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पाठ्य पुस्तक मंडल की पुस्तकों में रुचि नहीं ले रहे निजी विद्यालय

locationप्रतापगढ़Published: Apr 16, 2019 12:37:15 pm

Submitted by:

Ram Sharma

सरकारी व निजी प्रकाशकों की पुस्तकों की कीमतों में भारी अंतरहो रही परेशानी

pratapgarh

पाठ्य पुस्तक मंडल की पुस्तकों में रुचि नहीं ले रहे निजी विद्यालय




प्रतापगढ़. राजस्थान राज्य पुस्तक मण्डल की ओर से निजी स्कूलों के बच्चों के लिए अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन निजी विद्यालय मण्डल की ओर से प्रकाशित पुस्तकों में रुचि नहीं दिखा रहे। वे निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को विद्यालय में चलाने पर जोर दे रहे हंै। प्रतापगढ़ स्थित पाठ्यपुस्तक मण्डल की मानें तो इस सत्र में किसी भी पुस्तक विक्रेता की ओर से अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकों के लिए कोई बुङ्क्षकग अब तक नहीं कराई गई है, जबकि निजी विद्यालयों में नये सत्र के प्रवेश के साथ पढ़ाई का काम शुरू हो गया।
यह हाल तब है, जबकि मान्यता हासिल करने के दौरान ही निजी विद्यालय शिक्षा विभाग में सभी विभागीय शर्ते मानने का शपथ पत्र देते हैं। ऐसा नहीं कि इसकी जानकारी विभागीय अधिकारियों को नहीं है। लेकिन इस मामले में शिक्षा विभाग मौन है और निजी स्कूल अपनी मनमानी पर ऊतारू है।
दो तरह केे पाठ्यक्रम हैं चलन में
वर्तमान में स्कूलों में दो तरह के पाठ्यक्रतम चलन में है, पहला एनसीईआरटी का और दूसरा एसआईईआरटी का। एनसीईआरटी के तहत सीबीएसई पैटर्न की पुस्तकें है, जबकि एसआईईआरटी की अधिकांश पुस्तकें राजस्थान पाठ्यपुस्तक मंडल प्रकाशित करता है। एसआईईआरटी की पुस्तकें राज्य भर के राजकीय और निजी स्कूलों में में चलाने का प्रावधान है।
नहीं छूटता कमीशन का मोह
पाठ्य पुस्तक मण्डल की ओर से पुस्तकों पर केवल 15 फीसदी कमीशन दिया जाता है, जबकि निजी प्रकाशकों की ओर से अपनी पुस्तकें चलाने पर 30 से 40 फीसदी कमीशन दिया जाता है। इसके चलते निजी विद्यालय अभिभावकों की सुविधा को दरकिनार करते हुए अपने पसंद के निजी प्रकाशकों की पुस्तकें
चलाते हैं।
मूल्य में भी है अंतर
निजी प्रकाशकों और राजस्थान पाठ्य पुस्तक मण्डल की पुस्तकों के मूल्य में भारी अंतर है। उदाहरण के लिए पुस्तक मंडल में पहली कक्षा की पुस्तक महज 30 रुपए की है, जबकि इसी कक्षा की पुस्तक निजी पब्लिशर्स की पुस्तक 200 से 300 रूपए कीमत मेें उपलब्ध हो रही है। इनमें हिन्दी व अंग्रेजी विषय अनिवार्य रूप से पढ़ाई जा रही है। इस प्रकार राजस्थान पाठ्य पुस्तक मण्डल की ओर से प्रकाशित पहली से आठवीं कक्षा की पुस्तकें महज 200 से 300 रूपए में ही उपलब्ध हो रही हंै। जबकि निजी विद्यालय अपनी मनमर्जी के मुताबिक पब्लिशर्स की पुस्तकें थोप कर इन्हीं पुस्तकों की कीमत दो से तीन हजार रुपए तक वसूल रहे हैं।
डिमाण्ड हो तो 15 दिन मेें आपूर्ति
राज्य पुस्तक मण्डल की ओर से कक्षा 1 से 8 के लिए अंग्रेजी माध्यम का पाठ्यक्रम तैयार करवाया गया है। जो काफी सस्ता है। लेकिन अब तक किसी भी पुस्तक विक्रेता की ओर से अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकों के लिए डिमाण्ड प्राप्त नहीं हुई है। यदि डिमाण्ड मिलती है तो 15 दिन के अन्दर पूर्ति कर दी जाएगी।
उदयराम निनामा, क्षेत्रिय प्रबंधक राजस्थान राज्य पुस्तक वितरण केन्द्र, प्रतापगढ़
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