आज के भौतिकवादी युग में शारीरिक श्रम कम होता जा रहा है। जबकि खानपान में भी बदलाव हो गया है। आज के युग में तनाव भी अधिक बढ़ गया है। ऐसे में ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमारियां घर कर रही है। इन बीमारियों की वजह से अन्य घातक बीमारियां हो जाती है। ऐसे में जिला चिकित्सालय में रोग से ग्रसित पाए जाने पर जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जा रही है।
यहां जिला चिकित्सालय में वर्ष २०१७ में एनपीसीडीएससी(राष्ट्रीय मधुमेह व ह्दयाघात व पक्षाघात नियंत्रण कार्यक्रम) योजना की शुरुआत की गई थी। इस पर यहां कुल ६११२ लोगों की जांच की गई। जिसमें ६९० लोगों में शुगर पाई गई। जबकि ६०१ लोगों को ब्लड प्रेशर पाया गया। वहीं २३० लोग ऐसे निकले, जिनमें दोनों के लक्षण मिले थे। इसी प्रकार वर्ष २०१८ में ११ हजार ३७७ लोगों की जांच की गई। इनमें ४११ को शुगर और ७०२ को बीपी पाई गई। जबकि १९४ लोगों में दोनों के लक्षण पाए गए। इसी प्रकार वर्ष २०१९ में अब तक ३४ हजार ७१ लोगों की जांच की गई। जिनमें से १००९ लोगो में शुगर और १५७६ में ब्लड प्रेशर के लक्षण पाए गए। ३८५ लोगों में दोनों के लक्षण पाए गए।
पहले की तुलना में आज लोगों में शारीरिक सक्रियता में लगातार कमी होती जा रही है। जबकि खानपान भी बदलता जा रहा है। ऐसे में ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी बीमािरयां बढ़ती जा रही है। इसे देखते हुए जिला चिकित्सालय में एनपीसीडीएससी के तहत जांचें की जा रही है। लक्षण पाए जाने पर संबंधित की काउंसलिंग की जाती है। जीवनशैली में बदलाव की सलाह दी जा रही है। ऐसे में लोगों से सलाह है कि शरीर की सक्रियता बनाएं रखें। खानपान में भी बदलाव लाएं।
डॉ. ओपी दायमा
उप नियंत्रक, जिला चिकित्सालय, प्रतापगढ़