जानकारी के अनुसार भूपिया मऊ क्षेत्र में संडवा चन्द्रिका से बारात आयी थी। हर तरफ उल्लास का माहौल था। गाजे-बाजे के साथ द्वार पूजा की रस्म भी पूरी हो गयी। सबकुछ ठीक चल रहा था। घरातियों ने बारातियों की खूब खातिरदारी भी की। द्वाराचार की रस्म अदायगी के बाद बारी जयमाल की थी। दूल्हे को जयमाल के मंच पर ले जाया गया। मंच पर दुल्हन पहुंचती, इससे पहले ही दूल्हे को मिर्गी का दौरा आ गया। स्टेज पर तड़पते दूल्हे को देखकर अफरा-तफरी मच गयी। कुछ देर के बाद दूल्हा सामान्य हो गया, लेकिन वधु पक्ष के लोगों ने शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद पंचायत का दौर शुरू हो गया। दोनों पक्षों के बीच काफी देर तक पंचायत चलती रही। पंचायत में यह तय हुआ कि शादी में हुए खर्च व दान-दहेज की वस्तुएं और नकदी वर पक्ष लौटा देगा। पंचायत के बाद बारातियों को खाना खिलाकर विदायी कर दी गयी।
बीमारी की नहीं थी जानकारी
वधु पक्ष के लोगों ने कहा कि वर पक्ष ने लड़के की बीमारी की बात छिपायी थी। उन्हें बीमारी की जानकारी नहीं दी गयी थी। शादी से पहले ही जानकारी दी गयी होती, तो यह नौबत ना आती।
अदा कर रहे भगवान का शुक्र
वधु पक्ष के लोग एवं ग्रामीण भगवान का शुक्र अदा करते नहीं थक रहे। लोगों का कहना है कि दूल्हे को बारात में ही दौरा नहीं आया होता, तो लड़की का जीवन बर्बाद हो जाता।
वधु पक्ष के लोग एवं ग्रामीण भगवान का शुक्र अदा करते नहीं थक रहे। लोगों का कहना है कि दूल्हे को बारात में ही दौरा नहीं आया होता, तो लड़की का जीवन बर्बाद हो जाता।