scriptबिजली बंद तो लैब में जांच नहीं | There is no investigation even in the lab if power is off | Patrika News

बिजली बंद तो लैब में जांच नहीं

locationप्रतापगढ़Published: Sep 04, 2019 11:58:51 am

Submitted by:

Devishankar Suthar

जिला चिकित्सालय में बिजली बंद होने पर इमरजेंसी की सुविधा नहींलैब में जांच और रिपोर्ट पर करना पड़ता है इंतजार

बिजली बंद तो लैब में जांच नहीं

बिजली बंद तो लैब में जांच नहीं


जिला चिकित्सालय में बिजली बंद होने पर इमरजेंसी की सुविधा नहीं
लैब में जांच और रिपोर्ट पर करना पड़ता है इंतजार
प्रतापगढ़
जिला चिकित्सालय में इमरजेंसी में बिजली की समुचित सुविधा नहीं होने से बिजली बंद होने से जांचें प्रभावित हो रही है। यहां कई बार तो बिजली बंद होने से जांचें भी अटक जाती है। ऐसे में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यहां चिकित्सालय में वैसे तो बिजली बंद होने पर इमरजेंसी में जनरेटर और इन्वर्टर की भी सुविधा है। लेकिन लैब में तकनीकी खरराबी के कारण बिजली बंद होने पर यहां कोई काम नहीं हो पाता है।
यहां लैब के लिए अलग से जनरेटर की सुविधा भी है। वहीं इन्वर्टर भी लगाया हुआ है। लेकिन यह अभी नाकारा पड़े हुए है। जिससे बिजली बंद होने पर यहां होने वाली जांचें भी नहीं हो पा रही है।
मौसमी बीमारियों बढऩे से बढ़े मरीज
इन दिनों मौसमी बीमारियों ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। जिससे यहां मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। हालांकि अभी सर्दी-जुकाम और बुखार के मरीज अधिक पहुंच रहे है। लेकिन आगामी दिनों में मलेरिया और अन्य मौसमी बीमारियों की आशंका को देखते हुए लैब में जांचें समय पर होने के लिए सुचारू बिजली की भी आवश्यकता है। यहां लैब में अभी रोजाना करीबन सौ जांचें रोजाना हो रही है।
डबल कनेक्शन है, कराएंगे सुधार
जिला चिकित्सालय में वैसे तो डबल कनेक्शन है। ऐसे में यहां एक फेज बंद होने पर दूसरा फेज शुरू हो जाता है। जिससे बिजली बंद होने की समस्या बहुत कम रहती है। वहीं जनरेटर और इन्वर्टर खराब होने पर संबंधित कर्मचारी को सुधार के निर्देश दिए है। शीघ्र ही यहां इस समस्या से भी निजात दिलाई जाएगी।
डॉ. ओपी दायमा
उप नियंत्रक, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़
धमोतर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर के पद रिक्त
धमोतर.कस्बे के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों के पद रिक्त है। इसके चलते मरीजों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मरीज कस्बे से एक किलोमीटर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचते हैं, तब पता चलता है कि वहां चिकित्सक ही नहीं है। उन्हेें निराश लौटना पड़ता है। वहां नर्सिंग स्टाफ है, जो किसी प्रकार की रिस्क नहीं लेना चाहते। अस्पताल में व्यवस्थाओं की भी कमी है। मरीजों के लिए पीने का पानी तक उपलब्ध नहीं है। मरीज को या तो अपने साथ पानी की बोतल ले जानी पड़ती है या किसी से मांग कर पानी पीना पड़ता है। टॉयलेट में पानी की व्यवस्था नहीं है। कुछ समय पहले ही हॉस्पिटल से पानी की मोटर चोरी हो चुकी है।
अस्पताल में चौकीदार की व्यवस्था नहीं है। इस अस्पताल में पहले भी कई बार चोरी की वारदातें हो चुकी। तक इसका भवन गांव के अंदर पुराने बस स्टैंड के पास था। नया हॉस्पिटल नेशनल हाईवे 113 पर बन चुका है लेकिन दूरी ज्यादा होने से वैसे ही तो मरीज परेशान होता है उसके पास जाने के बाद डॉक्टर के नहीं मिलने से मरीजों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मोतर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक पद चिकित्सक का रिक्त है, जबकि एएनएम के दो पद रिक्त हैं। एक पोस्ट लैब टेक्नीशियन (खून पेशाब की जांच करने वाले) की खाली है। इन पोस्टों के अभाव में जनता परेशान है।
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