scriptअष्टमी पर मंदिरों में किया हवन | Havan done in temples on Ashtami | Patrika News

अष्टमी पर मंदिरों में किया हवन

locationप्रतापगढ़Published: Oct 14, 2021 07:15:03 am

Submitted by:

Devishankar Suthar

प्रतापगढ़.शारदीय नवरात्र के तहत अष्टमी का पर्व बुधवार को मनाया गया। इस मौके पर मंदिरों में हवन हुए। वहीं प्रमुख शक्तिपीठों पर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेजे के साथ जवारा विसर्जन भी किए गए।

अष्टमी पर मंदिरों में किया हवन

अष्टमी पर मंदिरों में किया हवन


-शक्तिपीठों पर लगी कतारें
– घरों में माता का किया पूजन
प्रतापगढ़.
शारदीय नवरात्र के तहत अष्टमी का पर्व बुधवार को मनाया गया। इस मौके पर मंदिरों में हवन हुए। वहीं प्रमुख शक्तिपीठों पर श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेजे के साथ जवारा विसर्जन भी किए गए। शहर के राज राजेश्वरी, बाणमाता मंदिर, अम्बामाता मंदिर, छोटीसादड़ी के भंवरमाता मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं।
वहीं दूसरी ओर श्री ब्रह्म ज्योति संस्थान द्वारा संचालित श्री ब्रह्म ज्योति वैदिक गुरुकुल दीपनाथ महादेव मंदिर परिसर में नवरात्र महोत्सव केश्री ब्रह्म ज्योति संस्थान के अध्यक्ष आशीष शर्मा व उपाध्यक्ष जितेंद्र शर्मा द्वारा प्रात: गणपति व स्थापित देवताओं की पूजन किया गया। मां भगवती महागौरी का शक्रादय स्तुति से अभिषेक किया गया। श्री ब्रह्म ज्योति वैदिक गुरुकुल के आचार्य पंडित दिनेश द्विवेदी ने बताया कि मां भगवती महागौरी का रक्त पुष्पों के द्वारा सहस्त्रार्चन किया गया। अष्टमी पर्व पर बटुकों द्वारा ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मन्त्र से 50 हजार आहुति का हवन किया गया। सप्तश्लोकी दुर्गा के 108 पाठ किए गए। रात्रि कालीन में मां भगवती पीतांबरा देवी का सहस्रनामावली से हवन किया गया।
इसी प्रकार निकटवर्ती संचई गांव में माता के मंदिर में कद्दू की बलि देकर परम्परा निभाई गई। यहां गांव के शिवसिंह, हर्षवद्र्धनसिंह जाड़ावत ने बताया कि गत कुछ वर्षों से अष्टमी पर यहां माता के मंदिर में पशु बलि की जगह कद्दू की बलि दी जा रही है। इस मौके पर मंदिर में हवन भी किया गया। जिसमें मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ में आहुतियां दी गई। यहां कद्दू की बलि देकर परम्परा निभाई।

खेरोट. अष्ठमी के महापर्व पर गांव के सभी मंदिरों पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहा। घर-घर में हवन की आहुतियां दी गई। साथ ही सभी मंदिरों पर लगे गरबा पंडाल को विशेष आकर्षक रूप से सजाया गया। कई जोड़ों ने यज्ञ में आहुतियां दी। महा अष्टमी दुर्गा पूजा के महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। नौ दिनों के इस पर्व में मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। महा अष्टमी वाले दिन मां गौरी की पूजा की जाती है। इस दिन पूजा पाठ और विशेष तौर परा कन्या पूजन किया जाता है। गांव में घर-घर मे सभी मंदिरों पर यज्ञ हवन होने से पूरे गांव में भक्तिमय माहौल हो गया।
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अति प्राचीन है अचनारा में हिंगलाज माता का मंदिर
बरखेड़ी. निकटवर्ती अचेनरा गांव में माता हिंगलाज का मंदिर काफी पुराना है। हालांकि यहां माता की प्रतिमाओं के बारे में वर्ष २०११ से जानकारी मिली। इसके बाद यहां ओटले पर अभी निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
ग्राम पंचायत के अचनेरा में हिंगलाज माता के दर्शन करने के लिए कई गांवों से श्रद्धालु पहुंच रहे है।
यहां श्रद्धालु चैत्र नवरात्र में धधकते अंगारों पर नंगे पांव चलकर हिंगलाज माता के दर्शन करते है। हिंगलाज माता के पंडा मुकेश सांसरी ने बताया कि यहां अति प्राचीन मन्दिर का स्थान है। जो 2011 में जागृत हुआ। उन्होंने बताया कि काफी वर्षों पहले यहां पर चैत्र नवरात्र में अंगारे धधकाए जाते थे। इस पर चलकर माता के दर्शन किए जाते थे। धधकते अंगारों पर चलकर हिंगलाज माता के दर्शन करते है। इसके पहले पास में ही एक बावडी और तालाब है। जिसमें स्नान कर अंगारों पर चलते है। इसके अलावा वर्षभर यहां श्रद्धालुओं की रेलमपेल लगी रहती है।
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