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संसद में उठी प्रतापगढ़ में रेल लाइन की मांग

locationप्रतापगढ़Published: Jul 20, 2019 11:10:41 am

Submitted by:

Rakesh Verma

सांसद सी पी जोशी ने की सरकार से मांग, कहा प्रतापगढ़ भी जुड़े रेल लाईन से, लोकसभा में शुल्य काल में रखी मांग (Rail line demand)

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संसद में उठी प्रतापगढ़ में रेल लाइन की मांग

प्रतापगढ़. प्रतापगढ़ में बहुप्रतिक्षित रेल की मांग संसद में उठी। लोकसभा में चित्तौडगढ़ सांसद सी पी जोशी ने शून्यकाल के दौरान सदन की कार्यवाही में भाग लेते हुए प्रतापगढ़ को रेल लाइन से जोड़े जाने का विषय रखा। सांसद जोशी ने प्रतापगढ़ को रेल लाइन मिलने का पक्ष रखते हुए कहा की संसदीय क्षेत्र में प्रतापगढ़ जिला जो की एक जनजाति बाहुल्य जिला है। प्रतापगढ़ में नवोदय विद्यालय, केन्द्रीय विद्यालय, पासपोर्ट सेवा केन्द्र, नेशनल हाइवे व रिंग रोड़ की स्वीकृति हुई है लेकिन जिला अब तक रेल लाइन से वंचित है। वहां पर विगत 5 वर्षों के दौरान 2 सर्वे कार्यो की स्वीकृति हुई है, लेकिन अब रेलवे से प्रतापगढ़ को जोडा जाना आवश्यक है, ताकि क्षेत्र का विकास तेजी से हो सके। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से जबसे प्रतापगढ़ के लिये मन्दसौर से प्रतापगढ़ व प्रतापगढ़ से बांसवाडा रेलवे सर्वे कार्य प्रारंभ हुआ। तब से प्रतापगढ वासियों को रेल से जोड़े जाने की उत्सुकता और भी बढ़ गयी है। प्रतापगढ़ अपनी कला, संस्कृति, रहन सहन, खानपान, प्राकृतिक सौन्दर्य व वन सम्पदा के कारण अपनी एक अलग ही विशेष पहचान रखता हैं। यहां पर पर्यटन की भरपूर संभावना हैं। सांसद जोशी ने सदन के माध्यम से सरकार से आग्रह किया की रेल के लिए आस लगाई प्रतापगढ़ की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए तथा जनजाति क्षेत्र के चहूमुखी तेज विकास, पर्यटन एवं व्यापारियों के विकास के लिये रेल लाईन की सौगात दी जाए।
आजादी के पूर्व की मांग
प्रतापगढ़ में रेललाइन की मांग कोई नई नहीं है। दशकों से प्रतापगढ़वासी लगातार रेललाइन की मांग कर रहे हैं। आजादी से पहले ब्रिटिश शासनकाल में यहां के शासक ने प्रतापगढ़ में रेललाइन की मांग की थी। महाराज रामसिंह के समय भी मंदसौर से प्रतापगढ़ को छोटीलाइन से जोडऩे की मांग की गई थी।तब से प्रतापगढ़ को रेललाइन से जोडऩे की मांग समय के साथ बलवती होती जा रही है। जानकारो के अनुसार वर्ष 1952 में गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान के लोगों ने तत्कालीन रेलमंत्री लालबहादुर शास्त्री से प्रतापगढ़ को रेललाइन से जोडऩे की मांग की।इनकी मांग थी कि गोधरा जंक्शन वाया लूनावाड़ा, झालोद, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, जीरन, नीमच होकर कोटा जंक्शन से मिलाया जाए। इस पर सर्वे कराकर इसे मंजूरी भी दे दी गई। बाद में इससे सम्बंधित पत्रावली ठंडे बस्ते में चली गई। बीएससीबीआई की ओर से वर्ष 1974 में रेलवे के तत्कालीन अभियंता आरबी सेठ ने सर्वे कर अपनी रिपोर्ट में प्रतापगढ़ के सामाजिक, आर्थिक व अन्य क्षेत्रों में प्रगति का हवाला देते हुए क्षेत्र को रेललाइन से जोडऩे को उचित बताया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि यहां रेललाइन आने से इस आदिवासी व पिछड़े क्षेत्र का विकास तेजी से संभव है। प्रतापगढ़ प्रगति संघ मुम्बई ने वर्ष 1999 में तत्कालीन केन्द्रीय रेलमंत्री ममता बनर्जी व पेट्रोलियम मंत्री रामनायक को पत्र लिखा था। इस पर 24 दिसम्बर 1999 को रेलमंत्री ने इसका समर्थन भी किया था। उन्होंने इसके जवाब में 13 जुलाई 2000 को कहा था कि इस बजट में इसके लिए राशि उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2012-13 में भी प्रतापगढ़ जिले को रेललाइन से जोडऩे की दिशा में प्रतापगढ़-मंदसौर रेललाइन के लिए सर्वे की यहां घोषणा हुई थी लेकिन सर्वे का काम ही शुरू नहीं हुआ।
चले कई अभियान, हो चुके कई आंदोलन
जिले में रेललाइन को लेकर क्षेत्र के लोग समय-समय पर अपनी मांग उठाते रहे हैं। हर कोई चाहता है कि कांठल जल्द से जल्द रेल मार्ग से जुड़े और सुविधा मिलने के साथ यहां का विकास रफ्तार पकड़े। प्रतापगढ़ जिला बनने के बाद वर्ष 2010 में गठित गैर राजनीतिक संगठन रेल लाओ संघर्ष समिति व अन्य संगठनों की ओर से इसके लिए लगातार अभियान चलाकर आमजन को जोड़ते हुए आंदोलन कर रेल की मांग की जा रही है। इसके लिए विगत वर्षो से पोस्टकार्ड अभियान, धरने प्रदर्शन, प्रतापगढ़ बंद और अनशन सहित कई आंदोलन किए गए हैं।
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