scriptचार नाबालिग बच्चे गडरियों के चुंगल में, एक को छुड़ाया, तीन की तलाश | Four minors kidnapped in the chandelier, rescued one, looking for thre | Patrika News

चार नाबालिग बच्चे गडरियों के चुंगल में, एक को छुड़ाया, तीन की तलाश

locationप्रतापगढ़Published: Apr 23, 2019 10:31:50 am

Submitted by:

Ram Sharma

स्कूल जाने की उम्र में बंधुआ मजदूरी की विवशता, भाग कर इंदौर जा पहुंचा था एक बालक

pratapgarh

चार नाबालिग बच्चे गडरियों के चुंगल में, एक को छुड़ाया, तीन की तलाश

प्रतापगढ़. जिले के पीपलखूंट थाना क्षेत्र के भैंह ठैसला गांव में आदिवासी परिवार के चार बालकों को भेड़े चराने के लिए एक गडरिये को गिरवी रखने का मामला सामने आया है। इन चार बालकों में से एक बालक भागकर इंदौर जा पहुंचा। वहां की चाइल्ड लाइन संस्था ने उसे इंदौर की बाल कल्याण समिति को सुपुर्द किया। फिलहाल तीन अन्य बालकों की तलाश की जा रही है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी एक बालक को चाइल्ड लाइन की ओर से मुक्त कराने का मामला सामने आया था। इसके बाद अब भैह ठैसला गांव का ही एक ओर मामला सामने आया है। चाइल्ड लाइन वाग्धारा बांसवाड़ा के जिला समन्वयक परमेष पाटीदार ने बताया कि गांव भैंह ठैसला के चार नाबालिग बालकों को उनके परिजनों ने एक गडरिया परिवार को भेड़े चराने के लिए दे दिया। इसके बदले में गडरिया परिवार ने इन बालकों के परिजनों को कुछ राशि दी। यह बच्चे पढ़ाई लिखाईछोडकऱ पिछले छह माह से गडरिया परिवार के कब्जे में ही था। वह उनसे भेड़े चरवाने का काम कर रहा था।
चाइल्ड लाइन संस्था की टीम को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने इन बच्चों के परिवारों की निगरानी की। इस दौरान सूचना मिली कि एक बालक गडरियों के चुंगल से भागकर चाइल्ड लाइन इंदौर के पास पहुंचा। उसे बाल कल्याण समिति इंदौर के समक्ष प्रस्तुत किया। समिति ने बालक को इंदौर की ही सागर सेवा संस्थान में पुनर्वास करवाया गया। चाइल्ड लाइन की टीम सोमवार भैंह ठैसला गांव पहुंची एवं परिजनों से बातचीत की। परिजन बहुत घबराए हुए थे। काफी देर तक समझाइश के बाद उन्होंने बताया कि बच्चों को नाथू नामक गडरिया लेकर चला गया है। इसके बदले में कुछ राशि परिजनों को दी है।
नहाने देता था न खाने देता था गडरिया
चाइल्ड लाइन वाग्धारा बांसवाड़ा के जिला समन्वयक पाटीदार ने बताया कि इंदौर में पुनर्वास करवाए गए एक बालक से जब फोन पर बातचीत की गईतो उसने बताया कि गडरियों द्वारा उन्हें चार-चार दिन तक नहाने नहीं दिया जाता था। दिनभर कड़ी धूप में रखा जाता था। खाना भी समय पर नहीं मिलता था। इस बालक ने बताया कि प्रताडऩा से तंग आकर वह मौका देखकर वहां से भाग गया। वहां स्थानीय लोगों ने चाइल्ड लाइन को सुपुर्द कर दिया। पाटीदार ने बताया कि चाइल्ड लाइन एवं बाल कल्याण समिति इंदौर को पत्र के माध्यम से अवगत करवाया गया एवं प्रतापगढ़ बाल कल्याण समिति को भी अवगत करवाया है। इस कार्रवाई के दौरान चाइल्ड लाइन टीम के कमलेष बुनकर, कान्तिलाल यादव, बासुड़ा कटारा व निशा चौहान आदि मौजूद रहे।
गांव में ऐसे कईमामले हैं
&प्रतापगढ़ जिले के पीपलखूंट तहसील क्षेत्र में गरीब आदिवासी परिवारों के बच्चों को गडरियों को देने के कई मामले हैं। थोड़े पैसे के लालच में आदिवासी अपने बच्चों को इनको दे देते हैं। पढ़ाई लिखाई की उम्र में बच्चे मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलते हैं। गौरतबल है कि पहले भी संस्था ने पीपलखूंट इलाके के एक बच्चे को मुक्त करवाया था। प्रशासन समय पर ध्यान देता तो अन्य बच्चे इस संकट से मुक्त हो सकते थे। लेकिन पिछली घटना से पुलिस व प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया।
कमलेश बुनकर, सदस्य, चाइल्ड लाइन वाग्धारा बांसवाड़ा
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो