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प्रतापगढ़

संयम के बिना साधना नहीं हो सकती- श्रमणाचार्य विमदसागर

– आराधना महोत्सव में उमड़ा जैन समुदाय

प्रतापगढ़Nov 07, 2019 / 08:51 pm

Rakesh Verma

संयम के बिना साधना नहीं हो सकती- श्रमणाचार्य विमदसागर

संयम के बिना साधना नहीं हो सकती- श्रमणाचार्य विमदसागर

पारसोला. स्थानीय दिगम्बर जैन समाज के तत्वावधान एवं श्रमणाचार्य विमदसागर के सानिध्य में चल रहे दस दिवसीय तीर्थकर धर्मचक्र महामण्डल आराधना महोत्सव में गुरुवार को पाŸवनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर प्रांगण से भव्य जूलूस निकाला गया। समाज के अध्यक्ष जयन्तिलाल कोठारी, उपाध्यक्ष सुरजमल कड़वावत चातुर्मास कमेटी के अध्यक्ष ओमप्रकाश जैन ने बताया कि कस्बे के पाŸवनाथ मन्दिर चौक से हाथी पर सौधर्म इन्द्र योगेश करेजरिया परिवार एवं महोत्सव के चक्रवर्ती मनोज धनपाल चन्दावत परिवार का नगर में भव्य जूलूस निकाला गया। जूलूस में बैण्डबाजे के साथ आचार्य ससंघ के साथ महोत्सव के इन्द्र इन्द्राणी नाचते झूमते प्रभु की भक्ति में चल रहे थे। इसके बाद पुरूष श्वेत वस्त्र में तो महिलाएं केशरीया वस्त्र में प्रभु के जयकारे लगाए चल रही थी। जूलूस में चक्रवर्ती परिवार की ओर से केमक्षिक दान के तहत फल, बर्तन एंव रत्न की प्रभावना बांटी गई। जूलूस कस्बे के सदर बाजार, पुराना बस स्टेण्ड, स्वामी विवेकानन्द चौक होते हुए श्यामा वाटिका में पहुंची। जहां पर पंडित श्रषभ जैन के निर्देशन में समवशरण में पंचामृत अभिषेक एवं महाशान्तीधारा के मुखारबिन्द से की गई। इसके उपरान्त पूजन एवं विधान के कार्य सम्पन्न हुए। दिव्यदेशना में चक्रवर्ती एवं यज्ञनायक एवं ध्वजारोहणकर्ता ने जिज्ञासा मे प्रश्र पूछा की है गुरूवर तप, तपस्या, साधना, आराधना, आरती, तपचर्या क्या है इस पर आचार्य ने बताया कि प्रभु की आराधना करने का लाभ किस्मत वालो को मिलता है। धरा के पुण्य से धार्मिक अनुष्ठान आयोजित होते है। संयम के बिना साधना नहीं हो सकती है। संयमित जीवन जीने वाला श्रावक पुण्यात्मा होता है असंयमित जीवन जीने वाला पाप का भागी होता है। प्रभु की आराधना निर्मल भावो के साथ करनी चाहिए। मन में कषाय को पाल कर प्रभु की भक्ति करना व्यर्थ होती है। प्रभु की भक्ति में स्वच्छ बर्तन एवं द्रव्यों के साथ तन्मयता के साथ करना चाहिए। तप, तपस्या, साधना, पूजन, तपचर्या सभी का सार संयम होता है। सभा के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम में टिले वाले बाबा की लघु नाटिका का आयोजन किया गया।
विरागसागर का 43 वां अवतरण दिवस 9 को
स्थानीय दिगम्बर जैन समाज के तत्वाधान में चल रए आराधना महोत्सव के तहत शनिवार को विरागसागर का राष्टिय रजत आचार्य पदारोहण दिवस पर भव्य भक्तिमय अष्ट दव्य से पूजन एंव गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा। शनिवार को कस्बे में विराजित श्रमणाचार्य विमदसागर का 43वां अवतरण दिवस मनाया जाएगा। अवतरण दिवस पर विशेष पूजन एवं 43 थालीयों में पाद प्रक्षालन एवं को रात्रि मे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
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