गत ढाई माह में प्रतापगढ़ जिले में कुल 14 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इनमें से एक पीपलखूंट इलाके के टीबी से ग्रसित रोगी की मौत हो गई थी। जबकि 13 लोगों का उपचार किया गया था। जिसमें एक दम्पती और बंबोरी के युवक को उदयपुर रैफर किया गया था। इसके अलावा दस रोगियों का यहीं पर उपचार किया गया था। सभी रोगी स्वस्थ्य होने के बाद घर भेज दिए है।
जिले में अब तक दो हजार 284 सैंपल लिए जा चुके है। इनमें से दो हजार 236 सैंपल की जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई है। जबकि 47 की रिपोर्ट पैंडिंग है। इसके साथ जिले में मंगलवार को 36 सैंपल लिए गए। इसी प्रकार जिले में 76 हजार 199 लोगों की स्क्रीनिंग की गई।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल भी कोरोना काल में दो बार अपनी नियमित प्रेस ब्रीफिंग में प्रतापगढ़ की इस उपलब्धि का उल्लेख कर चुके हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया कि राज्य के 25 जिलों सहित प्रतापगढ़ में जिला प्रशासन द्वारा बेहतर रोकथाम की रणनीति (कंटेंनमेंट स्ट्रेटेजी ) के तहत काम हुआ है।
सभी विभागों के बीच रखा समन्वय
सीएमएचओ डॉ वीके जैन ने बताया कि जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, खाद्य सुरक्षा विभाग, शिक्षा विभाग के शिक्षक, नगर परिषद और जिलों के ग्रामीण पंचायत प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय से ही यह उपलब्धि हासिल हुई है। इसमें ग्राउंड स्तर पर काम करने वाले डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ, नर्स, एनएनएम, आशा सहयोगिनी, आयुषकर्मी, सफाई और पुलिस जैसी तमाम उन लोगों का काम सराहनीय रहा है।
इस तरह बनाई रणनीति
क़ोरोना वायरस से लडऩे और इसकी रोकथाम के लिए प्रशासन ने चार चरण की रणनीति बनाई- स्क्रीनिंग, तुरंत जांच, इलाज और आइसोलेशन। पहला रोगी 20 मार्च को जांच में सामने आया था। अगले दिन उसकी पत्नी भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई। दोनों को बिना देर किए इलाज करवाने उदयपुर के लिए रैफर किया।
उसके बाद कोराना रोगी के घर के आसपास के एक किलोमीटर दायरे को पूरी तरह सील कर दिया। यहां तुरंत सबकी स्क्रीनिंग करवाई गई। साथ ही रोगी की ट्रैवल हिस्ट्री खंगालकर उसके सारे संपर्कों का पता लगाकर उनकी भी स्क्रीनिंग की गई। उन सब को होम आइसोलेशन किया और उन पर निरंतर निगरानी रखी गई। इसके बाद तुरंत क्वारेंटाइन सेंटर बनाए गए। जो लोग होम आइसोलेशन में नहीं रह सके उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया।
जिला अस्पताल को कोरोना के लिए समर्पित अस्पतला बनाया। रणनीति के तहत जिले की सीमाओं पूरी तरह सील किया गया ताकि कोई नया कोरोना रोगी जिले में नहीं आ सके। लोगों को घरों में रहने के लिए तैयार किया गया। सोशल डिस्टेंसिंग करवाई गई। अंतिम चरण में डोर टू डोर सर्वे करवाया गया, ताकि यह सुनिश्चित करवाया जा सके कि कोई कोरोना पीडि़त कहीं रह तो नहीं गया है। अंतिम रोगी गत 26 मई को आया था। वह भी स्वस्थ हो गया।
रणनीति और टीमवर्क से मिली सफलता
कोरोना के खिलाफ कंटेनमेंट स्टैटेजी के मामले में प्रतापगढ़ की उपलब्धि टीम वर्क का परिणाम है। यह सब स्वास्थ्य विभाग, पुलिस सहित सभी विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के समन्वित प्रयासों से ही संभव हो पाया है। समय पर रणनीति बनाना भी कारगर रहा। प्रतापगढ़ की जनता ने भी पूरा सहयोग दिया।
अनुपमा जोरवाल, जिला कलक्टर, प्रतापगढ़