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प्रतापगढ़

हत्या के अभियुक्तों को आजीवन कारावास

तीन अभियुक्तों को सुनाई सजा

प्रतापगढ़Feb 17, 2018 / 06:40 pm

Rakesh Verma

pratapgarh
प्रतापगढ़. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अमित सहलोत ने हत्या के एक प्रकरण में शनिवार को तीन अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशिष्ट लोक अभियोजक आशुतोष जोशी ने बताया कि 19 जुलाई 1998 को प्रतापगढ़ थाना क्षेत्र के नाया का पठार निवासी दो भाई परथू मीणा, मोहन मीणा व अन्य लोगों पर गांव के ही एक दर्जन लोगों खेरोटगांव में जानलेवा हमला किया था। जिसमें धारिया व लाठिया आदि से हमला किया गया। हमले में परथू और मोहन की मौत हो गई थी। जबकि सूरज मीणा का हाथ कट गया। इस मामले में मृतक परथू के पुत्र शांतिलाल ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले में पुलिस ने एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें से नौ अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा पहले सुनाई गई थी। जबकि मामले में नाया का पठार गांव के रूपा पुत्र आशा, होमला पुत्र खानिया और वालिया पुत्र धुलिया मीणा के प्रकरण चल रहे थे।न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों को शनिवार को आजीवन कारावाास की सजा सुनाई।
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गेहूं की उन्नत किस्म की दी जानकारी
किसान दिवस मनाया
प्रतापगढ़. निकटवर्ती आमलीखेड़ा गांव में कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से गेहंू की किस्म राज-4120 का किसान दिवस आयोजित किया गया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रभारी डॉ. योगश कन्नोजिया ने बताया कि गेहूं की किस्म राज-4120 के 50 प्रदर्शन विभिन्न गोदित गांवों में जनजातिय उप योजना अन्तर्गत वैज्ञानिकों की देखरेख में लगाए गए हैं। उन्होंने बताया की यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में समय पर बुवाई करने पर उच्च उत्पादन व 115-119 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
डॉ. कन्नोजिया ने बताया कि यह किस्म सभी रोगों के प्रतिरोधी हंै। इस किस्म की खास विशेषता है कि दाने पकने पर बिखरते नहीं हैं। साथ ही इसकी औसतन उपज लगभग 50 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर किसान को आसानी से मिल जाती है। डॉ. कनोजिया ने कहा कि कहा कि बुवाई से पहले बीज को सुरक्षा का टीका लगाने के लिए बीजोपचार करें। बीजोपचार से फसलें स्वस्थ रहती हैं। रोगों से छुटकारा मिलता है।
केन्द्र के प्रसार वैज्ञानिक डॉ. बलवीरसिंह बधाला ने बताया कि अच्छी किस्म का बीज बोने से ही किसान अपनी पैदावार में बढोतरी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान दुकानों से कभी भी खुला बीज नही लें।
खुले बीज में कई तरह की मिलावट की संभावना रहती है। डॉ. बधाला ने बताया कि हाईब्रीड बीज को प्रतिवर्ष बदलना चाहिए। केन्द्र के कार्यक्रम सहायक धनपाल कोठारी ने विश्वविद्यालय की राजस्थान खेती प्रताप एवं मुर्गी की प्रताप धन नस्ल की विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम सहायक रमेशकुमार डामोर ने अजोला व पपीते खेती पर प्रकाश डाला। गांव के प्रगतिशील कृषक महिला कारीबाई ने बताया कि किसी प्रकार का रोग व कीट बीमारी नहीं लगी है। इस मौके पर पूर्व सरपंच नन्दलाल मीणा, जगदीश मीणा आदि मौजूद थे।
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