कोरोना से कई घरों में पड़ी उपज वेयर हाउस भी खाली
प्रतापगढ़Published: May 17, 2021 08:35:47 am
प्रतापगढ़.इस वर्ष रबी की फसल पकने और थ्रेसरिंग के बाद से ही कोरोना महामारी शुरू हो गई। ऐसे में किसानों की काफी उपज की बिक्री नहीं हो पाई। ऐसे में जिले में वेयर हाउस भी काफी खाली पड़े हुए है। हालांकि शुरुआती दौर में मंडियों में बिक्री हुई थी। ऐसे में कुछ हद तक उपज भी वेयर हाउस में पड़ी हुई है। लेकिन वेयर हाउस पर्याप्त नहीं भरे है।
कोरोना से कई घरों में पड़ी उपज वेयर हाउस भी खाली
-इस वर्ष रबी की फसल थ्रेसरिंग के बाद से लॉक डाउन से बने हालात
प्रतापगढ़.
इस वर्ष रबी की फसल पकने और थ्रेसरिंग के बाद से ही कोरोना महामारी शुरू हो गई। ऐसे में किसानों की काफी उपज की बिक्री नहीं हो पाई। ऐसे में जिले में वेयर हाउस भी काफी खाली पड़े हुए है। हालांकि शुरुआती दौर में मंडियों में बिक्री हुई थी। ऐसे में कुछ हद तक उपज भी वेयर हाउस में पड़ी हुई है। लेकिन वेयर हाउस पर्याप्त नहीं भरे है।
इस वर्ष रबी की फसल थ्रेसरिंग होने के समय के बाद से ही कम समय तक ही मंडियों में उपज की बिक्री हुई। इसके बाद मंडियां भी बंद हो गई। ऐसे में वेयर हाउस काफी खाली है। जो उपज यहां भरी हुई है, वो भी व्यापारियों और समर्थन मूल्य पर खरीद की है।
यहां धरियावद रोड पर स्थित वेयर हाउस की क्षमता १८ हजार ४५० मीट्रिक टन है। वर्तमान में १२ हजार ९२५ एमटी उपज भरी हुई है। पहले ही यहां जिले में आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में किसानों की रुचि अनाज भंडारण में कम है। इससे यहां अभी मात्र ५० एमटी ही किसानों का माल है। दूसरी ओर जिले में इस वर्ष उत्पादन भी कम होने से माल कम पहुंच रहा है।
ये है व्यवस्था
वेयर हाउस में विभिन्न माल रखने के लिए प्रति वर्ष के लिए राशि निर्धारित की जाती है। इस वर्ष यहां दलहन के लिए ६.८५, खाद्यान्न के लिए ८.४०, फर्टिलाजर व अन्य के लिए ४५ रुपए प्रति माह के लिए निर्धारित हैं। इसमें सहकारी संस्थाओं को १० प्रतिशत, किसानों को ६० प्रतिशत, एससी, एसटी किसानों को ७० प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है। इसके बाद किसानों को विभिन्न बैंकों से ऋण की सुविधा भी मिल सकती है।
होता है सुरक्षित भंडारण
वेयर हाउस में जिंसों और अन्य सामग्री का सुरक्षित तरीके से भंडारण किया जाता है। इसमें वैज्ञानिक तरीके से भंडारण होने से जिंसे सुरक्षित रहती है। वेयर हाउस में खाद्यान्न में गेहूं, जौ, बाजरा, मक्का, चावल, धान, मसालों में जीरा, धनिया, मैथी, दलहन में चना, मूंग, मोठ, उड़द, तिलहन में सरसों, सोयाबीन, तारामीरा, तिल, खाद, बीज, कपास और अधिसूचित जिंसें जमा की जाती है।
लोकेन्द्र व्यास, मैनेजर, वेयर हाउस, प्रतापगढ़