झोलाछाप चिकित्सकों का लेना पड़ रहा है सहारा
पशुपालकों ने बताया कि नजदीकी में पशु चिकित्सालय नहीं होने से अब पशुओं के उपचार के लिए झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। जो साधारणत: ही पशुओं के बीमार होने पर भारी भरकम फीस लेकर उपचार करते है। पशुपालकों को भी अपने पशुओं के उपचार के लिए रुपए देने पड़ रहे है।
चिकित्सा कार्मिकों का तबादला होने से लग गया ताला
ग्रामीणों ने बताया कि इस पशु चिकित्सालय पर एक चिकित्सक सहित कार्मिक कार्यरत थे। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले चिकित्सक एवं कम्पाउण्डर का तबादला अन्यत्र जगह पर हो गया। चिकित्सा विभाग के उच्च अधिकारियों ने पहले इस चिकित्सालय में चिकित्सकों की व्यवस्था किए बिना ही इन चिकित्साकर्मियों का तबादला कर दिया। जिसके कारण इस चिकित्सालय पर सभी कार्मिकों के नहीं होने पर भवन के भी ताला लग गया। यहां के पशुपालकों ने इसे खुलवाने की मांग की है।
पशुपालकों ने बताया कि नजदीकी में पशु चिकित्सालय नहीं होने से अब पशुओं के उपचार के लिए झोलाछाप चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। जो साधारणत: ही पशुओं के बीमार होने पर भारी भरकम फीस लेकर उपचार करते है। पशुपालकों को भी अपने पशुओं के उपचार के लिए रुपए देने पड़ रहे है।
चिकित्सा कार्मिकों का तबादला होने से लग गया ताला
ग्रामीणों ने बताया कि इस पशु चिकित्सालय पर एक चिकित्सक सहित कार्मिक कार्यरत थे। लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले चिकित्सक एवं कम्पाउण्डर का तबादला अन्यत्र जगह पर हो गया। चिकित्सा विभाग के उच्च अधिकारियों ने पहले इस चिकित्सालय में चिकित्सकों की व्यवस्था किए बिना ही इन चिकित्साकर्मियों का तबादला कर दिया। जिसके कारण इस चिकित्सालय पर सभी कार्मिकों के नहीं होने पर भवन के भी ताला लग गया। यहां के पशुपालकों ने इसे खुलवाने की मांग की है।