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गम्भीर बीमारी पर रैफर

locationप्रतापगढ़Published: Sep 17, 2017 07:27:56 pm

Submitted by:

rajesh dixit

जिला चिकित्सालय में नहीं है वरिष्ठ महिला और शिशु रोग विशेषज्ञ

Pratapgarh rajasthan

pratapgarh


ग्रामीण इलाकों में भी नहीं है चिकित्सक
प्रतापगढ़
कहने को तो यह जिला चिकित्सालय है। लेकिन यहां वरिष्ठ विशेषज्ञों के पद रिक्त है। ऐसे में महिलाओं और शिशुओं को गम्भीर बीमारी होने पर रैफर करना पड़ता है। यहां जननी वार्ड और शिशु वार्ड में पड़ताल में यह सामने आया है। यहां स्थिति यह है कि प्रसूताओं के लिए वार्ड में मात्र २० बैड ही स्वीकृत है। लेकिन गत वर्षों में व्यवस्थाओं के लिए ७० बैड की व्यवस्था कर रखी है। जबकि शिशु वार्ड में भी यही स्थिति है। यहां विशेषज्ञों के अभाव में अधिकांश बच्चों को अन्यत्र रैफर करना पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी महिला चिकित्सक और शिशु रोग विशेषज्ञों का अभाव होने से स्थिति अच्छी नहीं कही जा सकती है।
यह है जननी वार्ड की स्थिति
जिला चिकित्सालय में जननी वार्ड में कुल २२ बैड की स्वीकृति है। इससे परेशानी को देखते हुए यहां ७० पलंग की व्यवस्था की गई है। यहां साढ़े चार सौ प्रसव प्रति माह होते है। यहां गत वर्ष ६ हजार ५४६ प्रसव हुए थे। वरिष्ठ महिला रोग चिकित्सक के अभाव में यहां से कई महिलाओं को रैफर किया जाता है।
कुछ दिनों बाद छोड़ दी नौकरी
यहां जिला चिकित्सालय प्रशासन की ओर से कुछ समय पहले महिला रोग विशेषज्ञ को लगाया गया था। लेकिन करीब ढाई माह बाद वह भी नौकरी छोड़ दी। जिससे परेशानी हो रही है।
९९० में से १५९ को किया रैफर
प्रसव के दौरान जिन बच्चों का वजन ढाई किलो से कम होता है। उन्हें समुचित उपचार के लिए अलग वार्ड में शिफ्ट किया जाता है। गहन शिशु रोग इकाई में कुल २० वार्मर है। जहां अभी ७ का उपचार चल रहा है। यहां इस वर्ष अब तक ९९० शिशुओं का उपचार किया गया है। इनमें से १५९ को रैफर किया गया है।
शिशु वार्ड में
यहां शिशु वार्ड में कुल १५ बैड स्वीकृत है। इसमें अभी १४ बालकों का उपचार चल रहा है। इसके साथ ही कुपोषण उपचार इकाई में तीन बैड स्वीकृत है। जहां कुपोषित बच्चों का उपचार किया जाता है।

यह है प्रसव की स्थिति
माह प्रसव
जनवरी ४७९
फरवरी ९३६
मार्च ४४२
अप्रेल ३९२
मई ४७१
जून ५२०
जुलाई ५८६
अगस्त ५२३

नहीं बैठते चिकित्सक, जांचें भी नहीं
देवगढ़.
यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के हाल खराब है। हालात यह है कि यहां चिकित्सक होने के बावजूद भी समय पर उपलब्ध नहीं होते है। ऐसे में रोगियों को उपचार के लिए प्रतापगढ़ जाना पड़ता है। गांव के दिलीप मीणा ने बताया कि स्थिति यह है कि लैब होने के बावजूद यहां जांचें तक नहीं होती है। जबकि यह उप तहसील मुख्यालय का स्वास्थ्य केन्द्र है। मौके पर कोई चिकित्साकर्मी नहीं मिला। यहां उपचार के लिए आए ग्रामीण मोहन, रामलाल, सोहनीबाई ने बताया कि वे एक घंटे से यहां बैठे है। लेकिन चिकित्सक नहीं है। सरपंच नीतू मीणा ने बताया कि यहां चिकित्साधिकारी समय पर उपलब्ध नहीं होते है। ऐसे में राज्य सरकार की ओर से उपचार का दावा थोथा साबित हो रहा है।
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