छोटीसादड़ी चिकित्सालय में तीन वर्ष से धूल फांक रही सोनोग्राफी मशीन
प्रतापगढ़. छोटीसादड़ी. सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और अन्य रोग से पीडि़त महिलाओं की सुविधाओं के लिए लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराकर उपखण्ड क्षेत्र मुख्यालय व जनजाति बहुल क्षेत्र की महिलाओं को नि:शुल्क जांच मुहैया कराने की सुविधा की गई। चिकित्सालय में दो गायनोलॉजिस्ट की नियुक्त किए जाने के बावजूद भी गर्भवती महिलाएं अभी भी प्राइवेट सोनोग्राफी केंद्र के भरोसे उपचार ले रही है।

-तीन साल बाद भी नहीं मिल रही सुविधा
प्रतापगढ़. छोटीसादड़ी. सरकार द्वारा गर्भवती महिलाओं और अन्य रोग से पीडि़त महिलाओं की सुविधाओं के लिए लाखों रुपए खर्च कर अस्पताल में सोनोग्राफी मशीन उपलब्ध कराकर उपखण्ड क्षेत्र मुख्यालय व जनजाति बहुल क्षेत्र की महिलाओं को नि:शुल्क जांच मुहैया कराने की सुविधा की गई। चिकित्सालय में दो गायनोलॉजिस्ट की नियुक्त किए जाने के बावजूद भी गर्भवती महिलाएं अभी भी प्राइवेट सोनोग्राफी केंद्र के भरोसे उपचार ले रही है। कई ग्रामीण महिलाएं तो मोटी रकम जांच में खर्च कर पाने में असमर्थ होने के कारण सरकारी अस्पताल में डिलीवरी नहीं कराने के कारण सरकार द्वारा चलाई जा रही जननी सुरक्षा जैसी सुविधाओं से वंचित रह जाती है। वहीं डिलीवरी अन्य शहरों के सरकारी चिकित्सालय में जाकर करवाने पर विवश है। जहां पहले छोटीसादड़ी चिकित्सालय जननी सुरक्षा वार्ड में काफी डिलीवरी होती थी। आज यह स्थिति है कि इक्का दुक्का महिलाएं भर्ती दिखाई देती है। गौरतलब है कि उपखंड मुख्यालय के जयचंद मोहिल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ग्रामीण महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी सोनोग्राफी सुविधा उपलब्ध करवाने में मशीन आने के तीन साल बाद भी लाभ नहीं मिल पा रही है। जिले में छोटीसादड़ी तहसील को सबसे बड़ी तहसील मानी जाती है। महिलाओं को सोनोग्राफी जांच कराने के लिए निजी सोनोग्राफी केंद्रों पर जाना पड़ रहा है। सीएससी में सोनोग्राफी मशीन है, लेकिन इस सुविधा का लाभ प्रसूताओं व दूसरे मरीजों को नहीं मिल पा रही है। आलम यह है कि यहां किसी प्रसूता को सोनोग्राफी की जरूरत पड़ी तो दूसरे शहरों में दौड़ लगानी पड़ती है। हर वर्ष करीब एक हजार डिलेवरी होती है। सोनोग्राफी की सुविधा मरीजों को उपलब्ध करवाने के लिए अस्पताल में तकनीशियन का होना जरूरी है। तकनीशियन के नहीं होने पर अस्पताल में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस व दूसरे चिकित्सक को 6 माह का प्रशिक्षण का दिलवाकर जरुरतमंदों को सोनोग्राफी सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। बता दें कि अस्पताल में तीन साल के दौरान इन दोनों में से कोई भी एक प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
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दो से तीन बार होती है सोनोग्राफी जांच
चिकित्सकों के अनुसार गर्भवती महिलाओं को दो से तीन बार सोनोग्राफी जांच की आवश्यकता पड़ती है। ये जांच तीसरे, छठे, नौंवे माह में करवाई जाती है। प्रसव पूर्व जांच सभी महिलाओं के लिए आवश्यक है। आवश्यकता पडऩे पर और भी जांच करवानी पड़ती है। इसके अलावा पेट संबंधी बीमारी की जांच पथरी पिताशय, अपेंडिक्स, किडनी, छोटी आंत, बड़ी आंत में रुकावट होने पर सोनोग्राफी जांच की आवश्यकता होती है। ऐसे केस में या तो रोगी प्रतापगढ़ जाता है या फिर प्राइवेट केंद्रों पर सोनोग्राफी करवाता है।
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कर रहे है प्रयास...
चिकित्सालय से सारी कागजी कार्रवाई पूर्ण कर सीएमएचओ को भेज दी थी। लेकिन सीएमएचओ कार्यालय से सोनोग्राफी मशीन शुरू करने के आदेश नहीं आए। अब जल्द ही कुछ ही दिनों में शुरू हो जाएगी।
डॉ. विजय गर्ग, चिकित्सा प्रभारी, जयचन्द मोहिल राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय, छोटीसादड़ी
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