सौ बीमारियों की जड़ है कुपोषण
शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलने से बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। कुपोषण बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यह जन्म या उससे भी पहले शुरू होता है और 6 महीने से 3 वर्ष की अवधि में तीव्रता से बढ़ता है।
चरणबद्ध तरीके से चलेगा अभियान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वीके जैन ने बताया कि सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाने का उददेश्य वर्तमान एवं अगले तीन वर्षों में 0 से 6 माह के बच्चों में स्टटिंग को 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष, अंडरवेट 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष एवं लो बर्थ वेट को 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष ही दर से कम करना है। इसी के साथ 6 से 59 माह तक के बच्चों में एनिमिया में 3 प्रतिशत की दर से तथा 15 से 49 वर्ष उम्र की महिलाओं में एनिमिया में 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कमी लाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।
शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलने से बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। बच्चों और स्त्रियों के अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। स्त्रियों में रक्ताल्पता या घेंघा रोग अथवा बच्चों में सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं। कुपोषण बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। यह जन्म या उससे भी पहले शुरू होता है और 6 महीने से 3 वर्ष की अवधि में तीव्रता से बढ़ता है।
चरणबद्ध तरीके से चलेगा अभियान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ वीके जैन ने बताया कि सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाने का उददेश्य वर्तमान एवं अगले तीन वर्षों में 0 से 6 माह के बच्चों में स्टटिंग को 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष, अंडरवेट 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष एवं लो बर्थ वेट को 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष ही दर से कम करना है। इसी के साथ 6 से 59 माह तक के बच्चों में एनिमिया में 3 प्रतिशत की दर से तथा 15 से 49 वर्ष उम्र की महिलाओं में एनिमिया में 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कमी लाए जाने का लक्ष्य रखा गया है।