खेतों पर बनाए अशियाने
प्रतापगढ़ कांठल क्षेत्र में इन दिनों अफीम की फसल लहलहाने लगी है। खेत हरियाली से अटे हुए हैं। भूमिपुत्र रात-दिन फसल की सुरक्षा मे लगे है। प्राकृतिक प्रकोप, मवेशियों, पक्षियों से इसकी सुरक्षा की जा रही है। इससे कई किसानों ने तो अपने खेतों पर झौंपडिय़ा बना ली है। वहां रहकर दिन रात रखवाली कर रहे हैं।
जिले में नारकोटिक्स विभाग की ओर से पट़्टे वितरण के बाद किसानों ने फसल बुवाई की। अभी फसल बढ़वार की अवस्था में है। आगामी पन्द्रह बीस दिन में फसल में फूल आने लग जाएंगे। ऐसे में किसान अभी फसल की सुरक्षा करने में जुटे हुए हैं। जिले में इस बार 7 हजार 332 किसान अफीम की खेती कर रहे हैं। इस बार कुल 732 हेक्टर के रकबे में अफीम बोई गई है।
फिलहाल फसल में फूल नहीं आए, इसलिए अफीम तस्करों से कोई खतरा नहीं है। लेकिन मवेशियों और प्राकृतिक प्रकोप से खतरा ज्यादा है। किसानों ने मवेािशयों से फसल की सुरक्षा के लिए खेतों के चारों ओर तारबंदी, लोहे की जालियां लगा दी है। प्राकृतिक प्रकोप से बचाव के लिए अफीम की फसल के चारों तरफ मक्का की बुवाई करते है। इससे शीतलहर और पाले का असर मक्का की फसल पर हो जाता है। अफीम की फसल में असर कम हो जाता है। इसके अलावा पक्षियों से सुरक्षा के भी गत कुछ वर्षों से जतन किए जा रहे हंै। इसमें खेत के ऊपर सुरक्षा के लिए नायलोन की जाली लगाई जा रही है। जिससे पक्षियों से डोडों की सुरक्षा हो सके।
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7 हजार 322 किसान कर रहे खेती
प्रतापगढ़ जिले को विभाग की ओर से दो खंड में बांटा हुआ है। जिसमें एक खंड प्रतापगढ़ है। जिसमें अरनोद और प्रतापगढ़ तहसील क्षेत्र के किसानों को शामिल किया गया है। यहां इस वर्ष कुल 3830 किसानों को लाइसेंस मिले है। इन किसानों ने बुवाई की है। छोटीसादड़ी में कुल 3502 किसानों ने बुवाई की है। इस प्रकार जिले में इस वर्ष 7 हजार 322 किसानों को लाइसेंस जारी किए है। जिन्होंने बुवाई की है। एक खेत में सुरक्षा का खर्च 25 से 30 हजार रुपए का आता है।
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इस तरह की जा रही सुरक्षा
– फसल के चारों तरफ लोहे की जालियां लगाई जा रही है।
– खेत के चारों तरफ कपड़े आदि लगाए जा रहे हैं।
-पाले और शीतलहर से बचाव के लिए फसल के चारों तरफ मक्का की बुवाई की गई है।
-पक्षियों से सुरक्षा के लिए खेत के ऊपर सुरक्षा के लिए नायलोन की जाली लगाई जा रही है।
मोखमुपरा
क्षेत्र में अति संवेदनशील फसल अफीम की फसल बढ़ी होने के बाद इसकी सुरक्षा की जा रही है। यहां किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए जतन कर रहे है। किसानों ने फसल के चारों तरफ तारबंदी की है। वहीं खेत में प्रवेश करने के लिए एक दरवजा भी लगाया गया है। गरदोड़ी गांव के किसान भंवरलाल मेघवाल ने बताया कि 10 आरी अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए लोहे की जाली लगाई है।इसका खर्चा 15 हजार रुपए तक आया है। इसके बाद पक्षियों से डोडों की सुरक्षा के लिए अब फसल के ऊपर नायलोन की जाली लगाई जाएगी। इसका खर्चा भी 10 हजार रुपए तक आएगा।
खेतों पर लगाया डेरा
छोटीसादड़ी
क्षेत्र में अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए किसानों की ओर से विभिन्न जतन किए जा रहे है।इसके तहत किसानों ने फसल के चारों तरफ तारबंदी की है, वहीं साडिय़ों और कपड़ों की दीवार भी बना दी है।कई किसानों ने अपने खेतों पर ही डेरा डाल दिया है।खेतों पर ही झोंपड़ें आदि बना लिए है।जिससे फसल की रात-दिन निगरानी रखी जा सके।
सुरक्षा के लिए बांधा तिरपाल
चूपना
क्षेत्र में अफीम की फसल की सुरक्षा के जतन किए जा रहे है। फरेड़ी गांव में एक किसान ने फसल को धूल से बचाने के लिए रोड की साइड में त्रिपाल बांध दिया है। किसान कैलाशनाथ ने बताया कि उसका खेत रतलाम-पिपलोदा मार्ग के पास है।उस रोड पर हाल ही में मोर्रम डाल दिया है।जिससे वाहनों के आवागमन से धूल उड़ रही है। यह धूल फसलों पर जमा होकर पत्तों को खराब कर रही हैं। काला सोना को पहले रोजड़ों से बचाने के लिए तार की बाउंड्री के साथ अब तिरपाल की व्यवस्था भी करनी पड़ती है।

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