न्यायालय ने फैसले में लिखा कि एससी-एसटी अधिनियम के प्रावधान विधायिका ने इसलिए बनाए हैं ताकि इस वर्ग के लोगों के सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकारों की रक्षा की जा सके। लेकिन इस प्रकरण में यह सामने आया कि फरियादी ने इस अधिनियम का दुरुपयोग किया है। साथ ही एक कर्तव्यनिष्ठ चिकित्सा अधिकारी को नाहक प्रताडि़त करने का प्रयास किया है। अब फरियादी अपने और गवाहों को बयान कराने के लिए हाजिर नहीं हो रहा है। राजकीय कर्मचारियों द्वारा राज्य कार्य नहीं करने की मंशा से एससी-एसटी अधिनियम का दुरुपयोग यदि किया जाने लगा तो राजकीय कार्यालयों में अराजकता पैदा हो जाएगी। यह अंतिम रूप से इस देश की जनता को ही भुगतनी होगी। अदालत ने कहा कि इस आदेश की एक प्रति संबंधित पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट के साथ प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा विभाग, निदेशक, जिला कलक्टर, सीएमएचओ के समक्ष भेजी जाए। संबंधित अधिकारी इस तथ्य पर विचार करें कि क्या, ऐसे व्यक्ति का राजकीय सेवा में रखना राजकीय हितों के अनुकूल होगा?
ये था मामला
इस्तगासे के आधार पर पुलिस की जांच में सामने आया कि डॉ. जैन चुन्नीलाल को सरकारी कार्य करने के लिए कहते थे। इसे लेकर 23 फवरी को चुन्नीलाल और एक स्थानीय राजनीतिक दल से संबंधित कुछ लोग थाने पर आए। जहां यह तय किया गया कि डॉ. जैन का स्थानांतरण छोटीसादड़ी कराया जाएगा। जो 24 घंटों में कराया जाना था। लेकिन इसमें तीन दिन लग गए। इस पर चुन्नीलाल ने आगे दबाव बनाने के लिए यह परिवाद पेश किया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि डॉ. जैन ने सरकारी कार्य के लिए सख्ती की थी। इस कारण स्टाफ के कुछ लोगों ने चुन्नीलाल को आगे किया। न्यायालय ने चुन्नीलाल और उसके गवाहों का परीक्षण कराना चाहा, लेकिन चुन्नीलाल सहित कोई भी पेशियों पर उपस्थित नहीं हुए। इस पर चुन्नीलाल के अधिवक्ता पीएल मीणा ने यह जाहिर किया कि चुन्नीलाल इस इस्तगासे को आगे नहीं चाहता है।