धार्मिक और औषधीय महत्व भी
वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे बीज संग्रहण के अभियान में धार्मिक और औषधीय महत्व का भी ध्यान रखा गया है। इसके तहत जंगलों में पाए जाने वाले धार्मिक महत्व वाले पेड़ों और औषधीय पेड़ों को अधिक मात्रा में बीज का संग्रहण कराया जा रहा है। जिसमें बिल्व, सहजन, बरगद, पीपल, आंवला आदि के बीजों का संग्रहण कराया जा रहा है।
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इन किस्मों के बीजों का संग्रहण
--जिले में वन विभाग की ओर से स्थानीय किस्मों के पेड़-पौधों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इसके तहत इस वर्ष बीजों का संग्रहण कराया गया है। जिसमें कचनार, बहेड़ा, अमलतास, बिल्व, आंवला, सहजन, बांस, रायण, सागवान, खिरनी, रतनजोत, चुरेल, करंज, जंगल जलेबी, शीशम, इमली आदि प्रमुख है।
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पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा
विभाग की ओर से जिले में विलुप्त हो रही प्रजातियों के पेड़-पौधों के बीजों का संग्रहण कराया गया है। इनको उपचारित किया जाएगा। वहीं आगामी बारिश में बीजारोपण भी किया जाएगा। जो जिले के जंगल में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्र्ण कार्य होगा।
सुनीलकुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़.
वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे बीज संग्रहण के अभियान में धार्मिक और औषधीय महत्व का भी ध्यान रखा गया है। इसके तहत जंगलों में पाए जाने वाले धार्मिक महत्व वाले पेड़ों और औषधीय पेड़ों को अधिक मात्रा में बीज का संग्रहण कराया जा रहा है। जिसमें बिल्व, सहजन, बरगद, पीपल, आंवला आदि के बीजों का संग्रहण कराया जा रहा है।
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इन किस्मों के बीजों का संग्रहण
--जिले में वन विभाग की ओर से स्थानीय किस्मों के पेड़-पौधों को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इसके तहत इस वर्ष बीजों का संग्रहण कराया गया है। जिसमें कचनार, बहेड़ा, अमलतास, बिल्व, आंवला, सहजन, बांस, रायण, सागवान, खिरनी, रतनजोत, चुरेल, करंज, जंगल जलेबी, शीशम, इमली आदि प्रमुख है।
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पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा
विभाग की ओर से जिले में विलुप्त हो रही प्रजातियों के पेड़-पौधों के बीजों का संग्रहण कराया गया है। इनको उपचारित किया जाएगा। वहीं आगामी बारिश में बीजारोपण भी किया जाएगा। जो जिले के जंगल में पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्र्ण कार्य होगा।
सुनीलकुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़.