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प्रदेश में वनाच्छादित क्षेत्र में उदयपुर के बाद प्रतापगढ़ जिला दूसरे स्थान पर

locationप्रतापगढ़Published: Apr 22, 2018 09:39:22 am

Submitted by:

Rakesh Verma

फिर भी हरियाली में दूसरा स्थान

pratapgarh
विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष…
गत वर्षों की तुलना में घटा है जिले का वनक्षेत्र
प्रतापगढ़. कांठल की आबोहवा और भौगोलिक स्थितियों के कारण यहां वनाच्छादित इलाका भरपूर है। जो प्रदेश में उदयपुर के बाद दूसरे स्थान पर है।प्रदेश का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3 लाख 42 हजार 239 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 16 हजार 572 वर्ग किलोमीटर में वनक्षेत्र है। वहीं वनाच्छादित क्षेत्र 4.84 प्रतिशत ही है। वहीं उदयपुर का वनाच्छादित क्षेत्र 23.58 प्रतिशत है। वहीं प्रतापगढ़ में कुल भौगोलिक क्षेत्र 44 हजार 495 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से एक हजार 44 वर्ग किलोमीटर वनाच्छादित क्षेत्र है, जो 23.47 प्रतिशत है।
लेकिन फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की सर्वे रिपोर्ट में प्रतापगढ़ जिले के वनाच्छाति क्षेत्र में कमी बताई गई है। जो गत वर्षों की तुलना में करीब 48 वर्ग किलोमीटर कम बताई गई है। वहीं प्रदेश में 466 वर्ग किलोमीटर वनाच्छादित क्षेत्र बढ़ा हुआ बताया गया है।
कटाई से कम हो रही हरियाली
जिले के जंगलों में गत कई वर्षों से पेड़ों की कटाई अवैध रूप से जारी है। विशेषकर सीतामाता के जंगलों में तो रात को कुल्हाडिय़ों की आवाजें सुनाई देती है। सूत्रों के अनुसार रातों-रात पेड़ों को काटकर वाहनों में भरकर जंगल से बाहर ले जाया जाता है। इसमें जंगल में निवासरत लोगों के हाथ होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसे में जिले के भूभाग में हरियाली का आंकड़ा कम होना स्वाभाविक है।

करते है कार्रवाई
सीतामाता अभयारण्य में पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए विभाग की ओर से कार्रवाई की जाती है। पूरे स्टाफ को पाबंद किया हुआ है। कहीं से भी पेड़ की कटाई की सूचना मिलने पर गश्ती दल मौके पर पहुंचकर कार्रवाई करता है। हालांकि अब पेड़ों की कटाई पर काफी अंकुश लगा है।
मुकेश सैनी
उपवन संरक्षक(वन्यजीव), सीतामाता अभयारण्य
कर रहे हैं प्रयास
जिले में वनक्षेत्र में अवैध संचालन पर लगाम के लिए हम प्रयास कर रहे हैं। चोरी-छुपे होने वाले पेड़ों की कटाई के लिए गश्तीदल रात को जंगल में घूमती है। कई मामले पकड़े भी हैं। वैसे प्रतापगढ़ के जंगल में हरियाली का प्रतिशत प्रदेश के अन्य जिलों की अपेक्षा काफी अधिक है। उदयपुर के बाद दूसरे स्थान है।
एस.आर. जाट
उपवन संरक्षक, प्रतापगढ
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