(Negligence) (Problem) यह हंै वो मामले जो खबर प्रकाशन के बाद विभाग ने अधिकारियों को बताने के लिए की खानापूर्ति
1- ऐसा पेचवर्क की वाहन चालकों को गड्ढों से नहीं मिली निजात
शहर से गुजर रहे एनएच 113 पर नई पाइप लाइन डालने के बाद सडक़ निर्माण कार्य लम्बे समय से अधूरा पड़ा हुआ था। जिस पर पत्रिका की ओर से 18 जुलाई के अंक में खबर का प्रकाशन किया गया था। इसके बाद विभाग की ओर से खोदी गई सडक़ पर पेचवर्क किया जा रहा है, लेकिन वहां भी ठेकेदारों व अधिकारियों की लापरवाही सामने नजर आ रही है। पेचवर्क के बाद भी जगह समतल नहीं होने के कारण वाहन चालक गडढ़ो पर वाहन कुदाने पर मजबूर है।
2- डामरीकरण की जगह डाल दी गिट्टी
शहर के एनएच 113 पर ही अम्बेडकर सर्कल से जीरो माइल चौराहे तक कई गड्ढे हो रहे है। इन गड्ढों के कारण एक युवक को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी फिर भी विभाग आंखे मंदे बैठा है। पानी की पाइप लाइन फूटने के कारण जहां-जहां गड्ढे हुए खबर प्रकाशन के बाद जिम्मेदार विभाग की ओर से वहां खानापूर्ति कर दी गई। 3 जुलाई को पत्रिका में प्रकाशित खबर में गांधी चौराहे के पास बने एक बड़े गड्ढें को दिखाया गया था। जिसके बाद उस पर भी डामरीकरण की जगह गिट्टी डाल खानापूर्ति कर दी गई थी। जो गिट्टी अब लोगों की समस्या बन चुंकी है। जिसके चलते कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
3-गड्ढे खोद लोगों को घरों में किया कैद
हाउसिंग बोर्ड कॉलानी में भी सडक़ निर्माण के नाम पर पेचवर्क का कार्य किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों की लापरवाही के चलते लोग अपने घरों में ही कैद होने को मजबूर हैं। कार्य के चलते कॉलोनी में गुरुवार को चारों तरफ से गड्ढे खोदकर कॉलोनी के रास्ते तक बंद कर दिए। लोगों को घर से बाहर आने-जाने में भी बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है वहीं गुरुवार देर रात को भी लोगों को अपने वाहन सडक़ों पर ही खड़े रखने पड़े। शुक्रवार को भी कार्य बंद पड़ा हुआ रहा। जिसके कारण लगातार कॉलोनिवासियां को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं सडक़ खोदने के चलते कई घरों के नल कनेक्शन तक तोड़ दिए गए। इस मामले को लेकर भी पत्रिका लगातार दो दिनों से खबरों का प्रकाशन कर रहा है फिर भी अधिकारी व ठेकेदार लापरवाह बने बैठे है।
4- सडक़ों पर उड़ती धूल से भी नहीं मिलती निजात
शहर में लगातार सडक़ों की हालात खराब होने से शहर में सडक़ों पर उड़ती धूल से भी लोगों को निजात नहीं मिल पा रही है। नगरपरिषद की ओर से सडक़ों पर नियमित सफाई नही होने के कारण वही 22 लाख रूपए की धूल साफ करने की मशीन भी धूल चाट रही है। इस परेशानी को लेकर भी 17 जून को पत्रिका ने खबर का प्रकाशन किया था लेकिन विभाग की ओर से इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया।
1- ऐसा पेचवर्क की वाहन चालकों को गड्ढों से नहीं मिली निजात
शहर से गुजर रहे एनएच 113 पर नई पाइप लाइन डालने के बाद सडक़ निर्माण कार्य लम्बे समय से अधूरा पड़ा हुआ था। जिस पर पत्रिका की ओर से 18 जुलाई के अंक में खबर का प्रकाशन किया गया था। इसके बाद विभाग की ओर से खोदी गई सडक़ पर पेचवर्क किया जा रहा है, लेकिन वहां भी ठेकेदारों व अधिकारियों की लापरवाही सामने नजर आ रही है। पेचवर्क के बाद भी जगह समतल नहीं होने के कारण वाहन चालक गडढ़ो पर वाहन कुदाने पर मजबूर है।
