घर-घर सर्वे जारी, कर रहे उपचार
जिले में मौसमी बीमारियां बढ़ गई है। ऐसे में विभाग की ओर से घर-घर सर्वे किया जा रहा है। स्क्रब टायफस के रोगी एमपी सीमा से सटे गांवों में अधिक मिले है। ऐसे में यहां पर घर-घर सर्वे कराया जा रहा है। सभी को उपचार दिया जा रहा है। साथ मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए उचित सलाह भी दी जा रही है। वैसे गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष में कमी आई है।
डॉॅ. वीके जैन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रतापगढ़
पिस्सू के काटने से फैलता है स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस रोग एक छोटे से जीव पीस्सू के काटने से फैलता है। पीस्सू के लार में मौजूद एक खतरनाक जीवाणु रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के रक्त में फैल जाता है। इसकी वजह से लिवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंच जाता है।
इन्हें ज्यादा खतरा पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों के आस-पास रहता है। यहां पिस्सू ज्यादा पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घने घास के पास इस पिस्सू के काटने का खतरा रहता है। पिस्सू के काटने के दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आने लगती है। पिस्सू के काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है। इसका समय रहते इलाज नहीं हो तो रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। कुछ मरीजों में लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पाते जिससे वह बेहोशी की हालत में चला जाता है। रोग की गंभीरता के अनुरूप प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।
यह करें उपचार के लिए
लक्षण व पिस्सू द्वारा काटने के निशान को देखकर रोग की पहचान होती है। ब्लड टेस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर फंक्शनिंग टेस्ट करते हैं। एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से स्क्रब टाइफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7 से 14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है। हफ्ते में एक बार प्रिवेंटिव दवा भी देते हैं।
जिले में मौसमी बीमारियां बढ़ गई है। ऐसे में विभाग की ओर से घर-घर सर्वे किया जा रहा है। स्क्रब टायफस के रोगी एमपी सीमा से सटे गांवों में अधिक मिले है। ऐसे में यहां पर घर-घर सर्वे कराया जा रहा है। सभी को उपचार दिया जा रहा है। साथ मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए उचित सलाह भी दी जा रही है। वैसे गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष में कमी आई है।
डॉॅ. वीके जैन, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, प्रतापगढ़
पिस्सू के काटने से फैलता है स्क्रब टायफस
स्क्रब टायफस रोग एक छोटे से जीव पीस्सू के काटने से फैलता है। पीस्सू के लार में मौजूद एक खतरनाक जीवाणु रिक्टशिया सुसुगामुशी मनुष्य के रक्त में फैल जाता है। इसकी वजह से लिवर, दिमाग व फेफड़ों में कई तरह के संक्रमण होने लगते हैं और मरीज मल्टी ऑर्गन डिसऑर्डर के स्टेज में पहुंच जाता है।
इन्हें ज्यादा खतरा पहाड़ी इलाके, जंगल और खेतों के आस-पास रहता है। यहां पिस्सू ज्यादा पाए जाते हैं। लेकिन शहरों में भी बारिश के मौसम में जंगली पौधे या घने घास के पास इस पिस्सू के काटने का खतरा रहता है। पिस्सू के काटने के दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज बुखार, सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द व शरीर में कमजोरी आने लगती है। पिस्सू के काटने वाली जगह पर फफोलेनुमा काली पपड़ी जैसा निशान दिखता है। इसका समय रहते इलाज नहीं हो तो रोग गंभीर होकर निमोनिया का रूप ले सकता है। कुछ मरीजों में लिवर व किडनी ठीक से काम नहीं कर पाते जिससे वह बेहोशी की हालत में चला जाता है। रोग की गंभीरता के अनुरूप प्लेटलेट्स की संख्या भी कम होने लगती है।
यह करें उपचार के लिए
लक्षण व पिस्सू द्वारा काटने के निशान को देखकर रोग की पहचान होती है। ब्लड टेस्ट के जरिए सीबीसी काउंट व लिवर फंक्शनिंग टेस्ट करते हैं। एलाइजा टेस्ट व इम्युनोफ्लोरेसेंस टेस्ट से स्क्रब टाइफस एंटीबॉडीज का पता लगाते हैं। इसके लिए 7 से 14 दिनों तक दवाओं का कोर्स चलता है। हफ्ते में एक बार प्रिवेंटिव दवा भी देते हैं।