घर पहुंचा मोहन, एक और बालक मिला
प्रतापगढ़Published: Apr 28, 2019 12:02:13 pm
– नाबालिग को गिरवी रखने का मामला- दो और बच्चों को नहीं लगा पता
घर पहुंचा मोहन, एक और बालक मिला
प्रतापगढ़. भेड़े चराने के लिए एक गडरिये के यहां गिरवी रखे गए चार आदिवासी बालकों में से एक बालक मोहन आखिर शनिवार को अपने घर पीपलखूंट के भैठसला पहुंच गया। इस बीच एक और बालक के इंदौर के पास एक गांव में होने की सूचना चाइल्ड लाइन संस्था को मिली है। उसे भी एक दो दिन में छुड़वाकर प्रतापगढ़ लाया जाएगा।
तेरह वर्षीय बालक मोहन को उसके पिता मांगीलाल और अन्य परिजन चाइल्ड लाइन संस्था के प्रतिनिधियों के साथ लेकर शनिवार दोपहर बाद प्रतापगढ़ आए। बालक को यहां बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। बालक मोहन और उसके पिता से बातचीत के बाद समिति ने बालक को उसके पिता को सुपुर्द कर दिया। वे उसे लेकर गांव चले गए।
चाइल्ड लाइन संस्था वाग्धारा बांसवाड़ा के जिला समन्वयक परमेश पाटीदार ने बताया कि बालक और उसके परिजनों की काउंसलिंग करके बालक को स्कूल जाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
एक और बालक की मिली सूचना
चाइल्ड लाइन संस्था के टीम सदस्य कमलेश बुनकर ने बताया कि शनिवार शाम को गडरिए के साथ गए एक और आदिवासी बालक की जानकारी मिली है। वह इंदौर जिले के पास किसी गांव में है। वह राजू गायरी नामक व्यक्ति के साथ है। राजू ने चाइल्ड लाइन संस्था को आश्वासन दिया है कि वह एक दो दिन में बालक को छोड़ देगा। बुनकर ने बताया कि इस बालक को लेने के लिए इंदौर एक टीम जाएगी।
गौरतलब है कि जिले के पीपलखूंट थाना क्षेत्र के भैंह ठैसला गांव निवासी मांगीलाल के पुत्र मोहन और तीन अन्य बालकों को चंद रुपयों के लालच में एक गडरिए के यहां गिरवी रख दिया गया था। गडरिया इन्हें लेकर मध्यप्रदेश की ओर चला गया। वहां गडरिये की प्रताडऩा से तंग आकर बालक मोहन भागकर इंदौर आ गया था। वहां चाइल्ड लाइन संस्था के सहयोग से इंदौर की बाल कल्याण समिति ने एक एनजीओ को अपनी संरक्षा में रखने के आदेश दिए थे। इस बीच बांसवाड़ा की चाइल्ड लाइन संस्थान वाग्धारा के सहयोग से बालक के परिवार का पता लगाया गया। संस्था ने बालक के परिजनों को समझाकर इंदौर भेजा। इंदौर की बाल कल्याण समिति ने प्रतापगढ़ की बाल कल्याण समिति के आग्रह पर गुरुवार को बालक को उसके पिता मोहन को सौंप दिया गया।