प्रतापगढ़ . जिले के देवगढ़ क्षेत्र में डेढ़ साल की एक बालिका को डाम लगाने का मामला सामने आया है। मासूम की तबीयत बिगडऩे पर परिजन उसे शुक्रवार को जिला चिकित्सालय लेकर आए। मासूम के शरीर पर तीन जगह पेट, हाथ और पैर पर डाम लगाया गया था। इससे बालिका की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। शनिवार शाम को जब मीडियाकर्मी अस्पताल पहुंचे और बालिका के परिजनों को तलाश किया तो वे बालिका को लेकर अस्पताल से चले गए।
देवगढ़ थाना इलाके के सीतामगरी गांव में नाथूलाल मीणा की डेढ़ वर्षीय बालिका प्रकाश को कुछ दिनों पहले बुखार आया था। इस पर परिजन उसे किसी भोपे के पास ले गए थे। जहां पेट, हाथ और पांव में उसके डाम लगाए थे। इसके बाद मासूम की हालत खराब हो गई। इस पर उसे परिजन शुक्रवार शाम को यहां जिला चिकित्सालय लाए। जहां उसे भर्ती किया गया। इस दौरान अगले दिन इसकी जानकारी मीडियाकर्मियों को लगी। जिस पर कुछ मीडियाकर्मी जिला चिकित्सालय पहुंचे और परिजनों से डाम लगाने की जानकारी लेने लगे। इस पर पहले तो परिजनों ने इस बारे में बताया। बाद में वे घबरा गए और चुपके से मासूम को लेकर वहां से चले गए। चिकित्सालयकर्मी भी उसकी तलाश में की। लेकिन कहीं पता नहीं चला। गौरतलब है कि जागरूकता के अभाव के चलते गांवों में परिजन आज भी अपने छोटे बच्चों के बुखार या निमोनिया होने पर चिकित्सक को दिखाने की बजाय भोपे के पास ले जाकर डाम लगवाते हैं। प्रतापगढ़ में साल भर पहले डाम का मामला आया था।
परिजनों का पता लगाया जा रहा है
&बालिका के परिजनों का पता लगाया जा रहा है। फिलहाल उनसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। प्रतापगढ़ में डाम लगाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगडऩे के केस पहले अधिक आते थे। अब तो काफी कम हो गए है।यह केस एक वर्ष में पहला है।डाम लगाने से चमड़ी जल जाती है। अधिक गहराई पर जलने से खतरा अधिक हो जाता है। इससे संक्रमण भी फैल जाता है।
डॉ. धीरज सेन,
प्रभारी, मातृ एवं शिशु रोग इकाई, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़
संक्रमण की अधिक आशंका
&शरीर पर डाम लगाने से संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है। जब किसी स्थान पर दर्द होता है और वहां धातु के टुकड़े को गर्म कर वहां लगाने से अंदर का दर्द तो कम हो जाता है। लेकिन चमड़ी जलने से यहां उपर का दर्द बढ़ जाता है। ऐसे में जली हुई जगह संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। कई बार रोगी की मौत भी हो जाती है। ऐसे मामले गांवों में ज्यादा देखे जाते हैं। वहां जागरूकता की जरूरत है।
डॉ. नितिन सुथार,
सर्जन, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़
देवगढ़ थाना इलाके के सीतामगरी गांव में नाथूलाल मीणा की डेढ़ वर्षीय बालिका प्रकाश को कुछ दिनों पहले बुखार आया था। इस पर परिजन उसे किसी भोपे के पास ले गए थे। जहां पेट, हाथ और पांव में उसके डाम लगाए थे। इसके बाद मासूम की हालत खराब हो गई। इस पर उसे परिजन शुक्रवार शाम को यहां जिला चिकित्सालय लाए। जहां उसे भर्ती किया गया। इस दौरान अगले दिन इसकी जानकारी मीडियाकर्मियों को लगी। जिस पर कुछ मीडियाकर्मी जिला चिकित्सालय पहुंचे और परिजनों से डाम लगाने की जानकारी लेने लगे। इस पर पहले तो परिजनों ने इस बारे में बताया। बाद में वे घबरा गए और चुपके से मासूम को लेकर वहां से चले गए। चिकित्सालयकर्मी भी उसकी तलाश में की। लेकिन कहीं पता नहीं चला। गौरतलब है कि जागरूकता के अभाव के चलते गांवों में परिजन आज भी अपने छोटे बच्चों के बुखार या निमोनिया होने पर चिकित्सक को दिखाने की बजाय भोपे के पास ले जाकर डाम लगवाते हैं। प्रतापगढ़ में साल भर पहले डाम का मामला आया था।
परिजनों का पता लगाया जा रहा है
&बालिका के परिजनों का पता लगाया जा रहा है। फिलहाल उनसे सम्पर्क नहीं हो पा रहा है। प्रतापगढ़ में डाम लगाने के बाद बच्चों की तबीयत बिगडऩे के केस पहले अधिक आते थे। अब तो काफी कम हो गए है।यह केस एक वर्ष में पहला है।डाम लगाने से चमड़ी जल जाती है। अधिक गहराई पर जलने से खतरा अधिक हो जाता है। इससे संक्रमण भी फैल जाता है।
डॉ. धीरज सेन,
प्रभारी, मातृ एवं शिशु रोग इकाई, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़
संक्रमण की अधिक आशंका
&शरीर पर डाम लगाने से संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है। जब किसी स्थान पर दर्द होता है और वहां धातु के टुकड़े को गर्म कर वहां लगाने से अंदर का दर्द तो कम हो जाता है। लेकिन चमड़ी जलने से यहां उपर का दर्द बढ़ जाता है। ऐसे में जली हुई जगह संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। कई बार रोगी की मौत भी हो जाती है। ऐसे मामले गांवों में ज्यादा देखे जाते हैं। वहां जागरूकता की जरूरत है।
डॉ. नितिन सुथार,
सर्जन, जिला चिकित्सालय प्रतापगढ़