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VIDEO: कुएं में गिरे बीमार हवासिल को निकाला

locationप्रतापगढ़Published: Mar 26, 2019 08:44:25 pm

Submitted by:

Rakesh Verma

वन विभाग ने कराया उपचार

pratapgarh

VIDEO: कुएं में गिरे बीमार हवासिल को निकाला

प्रतापगढ़. जिले के हथुनिया के निकट मचलाना बांध के निकट एक कुएं में गिरे बीमार हवासिल को वन विभाग की टीम ने मंगलवार को बाहर निकाला। इसका उपचार कराकर यहां रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। क्षेत्रीय वन अधिकारी तेजपाल मीणा ने बताया कि मंगलवार दोपहर को सूचना मिली कि मचलाना के निकट एक कुएं में बड़ा सफेद कलर का बड़ी चोंच वाला एक पक्षी गिर गया है। इस पर वन विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया। जहां कुएं में साइबेरियन पेवेलियन जिसे आम बोलचाल की भाषा में हवासिल कहते है। उक्त पक्षी पड़ा हुआ था। इसे बाहर निकाला गया। उसका यहां पशु चिकित्सालय में उपचार कराया गया। एक पंख के नीचे घाव होने से यह उड़ नहीं पा रहा था। इसका उपचार कराया गया। इसे अभी रेस्क्यू सेंटर में रखा गया है। जहां देखभाल की जा रही है। टीम में वनपाल भूपेन्द्रसिंह, घनश्याम कुमावत, बलराम पाटीदार, वीरेन्द्रसिंह, कैलाश कलाल, शिवकन्या, ओम शर्मा आदि शमिल थे।
साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से सर्दी में आते है पेलिकन : इसे रोजी पेलिकन, ग्रीट व्हाइट पेलिकन के नाम से भी जाना जाता है। यह पक्षी एक वजनदार व बड़े आकार का उडऩे वाला पक्षी है। इसमें नर पक्षी का वजन 9 से 15 किलोग्राम तक होता है। भारत में यह पक्षी मुख्यता साइबेरिया और पूर्वी यूरोप से सर्दी के मौसम में आते है। सर्दी के मौसम में जब यहां बर्फ पडऩे लगी है तो हजारों किलोमीटर उड़ान भरकर प्रजनन व भोजन के लिए भारत में आते हैं। जो सर्दी खत्म होने के साथ ही यहां से पुन: उड़ान भरकर यहां से लौट जाते है। यह पक्षी प्रवास के दौरान तीन हजार किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ कर यहां आते है।
लम्बी चोंच से करते हैं मछली का शिकार
इन पक्षियों की चोंच लंबी होती है। चोंच का निचला हिस्सा गले तक थैलीनुमा होता है। इसका प्रयोग पानी में मछली को पकडऩे के लिए करते है। ये चोंच को खोलकर पानी में डूबा कर रखते हैं। चोंच की इस थैली में काफी पानी आ जाता है। पानी के साथ आई मछली को जब गर्दन पानी से बाहर निकालते है व इस थैली को सिकोड़ते हैं तो इससे पानी बाहर आ आता है और ये मछली को निगल जाता है। झिल्लीदार पंजे होते है, जिससे यह पक्षी तैरते हुए ही पानी की सतह से उड़ान भर सकते हैं। इन पक्षियों की नाक नहीं होती। ये अपनी चोंच से ही सांस लेते हैं।
मिट्टी व तिनके एकत्रित कर बनाते हैं बड़ा घोंसला
हवासील का प्रजनन का समय फरवरी से अपे्रल तक होता है। यह पक्षी जोड़ा बनाने के बाद पानी के किनारे मिट्टी व तिनके आदि एकत्रित कर बड़ा घोंसला बनाते है। यह पक्षी अधिकांश समय एक ही जगह पर काफी संख्या में घोंसले होते है। मादा पक्षी दो से तीन अंडे देती है। इसके बाद अंडों से निकले चूजों को नर और मादा दोनों ही पालन-पोषण करते है। हवासील पक्षी के प्रजनन के समय नर पक्षी के चेहरे का रंग गुलाबी व मादा का रंग नारंगी जैसा होता है। इसके बाद इनका रंग सामान्य हो जाता है।

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