scriptसावचेती से कम होगा गंभीर बीमारियों का खतरा | Risk of serious diseases will reduce with caution | Patrika News

सावचेती से कम होगा गंभीर बीमारियों का खतरा

locationप्रतापगढ़Published: Oct 13, 2019 02:40:48 pm

Submitted by:

Devishankar Suthar

रक्त नहीं बनने और कमी के कारण प्रति सप्ताह से लेकर प्रति माह तक रक्त की आवश्यकता वाले गंभीर रोगों के प्रति आज भी कई लोगों में जागरुकता नहीं है। ऐसे में इन रोगों से ग्रसित होने पर ताउम्र तनाव में जीवन जीने वाले लोगों की परेशानी देखी नहीं जा सकती है। इनमें थैलेसीमिया रोग प्रमुख है। लेकिन इस रोग को जागरुकता से रोका जा सकता है।

सावचेती से कम होगा गंभीर बीमारियों का खतरा

सावचेती से कम होगा गंभीर बीमारियों का खतरा


थैलेसीमिया और एप्लास्टिक एनिमिया को लेकर लोगों में जागरुकता की आवश्यकता
जिले में अभी थैलेसीमिया के २० और एप्लास्टिक के चार रोगी
प्रतापगढ़
रक्त नहीं बनने और कमी के कारण प्रति सप्ताह से लेकर प्रति माह तक रक्त की आवश्यकता वाले गंभीर रोगों के प्रति आज भी कई लोगों में जागरुकता नहीं है। ऐसे में इन रोगों से ग्रसित होने पर ताउम्र तनाव में जीवन जीने वाले लोगों की परेशानी देखी नहीं जा सकती है। इनमें थैलेसीमिया रोग प्रमुख है। लेकिन इस रोग को जागरुकता से रोका जा सकता है। इसके लिए युवा अवस्था में कदम रखते ही थैलेसीमिया माइनर(एचबीए२) की जांच कराने पर रोग को रोका जा सकता है। जांच में यह संकेत मिलता है तो इन लोगों को पहले ही सावचेत होना पड़ेगा। जिससे इनकी संतति इए प्रकार के रोग से ग्रसित ना हो।
गौरतलब है कि जिले में अभी थैलेसीमिया से ग्रसित कुल २० मरीज है। जिन्हें प्रति माह रक्त चढ़़ाना आवश्यक होता है। गत एक वर्ष में तीन मरीजों की मौत हो चुकी है। जिसे देखते हुए चिकित्सा विभाग भी इस रोग पर अंकुश लगाने के लिए सभी युवाओं से एचबीए२ की जांच कराने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों में अपील कर रहा है।
यह है कारण
थैलेसीमिया के रोगी के शरीर में रक्त की कमी होती है। उसके शरीर में हिमोग्लोबिन की कमी होती है। वहीं इसमें लाल रक्त कणिका की मर जाती है। जिससे एक सप्ताह या एक माह में रोगी को ब्लड चढ़ाना पड़ता है।
जिले में एप्लास्टिक के चार मरीज
रक्त नहीं बनने में एक और बीमारी भी गंभीर है। जो एप्लास्टिक एनिमिया के नाम से है। इस प्रकार के जिले में चार रोगी है। इसके रोगी के शरीर में हड्डी में अस्थिमज्जा, लाल रक्त और श्वेत रक्त कणिका की कोशिकाएं नहीं बनती है। ऐसे में इन रोगियों को भी एक सप्ताह में रक्त चढ़ाना होता है।
जागरुकता की आवश्यकता
जिले में थैलेसीमिया के रोग के और मरीज नहीं हो, इसके लिए युवाओं में जागृति आवश्यक है। इसके लिए सभी को एचबीए२ की जांच करानी चाहिए। जिससे इस रोग को और फैलने पर अंकुश लगाया जा सके। रक्तदान और अनय कार्यशालाओं में इसके लिए हम लगातार जानकारी उपलब्ध करा रहे है।
डॉ. ओपी दायमा
प्रमुख चिकित्साधिकारी, जिला चिकित्सालय, प्रतापगढ़

चिकित्साकर्मियों को दिया प्रशिक्षण
प्रतापगढ़
जिला चिकित्सालय के मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में प्रसूताओं को निजी चिकित्सालय जैसी सुविधाओं मिलने को लेकर लक्ष्य के तहत शनिवार को कार्यशाला आयोजित की गई।
जिसमें कर्मचारियों को विभिन्न जानकारी दी और प्रसूताओं को किस प्रकार से सुविधाएं दी जानी चाहिए और किस तरह से गुणवत्तापूर्ण सेवाएं मिले, इस बारे में बताया गया।
विभाग की ओर से संचालित लक्ष्य कार्यक्रम के जिला समन्वयक दिनेश गुर्जर ने बताया कि यह कार्यक्रम वर्ष २०१७ से संचालित किया जा रहा है। जिसमें प्रदेश के मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को बेहतर सुविधाएं और सेवाएं देने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. ओपी दायमा
ने बताया कि जिसका उद्देश्य यह है कि निजी चिकित्सालयों जैसी बेहतर सुविधाएं और माहौल मिल सके। इसके तहत प्रशिक्षण दिया गया।
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