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खिलाडिय़ों का थमा विकास, कागजों में प्रतियोगिताएं

locationप्रतापगढ़Published: Mar 25, 2019 11:44:49 am

Submitted by:

Ram Sharma

संभाग और राज्य स्तरीय विजेताओं को अब तक नहीं मिली पारितोषिक राशि

pratapgarh

खिलाडिय़ों का थमा विकास, कागजों में प्रतियोगिताएं


अनदेखी के चलते सौ लाख का एथलेटिक्स ट्रेक हुआ नकारा
प्रतापगढ़. जिले में खेल गतिविधियों को जंग सा लग गया है। ऐसा खेल विभाग की उदासीनता के चलते हो रहा है। सत्र २०१७-१८ और २०१८-१९ में विभाग की ओर से कोई खेल प्रतियोगिता नहीं कराई गई। बिना ब्लॉक और जिलास्तरीय खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कराए राज्य स्तरीय प्रतियोगिता तक संपन्न कराने का कारनामा खेल विभाग की ओर से अंजाम दिया गया। इससे कई वास्तविक प्रतिभाएं उभरने से वंचित रह गई। विभिन्न स्कूलों में कार्यरत शारीरिक शिक्षकों की मानें तो खेल विभाग की ओर से २०१३ के बाद से अब तक कोई खेल सामग्री ही आवंटित नहीं की गई है। और न ही कभी खेल विभाग के किसी अधिकारी ने विद्यालयों में आकर प्रतिभाओं के चयन एवं प्रोत्साहन का प्रयास किया। यही नहीं खेल अधिकारी की शिथिलता के चलते खेल गांव स्थित नवनिर्मित एथलेटिक्स ट्रेक निर्माण के दौरान उचित मार्ग दर्शन नहीं मिला। इसके चलते ट्रेक मापदण्ड अनुसार नहीं बन पाया। तकरीबन सौ लाख रूपए की लागत से निर्मित ट्रेक नकारा हो चुका है।
प्रतियोगिताएं जो अब तक नहीं हुई
खेल विभाग की ओर से जिले में महिला ओपन टूर्नामेंट, नेहरू युवा केन्द्र के तहत आयोजित खेलकूद प्रतियोगिताएं नहीं हुई। इसी प्रकार पाइका के तहत होने वाले खेल आयोजन फुटबाल, कबड्डी, हेण्डबाल, वालीवाल, खो-खो आदि भी नहीं हुए।
दो वर्ष बाद भी नहीं मिली अवार्ड राशि
जिले में विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं, कुश्ती, तीरंदाजी, सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं आदि में संभाग और राज्य स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बल पर जिले का नाम रोशन करने वाली प्रतिभाओं को खेल विभाग की शिथिलता के चलते अवार्ड राशि प्राप्त नहीं हुई। इससे प्रतिभाओं के हौसले पस्त हो रहे हैं। गत वर्ष कुश्ती के संभाग विजेता पहलवान शांति मीणा, अजहर मोहम्मद, मोहसीन, राज्य स्तर के प्रतिभागी आर. चारु राजपूत, हारुन मंसूरी अवार्ड राशि पाने के लिए खेल अधिकारी कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं।
आखिर कहां है कार्यालय
प्रतापगढ़ जिला खेल अधिकारी का कार्यालय भूल भूलैया से कम नहीं है। यह कार्यालय नीमच नाका स्थित एक कॉलोनी में किराये के भवन में संचालित किया जा रहा है। कार्यालय ऐसी जगह स्थित है। जहां कोई भी शख्स आसानी ने नहीं पहुंच सके। एक ही भवन में खेल कार्यालय और एक सीए का कार्यालय चलता है। खेल कार्यालय में जाने के लिए सीए के कार्यालय से होकर जाना पड़ता है।
सरकार ही उदासीन है तो विभाग क्या करे
इस संबंध में जब खेल अधिकारी गिरधारीसिंह चौहान से जानकारी लेनी चाही तो वे बात को टाल मटोल कर कुछ भी कहने से बचते रहे। काफी जोर देने पर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से विगत दो वर्षो में किसी भी प्रतियोगिता के लिए न तो कोई बजट ही मिला है और न ही कोई दिशा निर्देश मिले। महिला खेल , पाईका जैसी प्रतियोगिता को भी राज्य सरकार की ओर से बंद करा दिया गया है। जब सरकार ही उदासीन है तो विभाग क्या करें।
२०१३ के बाद कोई खेल सामग्री नहीं मिली
वर्ष २०१३ में अंतिम बार खेल सामग्री का आवंटन किया गया था। उसके बाद से अब तक खेल विभाग की ओर से कोई खेल सामग्री आंवटित नहीं की गई है। विगत दो वर्षों से जिला एवं ब्लॉक स्तरीय खेल आयोजन नहीं कराए गए हैं। खेल विभाग की उदासीनता का फल खिलाड़ी भोग रहे हैं। महज कागजों में ही प्रतियोगिताएं हो रही है। खेल अधिकारी की उदासीनता ही है कि लाखों रुपए की लागत से निर्मित एथलेटिक्स ट्रेक जिम्मेदारी के अभाव में मापदण्ड अनुसार निर्मित नहीं हो रहा। इसको लेकर भी खेल अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं।
इन्दरमल मीणा, जिलाध्यक्ष शारीरिक शिक्षक संघ, प्रतापगढ़
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