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रूस के किर्गीस्तान में सीकर के छात्र की मौत, सिर्फ इतना काम हो जाता तो बच जाती जान

locationप्रतापगढ़Published: Nov 14, 2016 10:54:00 am

Submitted by:

vishwanath saini

रूस के किर्गीस्तान में सीकर के छात्र शुभम बांगड़वा की मौत की खबर मिलने पर रामगढ़ तहसील के ढांढण गांव में शोक छा गया।

डॉक्टर बनने के सपनों को लेकर विदेश गए सीकर निवासी युवक की रविवार को मौत हो गई। वह पिछले दस दिनों से जिदंगी और मौत के बीच रूस के किर्गीस्तान के एक अस्पताल में जंग लड़ रहा था। लेकिन बेहतर उपचार के अभाव में उसने रविवार को दम तोड़ दिया। युवक के परिजनों ने विदेश मंत्रालय, जनप्रतिनिधियों व अफसरों से अपने लाल को भारत लाने की खूब गुहार लगाई थी।

युवक के साथियों ने प्रधानमंत्री व विदेश मंत्री को भी ईमेल कर मदद मांगी। लेकिन कही से कोई मदद नहीं मिली। छात्र शुभम बांगड़वा की मौत की खबर मिलने पर रामगढ़ तहसील के ढांढण गांव में शोक छा गया। छात्र 26 सितम्बर 2016 को किर्गीस्तान के ओएसएच शहर की ओएसएच मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई करने गया था। दिवाली के बाद वह अचानक बीमार हो गया।

पांच नवम्बर को दोस्तों ने अस्पताल में भर्ती कराया। चिकित्सकों ने ब्रेन ट्यूमर होने की बात कही। जानकारी के अनुसार इसके बाद सीकर निवासी युवक शुभम कोमा में चला गया था। परिजनों का आरोप है कि एयर एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलने के कारण उसे सही उपचार नहीं मिल सका।
परिजनों को नहीं पता, कहा है उनका लाल


परिजनों को रविवार रात तक इसकी जानकारी नहीं थी कि उनका लाल अब किस हालत में है। परिवार के लोग अब भी ईश्वर से अपने लाल की सलामती की दुआ मांग रहे है। परिजनों को यह कह रखा कि अभी उसका उपचार चल रहा है इसलिए बातचीत नहीं हो सकती। गांव के जिन लोगों को पता है उन्हे घर जाने से मना कर दिया है।

गुस्साए छात्रों ने शुरू किया धरना

कई दिनों से बीमार शुभम को एयर एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलने से नाराज मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने भारतीय दूतावास के सामने रविवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने भारत सरकार पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है। यहां के अध्ययनरत छात्रों का कहना था कि यदि समय पर उपचार मिलता तो शुभम की जान बचाई जा सकती थी।

एजेंटों के जाल में डॉक्टरी सपना


शेखावाटी से हर वर्ष सैकडों युवा चीन, रूस व फिलिपिन्स और नेपाल सहित अन्य देशों में डॉक्टरी की पढ़ाई करने जाते है। विदेशों में डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले युवाओं ने बताया कि प्रवेश से पहले एजेन्ट मेडिकल कॉलेज को शहर में ही स्थित होने की बात कहते है।
लेकिन जब वहां जाते है तो पता लगता है कि मेडिकल कॉलेज तो दूर जंगल में जहां कोई सुविधा नहीं है। इसके बाद विद्यार्थी जब परेशानी की बात कहते है तब तक उनकी मोटी रकम फंस चुकी होती है। इसके बाद परिजन भी वहां पर ही पढ़ाई करने का दवाब बनाते हैं।

मंगलवार को आएगा शव

शुभम के दोस्तों का किर्गीस्तान में रो-रोकर बुरा हाल है। शुभम के दोस्त राजीव ने बताया कि शव मंगलवार सुबह दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचेगा। इसके बाद परिजनों को सूचना दी जाएगी। शुभम के दोस्तों का कहना है कि विदेश मंत्रालय से अब भी कोई सहायता नहीं मिल रही है।
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