कहां कितनी बारिश
स्थान बारिश
प्रतापगढ़ 892 एमएम
अरनोद 412 एमएम
छोटीसादड़ी 266 एमएम
धरियावद 419 एमएम
पीपलखूंट 338 एमएम प्रतापगढ़ में सबसे ज्यादा
अब तक हुई बारिश के दर्ज आंकड़ों के अनुसार प्रतापगढ़ में सर्वाधिक बारिश हुई है। यहां अब तक 892 एमएम बारिश हो चुकी है चेरापूंजी कहे जाने वाले अरनोद क्षेत्र में अब तक काफी कम बारिश हुई है और यहां अब तक 412 एमएम बारिश ही दर्ज की गई है। छोटीसादड़ी और अरनोद उपखंड क्षेत्र की भी कमोबेश यही स्थिति है। ऐसे में इन जगहों पर अभी और अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
स्थान बारिश
प्रतापगढ़ 892 एमएम
अरनोद 412 एमएम
छोटीसादड़ी 266 एमएम
धरियावद 419 एमएम
पीपलखूंट 338 एमएम प्रतापगढ़ में सबसे ज्यादा
अब तक हुई बारिश के दर्ज आंकड़ों के अनुसार प्रतापगढ़ में सर्वाधिक बारिश हुई है। यहां अब तक 892 एमएम बारिश हो चुकी है चेरापूंजी कहे जाने वाले अरनोद क्षेत्र में अब तक काफी कम बारिश हुई है और यहां अब तक 412 एमएम बारिश ही दर्ज की गई है। छोटीसादड़ी और अरनोद उपखंड क्षेत्र की भी कमोबेश यही स्थिति है। ऐसे में इन जगहों पर अभी और अच्छी बारिश का बेसब्री से इंतजार है।
किसानों के चेहरे खिले
कांठल में इस वर्ष अब तक हो रही अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। अधिकांश किसानों ने खेतों में बुवाई कार्य कर लिया है वहीं कई किसान खेतों में बुवाई में जुटे हुए हैं। साथ ही इन दिनों मौसम खुला होने से खेतों में से खरपतवार हटाने का कार्य किया जा रहा है। अब तक हुई अच्छी बारिश से कृषकों को इस बार यहां अच्छी फसल होने की उम्मीद है।
कांठल में इस वर्ष अब तक हो रही अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। अधिकांश किसानों ने खेतों में बुवाई कार्य कर लिया है वहीं कई किसान खेतों में बुवाई में जुटे हुए हैं। साथ ही इन दिनों मौसम खुला होने से खेतों में से खरपतवार हटाने का कार्य किया जा रहा है। अब तक हुई अच्छी बारिश से कृषकों को इस बार यहां अच्छी फसल होने की उम्मीद है।
भूजल स्तर बढऩे की उम्मीद
क्षेत्र में अच्छी बारिश से यहां लगातार गिर रहे भूजल स्तर के भी बढऩे की उम्मीद जगी है। जानकारों के अनुसार रिमझिम बारिश से पानी बहकर निकलने के बजाए जमीन में जमा हो जाता है। जिससे भूजल स्तर बढ़ता है।
क्षेत्र में अच्छी बारिश से यहां लगातार गिर रहे भूजल स्तर के भी बढऩे की उम्मीद जगी है। जानकारों के अनुसार रिमझिम बारिश से पानी बहकर निकलने के बजाए जमीन में जमा हो जाता है। जिससे भूजल स्तर बढ़ता है।
बांधों में पर्याप्त पानी नहीं
जिले में भले ही औसत से आधी बारिश हो चुकी हो लेकिन बांधों को अब भी पानी की दरकार है। भंवरसेमला बांध में पानी की काफी अच्छी आवक के अलावा जिले के अधिकांश बांधों में अब तक हुई बारिश से पानी तो आया है लेकिन वे अभी पूरे भरने से काफी दूर हैं वहीं जिले के चाचाखेड़ी, बसेड़ा लोवर और बागदरी बांध में पानी की आवक काफी अपर्याप्त हुई है और इन बांधों को अभी काफी पानी की दरकार है।
करीब 7 दिन से नहीं हुई बारिश
शहर सहित जिले के विभिन्न स्थानों पर पिछले दिनों जोरदार बारिश के दौर चले। लगातार कई दिनों तक बारिश हुई। एक दिन में 11 इंच बारिश तक हो चुकी। जिसके चलते जलस्त्रोतो में पानी की जोरदार आवक रही थी और कई नदी नाले उफान पर आ गए थे वही सडक़ों-खेतों में पानी भर गया था लेकिन पिछले एक सप्ताह से मानसून रुठा हुआ है और बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में किसानों के खेत फिर से सूखने लगे हैं और सभी को फिर से बारिश का इंतजार है।
जिले में भले ही औसत से आधी बारिश हो चुकी हो लेकिन बांधों को अब भी पानी की दरकार है। भंवरसेमला बांध में पानी की काफी अच्छी आवक के अलावा जिले के अधिकांश बांधों में अब तक हुई बारिश से पानी तो आया है लेकिन वे अभी पूरे भरने से काफी दूर हैं वहीं जिले के चाचाखेड़ी, बसेड़ा लोवर और बागदरी बांध में पानी की आवक काफी अपर्याप्त हुई है और इन बांधों को अभी काफी पानी की दरकार है।
करीब 7 दिन से नहीं हुई बारिश
शहर सहित जिले के विभिन्न स्थानों पर पिछले दिनों जोरदार बारिश के दौर चले। लगातार कई दिनों तक बारिश हुई। एक दिन में 11 इंच बारिश तक हो चुकी। जिसके चलते जलस्त्रोतो में पानी की जोरदार आवक रही थी और कई नदी नाले उफान पर आ गए थे वही सडक़ों-खेतों में पानी भर गया था लेकिन पिछले एक सप्ताह से मानसून रुठा हुआ है और बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में किसानों के खेत फिर से सूखने लगे हैं और सभी को फिर से बारिश का इंतजार है।