आठ प्रत्याशी थे मैदान में
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर कुल आठ उम्मीदवार मैदान में थे। मुख्य मुकाबला बीजेपी के संगम लाल गुप्ता और कांग्रेस के राजकुमारी रत्ना सिंह के बीच थी। वहीं मुकाबले में बहुजन समाज पार्टी से अशोक त्रिपाठी भी मैदान में थे। प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर कुल 52.38 फीसदी वोट पड़े थे। 2014 में यहां 52.49 फीसदी मतदान हुआ था।
2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सहयोगी दल अपना दल ने इस सीट पर की थी जीत हासिल
2014 के लोकसभा चुनाव में प्रतापगढ़ संसदीय सीट पर 52.12 फीसदी मतदान हुए थे. इस सीट पर बीजेपी की सहयोगी दल अपना दल के कुंवर हरिबंश सिंह ने बसपा के आसिफ निजामुद्दीन सिद्दीकी को एक लाख 68 हजार 222 वोटों से मात देकर जीत हासिल की थी। कुंवर हरिबंश सिंह को 3,75,789 वोट जबकि बसपा के आसिफ निजामुद्दीन सिद्दीकी को 3,09,858 वोट हासिल हुए, जबकि सांसद कांग्रेस की राजकुमारी रत्ना सिंह को 1,38,620 वोट ही मिले थे।
प्रतापगढ़ का इतिहास
प्रतापगढ़ लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी। कांग्रेस सरकार में विदेश मंत्री रहे राजा दिनेश सिंह यहीं से चुनकर संसद पहुंचे थे। इस सीट पर शाही खानदान से जुड़े लोगों के मैदान में उतरने के कारण लोगों के बीच कौतूहल का कारण रहा. एक बार फिर से यहां पर शाही लड़ाई देखने को मिलने वाली है। इस संसदीय सीट पर अभी तक 15 लोकसभा सभा चुनाव हुए हैं, जिसमें 9 बार कांग्रेस ने जीत हासिल की और एक-एक बार सपा और बीजेपी को जीत मिली। इसके अलावा अपना दल, जनसंघ और जनता दल ने भी एक-एक बार यहां से जीत हासिल की है। 1957 में अस्तित्व में आई प्रतापगढ़ लोकसभा सीट का बड़ा हिस्सा एक समय फूलपुर लोकसभा सीट के तहत आता था।
2011 के जनगणना के मुताबिक प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर कुल आबादी करीब 23 लाख है। इसमें 94.18 फीसदी ग्रामीण और 5.82 फीसदी शहरी आबादी है, जिसमें 19.9 फीसदी अनुसूचित जाति की आबादी रहती है। साथ ही इस संसदीय सीट पर राजपूत और कुर्मी मतदाताओं के अलावा ब्राह्मण मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। यहां पर 14 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है। प्रतापगढ़ लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं।