आकोदड़ा मगरा माताजी में वन विहार
प्रतापगढ़Published: Aug 02, 2022 02:22:59 pm
Van Vihar in Akodara Magra Mataji
आकोदड़ा मगरा माताजी में वन विहार
अरनोद के स्वयंसेवकों ने लिया भाग
अरनोद.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खंड अरनोद का रणचंडी वन विहार कार्यक्रम पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले के तीर्थ स्थान मगरा माताजी आकोदड़ा में हुआ। जिसमें अरनोद खंड के 31 स्थान से एक हजार से अधिक स्वयं सेवकों ने भाग लिया। रणचंडी वन विहार में 2 दलो का विभाजन हुआ। एक दल राणा पुंजा और दूसरा दल भगवान बिरसा मुंडा दल के नाम से रहा। दोनों दलों के सेनापति के साथ पूरे समय जोश और जुनून के साथ राष्ट्रभक्ति गीतों के साथ शारीरिक कार्यक्रमों में सभी स्वयंसेवक सम्मिलित रहे। जिसमें कक्षा 8 और उसके ऊपर के विद्यार्थी एवं बुजुर्ग तक सभी सम्मिलित हुए। उसके बाद बौद्धिक का सत्र रहा। जिसमें चित्तौड़ प्रांत के प्रांत शारीरिक शिक्षण प्रमुख नारायणलाल उदयपुर ने कहा कि भारत माता की सेवा मे अपनी अधिक से अधिक क्षमता को अर्पण करने और प्रत्येक गांव तक संघ विस्तार के बारे में पाथेय प्रदान हुआ। साथ में प्रतापगढ़ जिला संघचालक सीताराम, चितोड विभाग ग्राम विकास प्रमुख गीतालाल एवं विविध संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता साथ रहे। संघ के दीपक प्रजापति ने बताया कि मंदसौर जिले के भी विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी उपस्थिति रहे।
निकाली कावड़ यात्रा
प्रतापगढ़.
श्रावण मास के तीसरे सोमवार को कांठल के शिवालयों में श्रद्धालुओं की रेलमपेल रही। शिवालयों में सुबह से श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने शिवजी का अभिषेक किया। जिले के गौतमेश्वर, नीलकंठ महादेव, दीपेश्वर महादेव, सिद्धेरिया महादेव समेत कई शिवालयों में दिनभर श्रद्धालुओं की रेलमपेल लगी रही। इसके साथ ही जिले में कई स्थानों पर कावड़ यात्रा भी निकाली गई। वहीं शहर में शाही सवारी निकाली गई। जिसमें कई श्रद्धालुओं ने भाग लिया। सावन के तीसरे सोमवार को भोले नाथ की शाही सवारी शिव भक्त मंडल द्वारा शाम को धान मंडी स्थित ब्रह्म सभा से निकाली गई। जो धान मंडी से शुरू होकर, माणक चौक, झंडा गली होते हुए दीपेश्वर महादेव पहुंची। शाही सवारी का जगह.जगह स्वागत किया गया।
अरनोद. आदिवासियों के हरिद्वार गौतमेश्वर में श्रावण के पहले सोमवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने यहां पापमोचनी गंगाकुंड में डुबकी लगाई और शिव का अभिषेक किए। इसके साथ ही यहां मंदिर के गुंबज पर गदालोट पर परिक्रमा भी लगाई।
मोवाई. निकटवर्ती मध्य प्रदेश से कावड़ यात्रा निकाली गई। जो विभिन्न मार्गों से होते हुए गौतमेश्वर पहुंची। जहां शिवजी का अभिषेक किया। निकटवर्ती मध्यप्रदेश के गांवों से कावडय़ात्रा शुरू की गई। जिसमें कई लोगों ने विभिन्न रूप धरे। भोलेनाथ के रूप बनकर और राक्षस के रूप में डीजे के साथ हाथों में ताशे बजाकर नाचते हुए आए।