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बलात्कारी को दस वर्ष की कठोर कैद और एक लाख रुपए का जुर्माना

locationप्रतापगढ़Published: Aug 04, 2021 08:01:06 am

Submitted by:

Devishankar Suthar

प्रतापगढ़. पोक्सो एक्ट के न्यायाधीश परमवीरसिंह चौहान ने बलात्कार के अभियुक्त को दस साल की कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशिष्ठ लोक अभियोजक गोपाललाल टांक ने बताया कि अभियुक्त डूंगरपुर जिला निवासी प्रकाश मीणा पिता नगजी मीणा है।

बलात्कारी को दस वर्ष की कठोर कैद और एक लाख रुपए का जुर्माना

बलात्कारी को दस वर्ष की कठोर कैद और एक लाख रुपए का जुर्माना


पॉक्सो न्यायालय का फैसला
प्रतापगढ़. पोक्सो एक्ट के न्यायाधीश परमवीरसिंह चौहान ने बलात्कार के अभियुक्त को दस साल की कैद और एक लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। विशिष्ठ लोक अभियोजक गोपाललाल टांक ने बताया कि आरोपी डूंगरपुर जिला निवासी प्रकाश मीणा पिता नगजी मीणा है। उसके खिलाफ जिले के एक गांव की पीडि़ता के पिता ने जनवरी २०१६ में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी पुत्री नदी में नहाने गई थी। लेकिन शाम तक नहीं आई। कुछ दिन ढूंढने पर भी नही मिली। बाद में पता चला कि आरोपी उसे बहला फुसलाकर ले गया तथा उसके साथ बलात्कार व मारपीट की।
इस रिपोर्ट पर पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर बाद अनुसंधान चालान न्यायालय में पेश किया। प्रकरण को साबित करने के लिए अभियोजन की ओर से 15 गवाह व 24 दस्तावेज पेश किए गए। मामले की सुनवाई और जिरह के बाद अदालत ने प्रकाश मीणा को पोक्सो एक्ट के तहत दोषी माना और दस साल की कठोर कारावास और एक लाख रुपए का जुर्माने की सजा सुनाई।मावे में मिलावट करने पर ६ माह की सजा
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न्यायालय ने 6 माह का कारावासए एक हजार के जुर्माना से किया दण्डित
छोटीसादड़ी. न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मावे में मिलावट करने के 11 वर्ष पुराने मामले का निर्णय देते हुए एक दुकानदार को दोषी मानते हुए उसे छ: माह का कठोर कारावास की सजा सुनाई है। उस पर एक हजार रुपए का अर्थदण्ड भी लगाया गया है।
न्यायालय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देवेन्द्रसिंह पंवार ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मावे में मिलावट करने वाले छोटीसादड़ी निवासी नरेन्द्र कुमार पुत्र रतनलाल तेली को खाद्य पदार्थ मावा में मिलावट के आरोप में दोषी माना। खाद्य पदार्थ अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 के अपराध के आरोप में छ: माह का कठोर कारावास तथा एक हजार रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया।
इस मामले में खाद्य निरीक्षक राजेश कुमार जांगिड़ ने नरेंद्र के विरुद्ध 16 सितम्बर 2010 को न्यायालय में परिवाद दर्ज कराया था। जिसमें जांगिड़ ने बताया था कि 16 अपे्रल 2010 को नया बस स्टेण्ड के सामने स्थित होटल का निरीक्षण किया। जहां एल्यूमीनियम की ट्रे में बिक्री के लिए रखा गया मावा में मिलावट होने की आशंका होने पर उसे जांच के लिए नमूना लिया। नमूने को जांच के लिए उदयपुर जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में भेजा गया। जिसकी जांच रिपोर्ट में मावा का नमूना निर्धारित मानक का नहीं पाया गया। तथा मिलावटी पाया गया। जिसके आधार पर न्यायालय में यह मुकदमा 2010 से लंबित था। जिसका निर्णय पीठसीन अधिकारी ने फैसला सुनाया है।
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