scriptपुराने हो चुके वार्मर, कर्मचारियों की कमी | Outdated warming, shortage of staff | Patrika News

पुराने हो चुके वार्मर, कर्मचारियों की कमी

locationप्रतापगढ़Published: Jan 06, 2020 11:50:41 am

Submitted by:

Devishankar Suthar

प्रदेश के कोटा और अलवर के चिकित्सालयों में गत दिनों विभिन्न कारणों से हुई बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग हरकत में आया है। चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर यहां जिला चिकित्सालय में भी सभी संसाधनों की पड़ताल की जा रही है। जिसमें खामियों को लेकर सुधार करने के प्रयास किए जा रहे है, वहीं वस्तुस्थिति को लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दी जा रही है।

पुराने हो चुके वार्मर, कर्मचारियों की कमी

पुराने हो चुके वार्मर, कर्मचारियों की कमी


जिला चिकित्सालय के एएफबीएनसी यूनिट के हाल
कोटा चिकित्सालय में हुई दुर्घटना के बाद हरकत में आया जिला चिकित्सालय प्रशासन
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर सुधार की कवायद
प्रतापगढ़
प्रदेश के कोटा और अलवर के चिकित्सालयों में गत दिनों विभिन्न कारणों से हुई बच्चों की मौत के बाद चिकित्सा विभाग हरकत में आया है। चिकित्सा विभाग के उच्चाधिकारियों के निर्देश पर यहां जिला चिकित्सालय में भी सभी संसाधनों की पड़ताल की जा रही है। जिसमें खामियों को लेकर सुधार करने के प्रयास किए जा रहे है, वहीं वस्तुस्थिति को लेकर उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट दी जा रही है। यहां मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई के एफबीएनसी(फेसिलिटी बेस्ड न्यू बोर्न केयर ) यूनिट में बच्चों के लिए वार्मर भी काफी पुराने हो चुके है। कुछ काम नहीं कर रहे है। जबकि कर्मचारियों की समस्या भी है। वहीं वायरिंग भी लूज है। ऐसे मेंं सभी संसाधनों को लेकर सुधार के प्रयास शुरू कर दिए गए है। इलेक्ट्रीक मशीनों की जांच की जा रही है।
यह है एफबीएनसी की स्थिति
यहां जिला चिकित्सालय में एफबीएनसी यूनिट वर्ष है। जो वर्ष २००९ में खुली थी। उस समय यहां १२ बेड की व्यवस्था थी। उस समय १० वार्मर लगाए गए थे। इसके कुछ वर्षों बाद ही यहां पाचं और वार्मर मंगलवाए गए थे। इसके बाद यहां तीन वर्ष पहले आवश्यकता को देखते हुए १० बेड बढ़ाकर कुल २० बेड किए गए। इसके साथ ही नौ और वार्मर लगाए गए है। इस प्रकार कुल २४ वार्मर है। इनमें से चार वार्मर खराब हो गए है। मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई प्रभारी डॉ. धीरज सेन ने बताया कि अभी २० वार्मर चल रहे है। लेकिन १० वार्मर तो काफी पुराने हो चुके है। ऐसे में इनको इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही यहां मात्र पांच कर्मचारी ही कार्यरत है। जबकि १० की आवश्यकता है। वायर व अन्य प्लग और शॉकिट भी लूज है। इसके साथ ही यहां प्रमुख समस्या गार्ड की भी है।
यह रहा आंकड़ा
यहां एफबीएनसी वार्ड में वर्ष २०१८ में इस यूनिट में कुल १५३० बच्चे आए थे। इसमें यहां से २४६ कापे रैफर किए गए थे। वहीं इस वर्ष कुल १५३०बच्चे आए थे। इनमें से १६६ को रैफर किया गया था। इस प्रकार गत वर्ष के मुकाबले रैफर कम किए गए थे। इन बच्चों को यहीं पर उपचार किया गया।
इन बच्चों को रखा जाता है यूनिट में
एफबीएनसी यूनिट में न्यू बोर्न से लेकर एक माह तक के उन बच्चों को रखा जाता है, जो कमजोर होते है। नौ माह से पहले जन्मे बच्चे और जो नवजात बीमार हो। इसके अलावा एक माह की उम्र तक के जो बच्चे काफी बीमार हो। ऐसे सभी प्रकार के बच्चों को पूर्ण स्वस्थ्य होने तक यहां रखा जाता है। इन बच्चों को चिकित्सक की देखरेख में रखा जाता है।
मिले निर्देश, कर रहे व्यवस्था
हाल ही में उच्चाधिकारियों की ओर से शिशु वार्ड की इकाइयों में व्यवस्थाएं सही करने और कमियों को लेकर निर्देश मिले है। इस पर हमने एफबीएनसी यूनिट की सभी प्रकार की व्यवस्थाएं जांच करा रहे है। यहां १० नए वार्मर के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा है। गार्ड की व्यवस्था का प्रयास कर रहे है। इलेक्ट्रिक सिस्टम, मशीनों आदि की जांच करा कर सुधार करा रहे है।
डॉ. ओपी दायमा
प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, प्रतापगढ़
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो