right in forest वन अधिकार का लालच, जंगल में बढऩे लगा अतिक्रमण
वन विभाग के सामने चुनौती
कई स्थानों पर हटाए जा रहे अतिक्रमण
वन अधिकार लेने की होड़ में किए जा रहे वन भूमि पर कब्जे

प्रतापगढ़
गत वर्षों से शुरू हुआ वन अधिकार कानून का कई स्थानों पर दुरुपयोग भी होने लगा है। वन अधिकार की आस में जंगल में कई स्थानों पर पेड़ों की कटाई कर खेत बनाए जा रहे है। अब हालात यह है कि प्रतिवर्ष यहां जंगलों में नए अतिक्रमण किए जा रहे है। बारिश होने के बाद ही यह स्थिति बढ़ जाती है। जिससे पेड़ों की कटाई की जा रही है। ऐसे में गत वर्षों से जंगल में पेड़ों की संख्या भी कम होती जा रही है।
वन अधिकार कानून के तहत वर्ष २००५ से पहले के कब्जों को ही इसके दायरे में लिया गया है। इसके लिए वन विभाग, राजस्व विभाग की कमेटी बनी हुई है। इसके रिपोर्ट के आधार पर वन अधिकार दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन आगे भी वन अधिकार पत्र देने की आस में जिले में नए अतिक्रमण किए जा रहे है। जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। कई स्थानों पर अतिक्रमण बढ़ रहे है। आगे से भविष्य में भी पट्टे जारी होने की संभावना के चलते वन भूमि में अतिक्रमण की होड़ मची हुई है। वन भूमि से वन संपदा को नष्ट कर हंकाई कर खेत बनाए जा रहे है।
यह है जिले में वन अधिकार की स्थिति
जिले में वन अधिकार कानून लागू किया गया। इसके तहत गत वर्ष तक जिले में कुल ७४३९ वन अधिकार पत्र वितरित किए गए है। इसके बाद ८२६१ आवेदनों को कई कारणों के चलते अपात्र घोषित कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा जिन लोगों ने अवैध तरीके से वन भूमि पर कब्जा किया था। उन्हें अपात्र मानकर वन भूमि से बेदखल करने का निर्णय लिया था। इस कार्यवाही से किनारा काटने के लिए जनजाति विभाग, राजस्व, वन विभाग द्वारा पेंडिंग दावों का निस्तारण करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें सरकारी महकमों द्वारा संयुक्त जांच की जा रही है । इसी के तहत गत दिनों तक कुल १५ पट्टे पात्र माने गए थे। इनको हाल ही में सुहागपुरा में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों पट्टे वितरित किए गए है।
देवगढ़ रेंज में हटाया अतिक्रमण
जिले के देवगढ़ क्षेत्र में बारिश के बाद कई स्थानों पर अतिक्रमण की शिकायत विभाग को मिली थी। रेंजर भगवतसिंह ने बताया कि हाल ही में विभाग की टीम ने दो स्थानों से अतिक्रमण हटाया है। यहां जंगल में पेड़ काटकर झोंपड़ी बनाई जा रही थी। पास में में हंकाई भी की गई थी। इसकी सूचना मिलने पर अतिक्रमण को हटाया गया।
वन सुरक्षा समिति ने लिखा प्रधान मुख्य वन संरक्षक को पत्र
वन अधिकार को लेकर प्रतापगढ़ जिले में बन रही वस्तुतिथि को लेकर वन में अतिक्रमण को लेकर पत्र लिखा है। विन सुरक्षा समिति के अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह चिकलाड़ ने बताया गया कि वर्ष २००५ से पूर्व के वन भूमि पर काबिज पात्रता रखने वाले लोगों को वन अधिकार मिलने और कार्रवाई जारी होने के कारण नुकसान हो रहा है। वन अधिकार पत्र मिलने के कई लोग अपात्र है। जिले के सीतामाता अभयारण्य में जाखम में सर्वाधिक पट्टों की आस में वन काटकर वन भूमि पर कब्जे करने की होड़ मची हुई है। वन अधिकार मान्यता कानून की आड़ में जंगलों का सफाया किया जा रहा है। वहीं जंगली जीवों पर संकट गहराने लगा है।
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा वन अधिकार मान्यता कानून के तहत जारी किए जा रहे पट्टों से जंगलों का सफाया होना शुरू हो गया है। जंगलों में हो रहे अतिक्रमण को रोकने और इस अधिनियम के तहत पट्टे देने में राजनीतिक दबाव को दरकिनार करने की मांग की है। ऐसा ही होता रहा तो आने वाले समय में वन भूमि, वन एवं वन्य जीव सिर्फ कागज की फाइलों में सिमट कर रह जाएंगे। वहीं दूसरी ओर जिन लोगों के परिवार के खातों में राजस्व भूमि है, वह खेती करते हैं, ऐसे लोगों को पट्टे दिए जा रहे हैं। ऐसे परिवार के लोग जिनके सदस्य सरकारी, गैर सरकारी संस्था में लगे हुए हैं और रोजगार से जुड़े हैं, आर्थिक स्थिति संपन्न है। वे लोग पट्टा लेने के लिए आवेदन कर रहे हैं। समिति ने मांग की है कि जंगल बचाने और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए उचित कार्रवाई अमल में लाई जाए।
कर रहे कार्रवाई, गश्ती दल को निर्देश
यह सही है कि जिले में बारिश के बाद जंगल में अतिक्रमण बढ़ जाते है। इसे देखते हुए विभाग के कर्मचारियों को इस पर नजर रखने के निर्देश दिए हुए है। जहां भी अतिक्रमण जैसी सूचना मिलती है, वहां विभाग की टीम को भेजते है। गश्ती दल को भी निर्देश दिए हुए है कि अतिक्रमण पर नजर रखें और तत्काल कार्रवाई कर हटाएं।
संग्रामसिंह कटियार
उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़
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