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रामकथा में बताया संत और सत्संग का महत्व

locationप्रतापगढ़Published: Apr 17, 2018 09:55:14 am

Submitted by:

rajesh dixit

रामकथा में बताया संत और सत्संग का महत्व

pratapgarh
रामकथा में बताया संत और सत्संग का महत्व
बरखेड़ी निकटवर्ती खेडिय़ा माता मंदिर परिसर में चल रही आठ दिवसीय रामकथा के दूसरे दिन सोमवार को कथा वाचक शांन्तिकुंज हरिद्वार के संत रामशरण ब्रह्मचारी महाराज ने संत और सत्संग का महत्व बताया।
उन्होंने कहा कि आज भी रामचरित मानस में संस्कार और संस्कृति पूर्ण रूप से समाहित है। तुलसीदास ने भगवान राम दरबार का जीवन सटीकता के साथ भरा बताया है। राम की मर्यादा, वीरता और सामान्य जन के प्रति उनके प्रेम से अत्यंत प्रभावशाली रहा है। भगवान राम द्वारा साधारण मानव के रूप में किए गए सद्कर्मों की कथा को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए ही तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना की। जिसके सुनने से व्यक्ति का कल्याण होता है। महाराज ने मानस प्रेम की रसधार बहाते हुए कहा कि प्रेम एक आग है। इसमें उतरकर ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है। कौशल्या के घर में परमात्मा था। इसीलिए वहां पर राम प्रकट हुए। प्रेम को उपासना बताते हुए महाराज ने कहा कि सच्चे प्रेम में कभी भी वासना नहीं हो सकती है। आत्मा, मन, बुद्धि, अंहकार, आनन्द जिस प्रकार सभी में होते है। वैसे ही प्रेम भी सभी में होता है। मगर झूठ के कारण प्रेम प्रकट नहीं हो पाता है। उन्होंने प्रेम के दो रूप बताते हुए कहा कि प्रेम विकृत तथा संस्कारवान होता है। विकृत प्रेम में प्रतिशोध की भावना तथा भीषणता होती है। जबकि संस्कारवान प्रेम शालीन तथा मर्यादा में सुशोभित होता है।
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प्रशासन ने कर ली ‘आंख व कान’ बंद
-हादसा हो गया तो क्या बच जाओगे जिम्मेदारी से
-विभाग की चेतावनी, फिर भी आखिर अनदेखी क्यों
प्रतापगढ़. राजकीय महल स्कूल की जर्जर दीवारों की सुध लेने वाला कोईनजर नहीं आ रहा है। शहरवासी हैरान है। दुकानदार परेशान हैं। राहगीरों को चिंता रहती है कि यह दीवार कहीं गिर नहीं जाए। इसके बाद भी प्रशासन ने आंख व कान दोनों बंद कर लिए हैं। जिम्मेदार विभागों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
पत्रिका में हादसे बाद ‘क्या टूटेगी जिम्मेदारों की नींद’ शीर्षक से इस ज्वलंत मुद्दे को उठा रखा है। शहरवासी चाहते है कि दीवार जल्द से जल्द ढहाई जाए, ताकि कोईहादसा नहीं हो। लेकिन शायद प्रशासन किसी हादसे के इंतजार में ही बैठा है।

आखिर जिम्मेदारी कौन लेगा?
भवन किसी भी महकमे का हो, जब सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से भवन को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है तो फिर ये अनदेखी क्यों? ये बात समझ से परे है। इससे जाहिर है कि जिम्मेदार अधिकारी व प्रशासन किसी अनहोनी का इंतजार कर रहे हैं। अन्यथा दो वर्ष की अवधि में जर्जर भवन को गिरा कर पुन: निर्माण किया जा चुका होता। संकल्प, समर्पण एवं इच्छा शक्ति हो तो सभी कार्य पूरे किए जा सकते हैं। भविष्य में कोई घटना घटित होती है तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? सार्वजनिक निर्माण विभाग एक जिम्मेदार विभाग है। उसने अपना कर्तव्य पूरा किया अब प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है कि जर्जर भवन के साये से भविष्य में होनी वाली किसी अप्रिय घटना से लोगों सुरक्षा मुहैया करावें।
तरूणदास बैरागी,
समाजसेवी (योग शिक्षक)प्रतापगढ़
अक्सर गिरते रहते हैं पत्थर
विगत एक दशक से हम इस विद्यालय भवन को लेकर चिंतिंत है। वर्तमान पार्षद श्यामसुन्दर पालीवाल और मैंने कई बार मौखिक व लिखित जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को समस्या से अवगत कराया है। बारिश के दिनों में अक्सर जर्जर भवन से पत्थर आदि गिरते रहते है। सार्वनिक निर्माण विभाग ने जब इसे असुरक्षित करार दिया है तो इसके पुनर्निमाण के लिए भी कार्रवाई करें। और आमजन को सुरक्षा प्रदान करावें। क्षेत्र के लोगों की शहर के प्रमुख बाजार में इसी गली से ही आवाजाही रहती है। जर्जर दीवार कभी भी हादसे का सबब बन सकती है।
रामेश्वर लाल टेलर
जिला महामंत्री
भाजपा ओबीसी प्रकोष्ठ, प्रतापगढ़
बॉक्स में …
विडम्बना: भवन एक, स्कूल तीन जगह
राजकीय बालिका महल स्कूल जर्जर भवन के चलते तीन अलग-अलग जगहों पर संचालित किया जा रहा है। कक्षा एक से पांच तक की कक्षा महल स्कूल में संचालित हो रही है, कक्षा 6 से 8 नई आबादी स्थित सूरजपोल स्कूल भवन में तो 9 से 12 तक की कक्षा किला रोड स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में इसके चलते प्राचार्य को तीनों स्कूल के प्रबंध एवं देखरेख में काफी समय एवं श्रम भी बर्बाद हो रहा है। वहीं छात्राओं व अभिभावकों को भी आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। भवन अभाव में कक्षा 6 से 8 तक की कक्षाएं सूरजपोल स्कूल में संचालित हो रही है। जिससे प्रबंधन को लेकर काफी परेशानी हो रही है। यदि जर्जर भवन का पुन: निर्माण हो जाए तो कक्षा 1 से 8 तक की सभी कक्षाएं एक ही विद्यालय में संचालित हो सकेगी।

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