चने के भावों में बढ़ोतरी न होने से किसानों का रुझान कम होने लगा है। पांच वर्ष पहले इसका रकबा 30 हजार हेक्टेयर था, जो घटकर 22 हजार रह गया। नकदी फसल सोयाबीन का रकबा 1,43,000 से घटकर 1,32,000 ही रह गया। लहसुन, प्याज व अस्थिर भाव वाली औषधीय फसलें भी किसानों को आकर्षित नहीं कर पा रहीं। मक्का का रकबा बढ़ा है।