2- डामरीकरण की जगह डाल दी गिट्टी
शहर के एनएच 113 पर ही अम्बेडकर सर्कल से जीरो माइल चौराहे तक कई गड्ढे हो रहे है। इन गड्ढों के कारण एक युवक को अपनी जान भी गंवानी पड़ी थी फिर भी विभाग आंखे मंदे बैठा है। पानी की पाइप लाइन फूटने के कारण जहां-जहां गड्ढे हुए खबर प्रकाशन के बाद जिम्मेदार विभाग की ओर से वहां खानापूर्ति कर दी गई। 3 जुलाई को पत्रिका में प्रकाशित खबर में गांधी चौराहे के पास बने एक बड़े गड्ढें को दिखाया गया था। जिसके बाद उस पर भी डामरीकरण की जगह गिट्टी डाल खानापूर्ति कर दी गई थी। जो गिट्टी अब लोगों की समस्या बन चुंकी है। जिसके चलते कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
3-गड्ढे खोद लोगों को घरों में किया कैद
हाउसिंग बोर्ड कॉलानी में भी सडक़ निर्माण के नाम पर पेचवर्क का कार्य किया जा रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदारों की लापरवाही के चलते लोग अपने घरों में ही कैद होने को मजबूर हैं। कार्य के चलते कॉलोनी में गुरुवार को चारों तरफ से गड्ढे खोदकर कॉलोनी के रास्ते तक बंद कर दिए। लोगों को घर से बाहर आने-जाने में भी बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही है वहीं गुरुवार देर रात को भी लोगों को अपने वाहन सडक़ों पर ही खड़े रखने पड़े। शुक्रवार को भी कार्य बंद पड़ा हुआ रहा। जिसके कारण लगातार कॉलोनिवासियां को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं सडक़ खोदने के चलते कई घरों के नल कनेक्शन तक तोड़ दिए गए। इस मामले को लेकर भी पत्रिका लगातार दो दिनों से खबरों का प्रकाशन कर रहा है फिर भी अधिकारी व ठेकेदार लापरवाह बने बैठे है।
4- सडक़ों पर उड़ती धूल से भी नहीं मिलती निजात
शहर में लगातार सडक़ों की हालात खराब होने से शहर में सडक़ों पर उड़ती धूल से भी लोगों को निजात नहीं मिल पा रही है। नगरपरिषद की ओर से सडक़ों पर नियमित सफाई नही होने के कारण वही 22 लाख रूपए की धूल साफ करने की मशीन भी धूल चाट रही है। इस परेशानी को लेकर भी 17 जून को पत्रिका ने खबर का प्रकाशन किया था लेकिन विभाग की ओर से इस पर कोई खास ध्यान नहीं दिया।
आखिर कौन लेगा इन सब की जिम्मेदारी
शहर में विकास के नाम पर दिए गए इस दंश का कौन जिम्मेदार है। 94 करोड़ की पेजयल योजना के तहत नई पाइप लाइन डालने के बाद सडक़ निर्माण का कार्य भी इसी योजना में था। लेकिन आधा-अधूरा कार्य कर विभाग ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। वहीं नगरपरिषद की ओर से कार्य करवाया जा रहा वह भी आधा अधूरा। एनएच 113 पर गड्ढों को सही करने के लिए स्थाई लोक अदालत व जिला कलक्टर, विधायक ने भी आदेश दे रखे है फिर भी आदेशों के नाम पर होती है तो मात्र खानापूर्ति।
शहर में विकास के नाम पर दिए गए इस दंश का कौन जिम्मेदार है। 94 करोड़ की पेजयल योजना के तहत नई पाइप लाइन डालने के बाद सडक़ निर्माण का कार्य भी इसी योजना में था। लेकिन आधा-अधूरा कार्य कर विभाग ने भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया है। वहीं नगरपरिषद की ओर से कार्य करवाया जा रहा वह भी आधा अधूरा। एनएच 113 पर गड्ढों को सही करने के लिए स्थाई लोक अदालत व जिला कलक्टर, विधायक ने भी आदेश दे रखे है फिर भी आदेशों के नाम पर होती है तो मात्र खानापूर्ति।