प्रदेश का 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता का उत्पादन प्रतापगढ़ में
गौरतलब है कि प्रदेश में कुल उत्पादन होने वाले में से 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता प्रतापगढ़ के जंगलों से होता है। जबकि 6 0 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश के अन्य जंगलों में होता है। यहां के जंगलों में कई प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हंै। इनमें तेंदू के पेड़ भी हैं। ऐसे में यहां तेंदूपत्ता का उत्पादन भी अधिक होता है। इस वर्ष भी तेंदूपत्तों के ठेकों में प्रतापगढ़ में 13 करोड़ रुपए के ठेके हुए है।
जिले में यहां से होती है पत्ता संग्रहण
जिले में सभी तरफ जंगल है। ऐसे में ठेके भी जिले के सभी इकाइयों से होते है। इसमें बांसी, लालपुरा, लसाडिय़ा, छोटीसादड़ी, सियाखेड़ी, साठोला, देवगढ़, धमोतर, दलोट, रामपुरिया जानागढ़, प्रतापगढ़, खूंता मूंगाणा, कातिजाखेड़ा भरकुंडी, लोहागढ़ अंबाव, झडोली मय अखिया मानपुर, मांडवी पीपल्या, भणावता चरी, जायखेड़ा, पीपलखूंट, डूंगलावाणी इकाई के ठेके प्रति वर्षदिए जाते है।
गत पांच वर्षों की स्थिति
वर्ष आय
2012-13 60811257
2013-14 38209801
2014-15 27252033
2015-16 30307406
2016-17 86762726
2017-18 267246993
2018-19 130091588
(आंकड़े वन विभाग के अनुसार रुपए में)
गौरतलब है कि प्रदेश में कुल उत्पादन होने वाले में से 40 प्रतिशत तेंदूपत्ता प्रतापगढ़ के जंगलों से होता है। जबकि 6 0 प्रतिशत उत्पादन प्रदेश के अन्य जंगलों में होता है। यहां के जंगलों में कई प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हंै। इनमें तेंदू के पेड़ भी हैं। ऐसे में यहां तेंदूपत्ता का उत्पादन भी अधिक होता है। इस वर्ष भी तेंदूपत्तों के ठेकों में प्रतापगढ़ में 13 करोड़ रुपए के ठेके हुए है।
जिले में यहां से होती है पत्ता संग्रहण
जिले में सभी तरफ जंगल है। ऐसे में ठेके भी जिले के सभी इकाइयों से होते है। इसमें बांसी, लालपुरा, लसाडिय़ा, छोटीसादड़ी, सियाखेड़ी, साठोला, देवगढ़, धमोतर, दलोट, रामपुरिया जानागढ़, प्रतापगढ़, खूंता मूंगाणा, कातिजाखेड़ा भरकुंडी, लोहागढ़ अंबाव, झडोली मय अखिया मानपुर, मांडवी पीपल्या, भणावता चरी, जायखेड़ा, पीपलखूंट, डूंगलावाणी इकाई के ठेके प्रति वर्षदिए जाते है।
गत पांच वर्षों की स्थिति
वर्ष आय
2012-13 60811257
2013-14 38209801
2014-15 27252033
2015-16 30307406
2016-17 86762726
2017-18 267246993
2018-19 130091588
(आंकड़े वन विभाग के अनुसार रुपए में)
गत वर्षका नहीं हुआ उठाव
तेंदूपत्ता का गत वर्षका उठाव नहीं हुआ है। देश के बीड़ी बनाने वाली कंपनियों की ओर से मांग कम है।इस कारण ठेकेदारों के गोदामों में अभी काफी पत्ता पड़ा हुआ है।इसे देखते हुए इस वर्षहुई नीलामी में दरेें भी कम भरी गई है। जिससे गत वर्ष के मुकाबले आधी आय हुई है।
संग्रामसिंह कटियार
उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़
तेंदूपत्ता का गत वर्षका उठाव नहीं हुआ है। देश के बीड़ी बनाने वाली कंपनियों की ओर से मांग कम है।इस कारण ठेकेदारों के गोदामों में अभी काफी पत्ता पड़ा हुआ है।इसे देखते हुए इस वर्षहुई नीलामी में दरेें भी कम भरी गई है। जिससे गत वर्ष के मुकाबले आधी आय हुई है।
संग्रामसिंह कटियार
उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़