पत्रिका फेस्ट: बड़े-बुजुर्गों के जीवन का अनुभव परिवार-समाज और देश को दे सकता है उचित दशा-दिशा
पत्रिका फेस्ट: बड़े-बुजुर्गों के जीवन का अनुभव परिवार-समाज और देश को दे सकता है उचित दशा-दिशा
पत्रिका फेस्ट: बड़े-बुजुर्गों के जीवन का अनुभव परिवार-समाज और देश को दे सकता है उचित दशा-दिशा
प्रतापगढ़. राजस्थान पत्रिका भीलवाड़ा संस्करण के 25वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित पत्रिका फेस्ट के तहत 26 से एक जनवरी तक पूरे सप्ताह विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को प्रतापगढ़ में जिला पेंशनर्स भवन में वरिष्ठनों से गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में पहुंचे वरिष्ठजनों ने खुलकर अपने मन की बातें पत्रिका से साझा की। उन्होंने कहा कि वरिष्ठजन चाहे किसी भी वर्ग के हों वे अपने अनुभव से परिवार, समाज और देश को नई दशा-दिशा प्रदान कर सकते हैं। फिर चाहे वे नौकरीपेशा हों, व्यापारी, किसान या अन्य किसी भी वर्ग के वरिष्ठजन हों। इनमें नौकरीपेशा वरिष्ठजन तो 60 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त हो जाते हैं जबकि व्यापारी व अन्य उनकी इच्छा और सेहत के मुताबिक सेवाओं से मुक्त होते हैं। वरिष्ठजन चाहे जो भी हो, जीवन में उन्होंने चाहे सरकारी नौकरी की हो, प्राइवेट सेवाएं दी हो, व्यापारी हो या किसान और चाहे किसी भी तरह का काम किया लेकिन सबमें एक बात समान है और वह है अनुभव। वरिष्ठजन अनुभव की खान होते हैं। उन्होंने अपने बाल धूप में सफेद नहीं किए होते बल्कि अच्छे-बुरे सबकी उन्हें पहचान हो चुकी होती है और इस अनुभव का फायदा उठाकर कोई भी परिवार, समाज और देश तरक्की और खुशहाली की राह पर चल सकता है। गोष्ठी के बाद वरिष्ठजनों ने पेंशनर्स भवन में विभिन्न खेल भी खेले। जिसमें उनका जोश और उत्साह देखते ही बन रहा था। इस दौरान यहां पर टेबल-टेनिस, कैरम आदि तो खेले ही गए वहीं कई बुजुर्गो ने ट्रेडमिल पर चलकर और दौडकऱ शारीरिक व्यायाम भी किया। जिससे उनकी फिटनेस का पता चला।
इन्होंने किया सम्बोधित
जिला पेंशनर्स समाज की ओर से आयोजित गोष्ठी की शुरुआत समाज के अध्यक्ष मगनीराम सुथार और जिला महामंत्री दुर्गाप्रसाद सोलंकी ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ उपाध्यक्ष दशरथ शर्मा, कोषाध्यक्ष कांतिलाल जैन, उपाध्यक्ष मदनलाल पंचौली, महेशचन्द्र व्यास, अम्बालाल सुथार, इन्दुप्रसाद शर्मा, रायसिंह, भोपाल सिंह, कृष्ण कुमार पंचौली, गोपाललाल शर्मा, चन्द्रशेखर मेहता, निरंजनलाल शर्मा, गिरजाशंकर शर्मा, जगदीशलाल शर्मा आदि ने भी विभिन्न मुददों पर अपने विचारों में विभिन्न पहलुओं को छूआ।
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