यह पक्षी मानसून के दौरान प्रजनन करता है। तीन वर्ष में यह वयस्क हो जाता है। अमुमन यह जोड़े में ही रहता है। पक्षीविदें के अनुसार एक के मृत्यु होने पर दूसरा भी मर जाता है। चिडिय़ाघर में रखे जाने वाले सारस की उम्र अधिकतम ९५ वर्ष तक देखी गई है।
इसलिए किसानों का दोस्त
अमुमन सारस सर्वभक्षी होते है। जिससे सारस को किसानों का दोस्त कहा जाता है। यह चूहे, छोटे-मोटे कीट आदि, सांप, छिपकली, सरीसृप,
घास के बीज, जड़, जलीय घास खाता है।
पानी के किनारे आवास
सारस के आवास पानी के किनारे होते है। यह छिछले पानी में दलीय पानी में घास, सरकंड़ों से घोंसला बनाता है। इसे टापूनुमा स्थान पर देता है। एक या दो अंडे देता है। बरसात में अगस्त से नवंबर तक घोंसला बनाते देखा गया है।
३१ प्रतिशत ही बचते है
सारस पर अब तक हुए रिसर्च में सामने आया है कि कुल दिए गए अंडों में से मात्र ३१ प्रतिशत ही बच्चे वयस्क हो पाते है। जन्म के बाद कुछ तो जंगली जानवरों का शिकार हो जाते है। जबकि कुछ बच्चे बाद में मर जाते है।
सर्वाधिक भारत में
सारस की संख्या सबसे अधिक भारत में है। जो करीब १५ हजार तक है।
जबकि भारत, नेपाल, कंबोडिय़ा, वियतनाम, म्यांमार, आस्ट्रेलिया, थाईलैंड में कुल मिलाकर २० हजार तक है।
सारस की संख्या काफी कम होती जा रही है। इसका प्रमुख कारण इनके आवास स्थलों पर मानवीय दखल बढ़ गई है। जलाशयों में दोहन के कारण कोई भी हिस्सा इनमें नहीं बचता है। जिससे सारस को अपना घोंसला बनाने की जगह नहीं मिलती है। वहीं जलाशयों के पास खेत अधिक बना लिए है। खेतों में पेस्टिसाइड का अधिक प्रयोग से भी इनकी संख्या कम हो गई है। इससे इनके संरक्षण पर ध्यान देना होगा।
जलाशयों से
देवेन्द्र मिस्त्री, पर्यावरणविद्
यह सही है कि अन्य जीवों की तीह सारस की संख्या भी कम हो रही है। इसका कारण वनों, जलाशयों पर मनुष्यों की दखल अधिक है। ऐसे में इनका संरक्षण करना होगा। कोई भी व्यक्ति सारस को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ वन अधिनियम में मामला दर्ज होता है। सभी कर्मचारियों को हमनें वन सम्पदा के साथ वन्यजीवों और पक्षियों के सुरक्षा और संरक्षण के लिए विशेष रूप से निर्देश दिए हुए है।
संग्रामसिंह कटियार
उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़