मरने के बाद भी नसीब नहीं होती जमीं यहां
आठिनेरा गांव में नहीं है श्मशान(pratapgarh news in hindi)
मरने के बाद भी नसीब नहीं होती जमीं यहां
ग्रामीणों ने उठाई बनाने की मांग
अरनोद .निकटवर्ती आठिनेरा गांव में श्मशान नहीं है। ऐसे में यहां किसी की मौत होने पर अंतिम संस्कार के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
मानव जीवन में इंसान के लिए सोलह संस्कारों का विशेष महत्व बताया गया है, उन्हीं संस्कारों में से एक संस्कार दाह संस्कार कहलाता है, लेकिन जब दाह संस्कार सही तरीके से नहीं होता है। अरनोद तहसील के जाजली पंचायत के आठीनेरा गांव का है। जहां जीते जी तो इंसान को आसरा नहीं मिला, लेकिन मरने के बाद भी जमीन नसीब नहीं हो रही है।
यहां आठीनेरा गांव में श्मशान घाट के अभाव में पिछले कई वर्षों से शिवना नदी एवं हमजाखेड़ी बांध के मध्य गांव के लोगों का दाह संस्कार किया जाता है। जो कि बिल्कुल खुले आसमान के नीचे होता है। यहां छत और ना ही मुर्दे के लिए चारपाई। जिसके कारण बारिश के दिनों में मुर्दे का दाह संस्कार करने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।यही नही जब तेज बारिश के कारण जब हमजा खेड़ी बांध व शिवना का पानी अपना विकराल रूप धारण कर लेता है, तब तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है। जिसके कारण कई बार तो बारिश और बारिश के वेग के थमने का इंतजार करना पड़ता है। लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि आज तक ना तो पंचायत, ना तहसील और ना ही जिला स्तर के अधिकारियों ने ध्यान दिया। जिसके कारण यहां के निवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार पंचायत एवं स्थानीय लोगो की ओर से प्रयास किया गया लेकिन पटवारी की हठधर्मिता के कारण यह मामला सुलझ नही पाया जिसके कारण आज तक ना तो श्मशान भूमि आवंटित हुई। बताया गया कि इस संबंध में उपखंड अधिकारी को भी अवगत कराया गया। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया।