scriptफोरलेन के किनारे अरावली छलनी, मशीनों से बुरी तरह काटा जा रहा | Mining in Aravali range at udaipur-nathdwara fourlane | Patrika News

फोरलेन के किनारे अरावली छलनी, मशीनों से बुरी तरह काटा जा रहा

locationप्रतापगढ़Published: Nov 09, 2016 03:51:00 pm

Submitted by:

madhulika singh

उदयपुर-नाथद्वारा फोरलेन बना बिल्डरों, डवलपर्स की पहली पसंद

उदयपुर-नाथद्वारा का गोमती फोरलेन अब बड़े बिल्डरों, भूमि दलालों, डवलपर्स की पहली पसंद बनता जा रहा है, जिसका खमियाजा छलनी होती जा रही अरावली को भुगतना पड़ रहा है। कैलाशपुरी, कालीवास पंचायतें इन बड़े उद्योगपतियों की पहली पसंद बन चुकी है, जहां गांवों के तालाब, नाड़ी, फोरलेन और जंगल के व्यू दिखाने के चक्कर में बड़े पैमाने पर 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली इस अरावली रेंज को भारी मशीनों से बुरी तरह काटा जा रहा है। 
READ MORE: हड़प्पा सभ्यता के राज खोलेगी डिंगल-पिंगल, उदयपुर में सुरक्षित दुर्लभ शैली के 7 हजार गीतों पर होगा विशेष शोध

सुप्रीम कोर्ट से 100 मीटर ऊंचाई की अरावली रेंज में खनन पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद खान विभाग और उदयपुर तथा राजसमंद जिला प्रशासन इस आदेश की पालना कराने में गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं। बड़े उद्योगपतियों और राजनीतिक हस्तक्षेप होने के कारण इन रसूखदारों ने चप्पे-चप्पे पर फोरलेन के दोनों ओर पहाड़ों को उधेड़कर रख दिया है। इससे गांवों के जलाशयों का कैचमेंट जबर्दस्त तरीके से भी प्रभावित हो गया है।
निजी विला, रिसोर्ट, होटल, कॉलेज के लिए कटाई 

कैलाशपुरी पंचायत के चीरवा गांव से राजसमंद के नाथद्वारा तहसील की कालीवास पंचायत, लीलेरा गांव, झालों का गुढ़ा, मठाठा आदि इलाकों में कहीं कॉलेज, रिसोर्ट तो कहीं होटल, रेस्त्रां तो कहीं फैक्ट्री तो कहीं निजी विला आदि बनाने के व्यापक काम चालू हैं। हालत यह हो गई कि इन प्रतिबंधित खनन क्षेत्र वाले पहाड़ों के मलबे को अपने प्रोजेक्ट्स के लिए भराव में काम लेने से खान विभाग को राष्ट्रीय संपत्ति खनिज का भारी नुकसान हुआ है तो सुरम्य क्षेत्रों में जंगल को प्रदूषण से नुकसान भी।
बिना एसटीपी खुदाई, मलबे की चोरी

मामूली ऊंचाई वाली पहाडि़यों की खुदाई के लिए खान विभाग से एसटीपी तक कई निवेशकर्ताओं ने नहीं ली हुई है जबकि यहां से निकाले जा रही भारी मात्रा में पत्थरों, मिट्टी के मलबे की एक तरह से चोरी कर अपनी निजी प्लानिंग में डंप करके लेवल करने का खुला खेल चल रहा है।
READ MORE: प्रवासी मेवाड़ी बोले, यूएसए में पहली बार देखा ऐसा चुनाव

कटाई का कानून में प्रावधान नहीं

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम 1955 की धारा-519, में एग्रीकल्चर होल्डिंग में करने की परिभाषा में पहाड़ों को काटकर समतल करने जैसा कोई प्रावधान नहीं है। धारा-60 में काश्तकार के उसकी भूमि में सुधार के अधिकारों के बारे में बताया गया है। उपरोक्त कानूनी स्थिति की व्याख्या करने वाले 30 अप्रेल 1962 के परिपत्र आदि में काश्तकार को अपनी भूमि पर धारा 519, में बताए सुधार करने का अधिकार है, जो धारा-66 के अधीन है तथा स्वयं के निवास के लिए कुल क्षेत्र का 1/40 भाग तक स्वयं के निवास और कृषि उपकरणों, यंत्रों, पशुओं के निवास के लिए उसे निर्माण करने का अधिकार है लेकिन किसी भी रूप में पहाडि़यों को काटने का अधिकार इन प्रावधानों में वर्णित नहीं है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो