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आदिवासी बहुल जिले में नही टिकते डॉक्टर

locationप्रतापगढ़Published: Jul 14, 2019 02:54:51 pm

Submitted by:

Ram Sharma

 
नहीं आना चाहते अन्य जिलों के चिकित्सक(district hospital)
पिछड़े इलाके की छवि बन रही बाधक(health news)डॉक्टरों के परिवार नहीं आना चाहते यहां

pratapgarh

आदिवासी बहुल जिले में नही टिकते डॉक्टर


प्रतापगढ़. सरकार के कई प्रयासों के बावजूद जिले में चिकित्सकों की भारी कमी बनी हुई है। सरकार कई बार यहां चिकित्सक लगाती है। लेकिन डॉक्टर जिले में सरकारी चिकित्सालयों में नहीं रुकते। वे या तो ट्रांसफर करवा लेते हैं या कोर्ट से स्टे ले आते हैं। इसका कारण है आदिवासी बहुल जिलों में स्थानीय निवासी डॉक्टरों की कमी और जिले में कई गांवों और कस्बों में शिक्षा और यातायात के साधनों जैसी सामान्य सुविधाएं खराब होना। ऐसे में अन्य जिलों के चिकित्सक यहां नहीं आ पाते। जिला मुख्यालय सहित बड़े कस्बों में भी पर्याप्त सुविधाएं नहीं होने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिला चिकित्सा सुविधाओं के लिहाज से पहले ही खराब स्थिति में है, ऊपर से चिकित्सकों के रिक्त पद हालत और बिगाड़ रहे हैं। हालत यह है कि जिला चिकित्सालय में स्वीकृत 56 पदों में से केवल 24 चिकित्सक ही कार्यरत है। सरकार यहां कई बार चिकित्सकों की पोस्टिंग करती है, लेकिन अधिकांश चिकित्सक तबादला निरस्त करवा लेते हैं या कुछ दिन काम करने के बाद वापस तबादला करवा लेते हैं। जिला मुख्यालय पर बुनियादी सुविधाओं की कमी और बड़े शहरों से कनेक्टिविटी की समस्या के चलते यहां कोई चिकित्सक आना ही नहीं चाहता। अभी हाल ही यहां सरकार ने चार चिकित्सक लगाए थे। इसमें से तीन ने ज्वाइन किया। इसी तरह लोकसभा चुनाव से पहले छह चिकित्सक गए थे। उनमें से एक भी चिकित्सक नहीं आया।
नर्सिंग कर्मचारियों की भी काफी कमी:
जिला चिकित्सालय में नर्सिंग कर्मचारियों की भी कमी है। यहां मेलनर्स प्रथम के 27 में से 15 एवं द्वितीय के 115 में से 93 ही कार्यरत है। नर्सिंग अधीक्षक के दोनों पद रिक्त है। प्रशासनिक अधिकारी के तीनों पद भी रिक्त है।
क्या है मापदंड:
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में एक चिकित्सक को प्रतिदिन औसतन 18 से 20 मरीज से ज्यादा नहीं देखना चाहिए। अमरीका के जर्नल ऑफ जनरल इंटरन मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार निर्धारित संख्या से ज्यादा देखने पर वह मरीज को ज्यादा समय नहीं दे पाता। मानसिक दबाव भी पड़ता है। इससे डॉक्टर का मरीज के प्रति व्यवहार रुखा हो जाता है।
क्यों नहीं आना चाहते डॉक्टर
चिकित्सक इस मामले में खुलकर बातचीत नहीं करना चाहते, लेकिन अनौपचारिक बातचीत में वे बताते है कि प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका होने से प्रदेश से अन्य जिलों के चिकित्सक यहां नहीं आना चाहते। जिले में आधारभूत सुविधाओं की कमी है। रेल और हवाई यात्रा जैसी सुविधाएं भी नहीं है। बस सेवा भी समुचित नहीं है। शिक्षा के संसाधन भी अन्य शहरों की तुलना में कमजोर है। ऐसे में बाहरी चिकित्सक यहां टिक नहीं पाता। अरनोद जैसे कस्बे में चिकित्सकों के नहीं टिकने का एक अन्य कारण यहां पीजी डॉक्टरों को गांव में नियुक्ति का अनुभव प्रमाण पत्र नहीं मिलना भी है।
यह है जिले में चिकित्सकों की स्थिति
ब्लॉक स्वीकृत रिक्त
प्रतापगढ़ 19 10
धरियावद 34 8
अरनोद 17 15
छोटीसादड़ी 14 6
पीपलखूंट 13 7
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