छोटीसादड़ी राज्य सरकार के गांव, गरीब व किसान के विकास के दावे उपखण्ड क्षेत्र के गांवों की टूटी सडक़ों की अनदेखी के चलते थोथे साबित होते जा रहे है।
क्षतिग्रस्त सडक़ों व टूटी पुलियाओं की सुध नहीं लेने से ग्रामीण इन पर हिचकोले खाने को मजबूर है। सफर के दौरान क्षतिग्रस्त सडक़ों पर आवागमन बाधित हो रहा है। आए दिन दुर्घटनाए भी हो रही है।
विभाग की अनदेखी के चलते बारिश में टूटी पुलिया और सडक़ों की बारिश खत्म होने के बाद भी सुध नहीं ली है। जिसके चलते सडक़ों पर गड्ढे हो गए है। आदिवासी अंचल क्षेत्र के लोगों को तो जान जोखिम में डाल कर इन पुलियाओं से गुजरना पड़ रहा है। अचलपुरा, बरवाड़ा, जलोदिया केलूखेड़ा, अचारी, बरेखन, मानपुरा सहित कई गांवों की सडक़ें गड्ढों में परिवर्तित होने के बाद भी सुध नहीं ली जा रही है। स्टेट हाइवे पर स्थित पुलियाओं पर तो सुरक्षा दीवार तो ठीक दो वर्ष से अधिक समय हो जाने के बाद भी मलावदा गांव के पास बने एनीकट की पुलिया व नाराणी गांव से पूर्व बानी पुलिया पर सुरक्षा दीवार ओर सावधानी के लिए संकेतक बोर्ड तक नहीं है।
अवैध वाहनों ने बिगाडी गांव की सूरत
उपखण्ड क्षेत्र के जलोदिया केलूखेड़, अचारी, सुबी सहित कई गांवों में सीसी सडक़े तो अवैध रूप से परिवहन करते वाहनों ने गांव की सूरत ही बिगाड़ दी। ग्रामीणों ने जलोदिया केलूखेड़ा में पहले आयोजित रात्रि चौपाल में जिला कलक्टर को अवैध रूप से परिवहन होरहे वाहनों व उनसे बिगड़ रही गांव की सडक़ों के बारे में अवगत कराया था। लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के ढीलपोल रवैय्ये के चलते आज भी हालत जस के तस है। जिसके चलते सरकार की गांवए गरीब और किसान के विकास की योजनाएं मिथ्या साबित हो रही है।
सडक़ हुई खराब
मोवाई
कोटड़ी से चूपना तक सडक़ काफी खराब हो चुकी है। सडक़ पर बड़े कंकड़ निकल आऐ और बडे गड्ढे हो गए है।
कई स्थानों पर तो हालात यह हैकि सडक़ पर दो फीट और आधा फीट गहरे गड्ढे हो गए है।
इससे वाहनों में नुकसान होने लगा है।राहगीरों को काफी परेशानी हो रही है।
ग्रामीणों ने सडक़ की मरमत कराने की मांग की है। लेकीन विभाग कोई
ध्यान नहीं दे रहा है।
गांव के प्रकाश खटीक, प्रकाश मीणा, अमरू गायरी, भेरू प्रजापत, हीरालाल चौधरी, ऊंकार चौधरी, अशोक कुम्हावत, कमलेश शर्मा, अनिल विरवाल, अशोक जैन, जगदीश राठोड आदि ग्रामीणों ने मरम्मत की मांग की है।