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विडम्बना…प्रतापगढ़ में नहीं आते बाहर के चिकित्सक, खाली हैं कई पद

locationप्रतापगढ़Published: May 10, 2019 12:43:08 pm

Submitted by:

Ram Sharma

सरकार ने लगाए थे 7 नए चिकित्सक, एक ने ही किया ज्वाइनसरकार कई बार करती है चिकित्सकों की पोस्टिंग, हर बार करवा लेते हैं निरस्त

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विडम्बना…प्रतापगढ़ में नहीं आते बाहर के चिकित्सक, खाली हैं कई पद

प्रतापगढ़ .आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिला चिकित्सा सुविधाओं के लिहाज से पहले ही खराब स्थिति में है, ऊपर से चिकित्सकों के रिक्त पद हालत और बिगाड़ रहे हैं। हालत यह है कि जिला चिकित्सालय में स्वीकृत 56 पदों में से केवल 22 चिकित्सक ही कार्यरत है।
सरकार यहां कई बार चिकित्सकों की पोस्टिंग करती है, लेकिन अधिकांश चिकित्सक तबादला निरस्त करवा लेते हैं या कुछ दिन काम करने के बाद वापस तबादला करवा लेते हैं। जिला मुख्यालय पर बुनियादी सुविधाओं की कमी और बड़े शहरों से कनेक्टिविटी की समस्या के चलते यहां कोई चिकित्सक आना ही नहीं चाहता। इसका ताजा उदाहरण पिछले माह आचार संहिता लगने से पहले जारी चिकित्सकों की तबादला सूची है। इस सूची में सरकार ने जिला चिकित्सालय में सात नए चिकित्सक लगाए, लेकिन उनमें से केवल एक चिकित्सक ने ज्वाइन किया। शेष 6 चिकित्सक आज तक नहीं आए।
चिकित्सा विभाग की ओर से जारी तबादला सूची में यहां कुल 27 कार्यरत चिकित्सकों में से 6 का तबादला अन्यत्र कर दिया है। वे सभी तुरंत यहां से चले गए, इसकी एवज में पहले यहां तीन चिकित्सकों को लगाया गया है, जो अब तक नहीं आए। उन्होंने अपना तबादला निरस्त करवा लिया। इसके बाद आचार संहिता लागू होने के दो तीन दिन पहले सरकार ने एक और सूची जारी की। इस सूची में प्रतापगढ़ जिला चिकित्सालय में 7 चिकित्सक लगाए गए।
उनमें से मात्र एक चिकित्सक ने ज्वाइन किया। शेष 6 चिकित्सक आज तक नहीं आए। सरकार ने आचार संहिता को देखते हुए चुनाव आयोग से स्पेशल अनुमति भी ली थी। इसके बावजूद वे चिकित्सक यहां नहीं आए। ऐसे में जिला चिकित्सालय में चिकित्सकों का अभाव है।
नर्सिंग कर्मचारियों की भी कमी: जिला चिकित्सालय में नर्सिंग कर्मचारियों की भी कमी है। यहां मेलनर्स प्रथम के 27 में से 15 एवं द्वितीय के 115 में से 93 ही कार्यरत है। नर्सिंग अधीक्षक के दोनों पद रिक्त है। प्रशासनिक अधिकारी के तीनों पद भी रिक्त है।
क्या है मापदंड
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में एक चिकित्सक को प्रतिदिन औसतन 18 से 20 मरीज से ज्यादा नहीं देखना चाहिए। अमरीका के जर्नल ऑफ जनरल इंटरन मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार निर्धारित संख्या से ज्यादा देखने पर वह मरीज को ज्यादा समय नहीं दे पाता। मानसिक दबाव भी पड़ता है। इससे डॉक्टर का मरीज के प्रति व्यवहार रुखा हो जाता है।
क्यों नहीं आना चाहते डॉक्टर
चिकित्सकों से बातचीत में वे बताते है कि प्रतापगढ़ पिछड़ा इलाका होने से प्रदेश से अन्य जिलों के चिकित्सक यहां नहीं आना चाहते। जिले में आधारभूत सुविधाओं की कमी है। रेल और हवाई यात्रा जैसी सुविधाएं भी नहीं है। बस सेवा भी समुचित नहीं है। शिक्षा के संसाधन भी अन्य शहरों की तुलना में कमजोर है। ऐसे में बाहरी चिकित्सक यहां टिक नहीं पाता।
क्या है ऊपाय
सरकार को राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर ऐसे नए डॉक्टरों को यहां लगाना चाहिए जो प्रतापगढ़ या आसपास के जिलों के हो, ताकि वह यहां मन लगाकर काम कर सके। मेडिकल कॉलेजों में नए दाखिलों पर भी नजर रखनी होगी।
56 के मुकाबले 22 डॉक्टर
यहां जिला चिकित्सालय में कुल 56 चिकित्सकों के पद स्वीकृत है। इसमें वर्तमान में 22 डॉक्टर कार्यरत है। जबकि चिकित्सालय में औसतन 500 से 600 मरीज प्रतिदिन इलाज करवाने के लिए आते हैं। यहां वरिष्ठ विशेषज्ञों के 5 पद स्वीकृत है। इनमें से दो ही कार्यरत है। कनिष्ठ विशेषज्ञ के 16 पद स्वीकृत है, इनमें से मात्र 3 ही कार्यरत है। इसके साथ ही वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के दो पद खाली है। चिकित्साधिकारी के 26 में से 13 ही कार्यरत है। एक दंत चिकित्सक कार्यरत है। चिकित्साधिकारी के 8 पदों में से दो ही कार्यरत है। चिकित्सालय में रेडियोग्राफर भी एक ही है। जबकि हर माह ढाई हजार एक्सरे किए जाते हैं।
आचार संहिता हटने के बाद ही कुछ होगा
स्थानांतरण के बाद 6 चिकित्सकों को रीलिव कर दिए है, जबकि नए लगाए गए 7 चिकित्सकों में से एक चिकित्सक ने यहां ज्वाइन किया है। अब तो आचार संहिता हटने के बाद ही कुछ किया जा सकता है। अभी हम व्यवस्था कर सेवाएं दे रहे हैं।
डॉ. ओ पी दायमा, उप प्रमुख चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़
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