जब-जब धर्म की हानि हुई, तब-तब प्रभु ने लिया अवतार
Whenever there was loss of religion, then the Lord took incarnation.
प्रतापगढ़
Published: July 28, 2022 08:23:57 am
कथाओं में पहुंच रहे श्रद्धालु
प्रतापगढ़. शहर के एमजी रोड स्थित पेट्रोल पंप के पीछे श्रीराम कथा का आयोजन जारी है। यहां श्री धाम वृंदावन एवं ङ्क्षनबार्क आश्रम भीलवाड़ा के महंत मोहनशरण शास्त्री कथा का वाचन कर रहे है। कथा में महंत ने राम जन्म के ऊपर कथा बताई। उन्होंने राम जन्म के छह कारण बताए। मुख्य कारण जब-जब कोई धर्म की हानि हुई है तो भगवान अवतार लेकर आए हैं। गीता की बात को पुष्ट किया तुलसीदास ने। सभी ने तप किया, बिना तक के प्रभु प्राप्ति संभव नहीं है। कथा का समय दोपहर एक बजे से शाम 4 बजे तक है। कथा 30 जुलाई तक होगी।
हर कार्य बुद्धि से नहीं, विवेक से करो
प्रतापगढ़. यहां रामद्वारा में चातुर्मास के अंतर्गत संत शंभूराम की धर्मसभा का आयोजन हो रहा है। उन्होंने महासती सुलोचना का जीवन चरित्र बताया। बताया कि सुलोचना रावण के पुत्र मेघनाथ की पत्नी थी। महान पतिव्रता स्त्री थी। इनके प्रताप से ही मेघनाथ ने कई विजय प्राप्त की थी। जिसमें एक बार इन्होंने स्वर्ग पर आक्रमण करके इंद्र को जीता। इसीलिए इंद्रजीत कहलाए। आज हम शिक्षा मे तो बहुत आगे है, परंतु जीवन में पीछे हैं। मनोरंजन के साधनों के पीछे हम मन का भंजन कर रहे हैं। ज्ञान के साथ विवेक का भी उपयोग करना चाहिए। अगर विवेक चाहिए तो सत्संग करें। संतों का संग करें। आनंद की अनुभूति भी तभी होगी। जब विवेक होगा। क्रोध आने पर विवेक को नहीं छोडऩा चाहिए। अगर गृहस्थ हो तो गृहस्थ धर्म के सभी कर्तव्य को निभाओ। सनातन धर्म के अनुयायी हो तो तिलक जरूर लगाओ, बच्चों को शिक्षा तो बहुत दे रहे हो। उसके साथ संस्कार भी दें।
मन की शान्ति से बढ$कर कोई तप नहीं
अरनोद. कस्बे के नृङ्क्षसह मंदिर पर चल रहे चातुर्मास प्रवचन में कई श्रद्धालु पहुंच रहे है। वृन्दावन वाले स्वामी सत्यानन्द सरस्वती ने श्लोक का उदाहरण दिया। स्वामी ने कहा की मन की शान्ति से बढ$कर कोई तप नहीं है। सन्तोष से बढ$कर कोई सुख नहीं है। चिन्ता से बड़ी कोई बीमारी नहीं है। दया से बढ$कर दूसरा कोई धर्म नहीं है। मन की शान्ति परमात्मा से जोड़ती है। अशान्ति बाहर के जगत से जोड़ती है। शान्ति परम विश्राम है। जितने भी सन्सार के इन्द्र है। विकार है, उनमें एकरस रहना तप है। निन्दा में, स्तुति में, मान में, अपमान में, जीवन में, मृत्यु में, स्वास्थ्य में, बीमारी में यह जो विपरीत अवस्था है। जीवन की झ्नमें मन डावाङोल नहीं है। मन में कम्पन नहीं हो, तप हैं और ऐसा तप तो आनन्द है। धन के लोभी, लालची व्यक्ति जिन्दगी भर भटकते रहते हैं। भटकाव और बैचेनी उनकी नियति बन जाती है। क्योकि लोभ अनन्त है।
सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ
करजू. श्रावण मास में कई आयोजन किए जा रहे है।
यहां गांव के मंदिरों में रात के समय सुंदरकांड पाठ व भजनों की गूंज सुनाई देने लगी है। मंगलवार को संकट मोचन बालाजी मंदिर में सुंदरकांड पाठ हुआ। प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया जाता है। ये मंडलियां स्वयं के साथ ही आम लोगों के आमंत्रण पर भी सुंदरकांड पाठ का आयोजन करती है। ेसावन माह के दौरान शिव मंदिर ग्रामीण क्षेत्रों के शिवालय में भगवान शिव की जयकारों की गूंज रही। श्रद्धालुओं में भी पूजन को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला। मंदिरों भजन.कीर्तन व महा प्रसाद का भी आयोजन किया गया। सावन माह के दौरान मंदिरों में धार्मिक आयोजन हो रहे हैं। भगवान शिव के जयकारों से वातावरण भक्तिमय रहा।

जब-जब धर्म की हानि हुई, तब-तब प्रभु ने लिया अवतार
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