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प्रतापगढ़

काम के लिए कहा तो कर्मचारी ने डॉक्टर के खिलाफ किया इस्तगासा, अदालत में खारिज

एससी-एसटी कानून के दुरूपयोग का मामलाफरियादी कर्मचारी पर कार्रवाई के लिए लिखाधरियावद सीएचसी में कार्यरत है कर्मचारी

प्रतापगढ़May 21, 2019 / 12:09 pm

Ram Sharma

pratapgarh

काम के लिए कहा तो कर्मचारी ने डॉक्टर के खिलाफ किया इस्तगासा, अदालत में खारिज


ब्लॉक सीएमएचओ के खिलाफ कोर्ट में पेश किया था इस्तगासा
प्रतापगढ़. सरकारी कर्मचारी द्वारा एससी-एसटी उत्पीडऩ कानून के दुरुपयोग का एक मामला यहां धरियावद के सामुदायिक चिकित्सा केन्द्र में सामने आया है। अस्पताल के लेबोरेट्री सुपरवाइजर ने ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी पर सिर्फ इसलिए इस्तागासा ठोक दिया कि चिकित्साधिकारी ने उसे अस्पताल में बुलाकर काम करने के लिए सख्ती की। लेबोरेट्री सुपरवाइजर ने बाहर आकर अदालत में चिकित्साधिकारी के खिलाफ एसटी-एससी उत्पीडऩ का परिवाद दायर किया। पुलिस की जांच में शिकायत झूठी पाई गई। विशिष्ट न्यायाधीश अजा/अजजा (अत्याचार निवारण प्रकोष्ठ) राजेन्द्रकुमार शर्मा ने इस्तगासा खारिज कर दिया और साथ ही एससी-एसटी धारा का दुरुपयोग करने पर पुलिस अधीक्षक और चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव, जिले के अधिकारियों को निर्णय की प्रति भिजवाने और संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई के लिए लिखा। अदालत ने अपने आदेश में टिप्पणी की कि यदि सरकारी कर्मचारी अपना काम नहीं करने की मंशा की पूर्ति के लिए इस कानून का दुरूपयोग करने लगे तो सरकारी कार्यालयों में अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी और अंतिम रूप से इस देश की जनता को ही इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।
धरियावद सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की लेबोरेट्री में उदयपुर के कोटड़ा निवासी चुन्नीलाल पुत्र हरिराम डाबी सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत है। चुन्नीलाल ने गत 22 फरवरी को चिकित्सालय के ब्लॉक चिकित्साधिकारी डॉ. एसके जैन के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि डॉ. जैन ने उसे कार्यालय में बुलाकर जातिगत गालियां दी और मारपीट भी की। इसके बाद उसे धमकियां भी दी गई। पुलिस की जांच में सामने आया कि इस प्रकार की कोई बात नहीं हुई, बल्कि पुलिस ने जांच रिपोर्ट में कहा कि डॉ. जैन चुन्नीलाल से राजकीय कार्य करने की कहते थे। इसे चुन्नीलाल डॉ जैन से द्वेष रखने लगा। दूसरे कर्मचारियों ने भी चुन्नीलाल को आगे कर डॉ जैन के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। पुलिस जांच में मामला झूठा निकला। खुद फरियादी भी अदालत में पेशियों पर नहीं आया।
न्यायालय ने फैसले में लिखा कि एससी-एसटी अधिनियम के प्रावधान विधायिका ने इसलिए बनाए हैं ताकि इस वर्ग के लोगों के सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकारों की रक्षा की जा सके। लेकिन इस प्रकरण में यह सामने आया कि फरियादी ने इस अधिनियम का दुरुपयोग किया है। साथ ही एक कर्तव्यनिष्ठ चिकित्सा अधिकारी को नाहक प्रताडि़त करने का प्रयास किया है। अब फरियादी अपने और गवाहों को बयान कराने के लिए हाजिर नहीं हो रहा है। राजकीय कर्मचारियों द्वारा राज्य कार्य नहीं करने की मंशा से एससी-एसटी अधिनियम का दुरुपयोग यदि किया जाने लगा तो राजकीय कार्यालयों में अराजकता पैदा हो जाएगी। यह अंतिम रूप से इस देश की जनता को ही भुगतनी होगी। अदालत ने कहा कि इस आदेश की एक प्रति संबंधित पुलिस अधिकारियों की रिपोर्ट के साथ प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा विभाग, निदेशक, जिला कलक्टर, सीएमएचओ के समक्ष भेजी जाए। संबंधित अधिकारी इस तथ्य पर विचार करें कि क्या, ऐसे व्यक्ति का राजकीय सेवा में रखना राजकीय हितों के अनुकूल होगा?
ये था मामला
इस्तगासे के आधार पर पुलिस की जांच में सामने आया कि डॉ. जैन चुन्नीलाल को सरकारी कार्य करने के लिए कहते थे। इसे लेकर 23 फवरी को चुन्नीलाल और एक स्थानीय राजनीतिक दल से संबंधित कुछ लोग थाने पर आए। जहां यह तय किया गया कि डॉ. जैन का स्थानांतरण छोटीसादड़ी कराया जाएगा। जो 24 घंटों में कराया जाना था। लेकिन इसमें तीन दिन लग गए। इस पर चुन्नीलाल ने आगे दबाव बनाने के लिए यह परिवाद पेश किया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि डॉ. जैन ने सरकारी कार्य के लिए सख्ती की थी। इस कारण स्टाफ के कुछ लोगों ने चुन्नीलाल को आगे किया। न्यायालय ने चुन्नीलाल और उसके गवाहों का परीक्षण कराना चाहा, लेकिन चुन्नीलाल सहित कोई भी पेशियों पर उपस्थित नहीं हुए। इस पर चुन्नीलाल के अधिवक्ता पीएल मीणा ने यह जाहिर किया कि चुन्नीलाल इस इस्तगासे को आगे नहीं चाहता है।
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